Shravani Mela 2023: भोलेनाथ के भक्तों को श्रावण माह का बेसब्री से इंतजार रहता है. शिव के पावन महीने सावन में बिहार के भागलपुर जिला में स्थित सुल्तानगंज की उत्तरवाहिनी गंगा से भक्त गंगाजल लेकर कांवर उठाते हैं और बोल बम, बोल बम करते हुए पैदल देवघर तक की 107 किलोमीटर की कांवर यात्रा करके देवघर स्थित बाबाधाम में बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करते हैं.
जल भरने के बाद रखें इन बातों का ख्याल
सुल्तानगंज की उत्तरवाहिनी गंगा से संकल्प के साथ कांवर में जल भरने के बाद रास्ते में कांवर की पवित्रता बनाये रखने के लिए कांवरियों को कई नियमों का पालन करना पड़ता है. भक्त उसे पूरी तरह निभाते है. स्कंद पुराण में वर्णित है कि जो नर-नारी कंधे पर कांवर रखकर अपनी यात्रा पूरी करते हैं, उन्हें अश्वमेघ यज्ञ का पुण्य प्राप्त होता है. यही वजह है कि लाखों कांवरियां कांवर के साथ सावन के माह में बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करने आते है. आने के क्रम में पूरे रास्ते कांवरिये सिर्फ बम के नाम से जाने जाते हैं और रास्तेभर सभी लोग बोल बम का उच्चारण करते हैं.
बोल-बम बोलने से शिव होते हैं प्रसन्न
कांवरिया बम क्यों बोलते हैं, इसके पीछे भी एक कहानी है. ज्येतिषाचार्य प्रमोद श्रृंगारी बताते हैं कि राजा दक्ष के यज्ञ में माता सती ने जब अपना शरीर त्याग दिया था. उसके बाद भगवान भोले ने दक्ष का गर्दन काट दिया था, इसके बाद दक्ष को पुनर्जीवित करने के लिए भगवान शंकर ने राजा दक्ष को बकरा का सिर लगा दिया था. दक्ष के मुख से बकरा वाली बोली जो निकली वह शंकर को अति प्रिय लगी, जिससे भगवान शंकर प्रसन्न हुए. राजा दक्ष के अभिमान को चुर करने पर भोले शंकर प्रसन्न हुए खासकर बकरा की आवाज को सुनकर तब से बम-बम हर-हर बम-बम का उच्चारण कर श्रद्धालु भगवान शंकर को प्रसन्न करते है. यही कारण है कि सुल्तानगंज से लेकर बाबा मंदिर तक बोल-बम का नारा गूंज उठता है.
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