Deoghar News : लिंग परीक्षण की समेकित जांच रिपोर्ट जिला मुख्यालय को उपलब्ध करायें : डीसी

भ्रूण हत्या, जन्म पूर्व लिंग परीक्षण और अन्य किसी भी माध्यम से बेटियों की हत्या करने में कोई संस्थान संलिप्त पाये जाते हैं, तो उक्त संस्थानों के लाइसेंस को रद्द करते हुए कानूनी कार्रवाई की जायेगी. यह बात डीसी ने कही.

By Prabhat Khabar News Desk | January 28, 2025 8:46 PM

प्रमुख संवाददाता, देवघर : देवघर जिले में कुल 38 अल्ट्रासाउंड केंद्र हैं. सभी निबंधित अल्ट्रासाउंड केंद्रों में जिला स्तर पर गठित टीम जांच कर रही है. जांच टीम खंगाल रही है कि इन संस्थानों में कहीं भ्रूण हत्या, जन्म पूर्व लिंग परीक्षण और अन्य किसी भी माध्यम से बेटियों की हत्या का कार्य तो नहीं किया जा रहा है. अगर कोई भी संस्थान इस तरह के कार्य में संलिप्त पाये जाते हैं, तो उक्त संस्थानों के लाइसेंस को रद्द करते हुए कानूनी कार्रवाई की जायेगी. उक्त बातें डीसी विशाल सागर ने पीसी-पीएनडीटी एक्ट 1944 से संबंधित जिला सलाहकार समिति की बैठक में कही. उन्होंने कहा कि पीसी-पीएनडीटी एक्ट के माध्यम से शिशु लिंग अनुपात में कमी को रोकने में मदद मिलती है और महिलाओं के सशक्तीकरण से जुड़े मुद्दों का समाधान होता है.

अल्ट्रासाउंड केंद्रों के ऑनलाइन फॉर्म-एफ की विधिवत करें जांच

डीसी ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि वैसे अल्ट्रासाउंड केंद्र जिनके द्वारा पीसी-पीएनडीटी वेबसाइट गरिमा झारखंड पर 10 से कम गर्भवती महिलाओं का ऑनलाइन फॉर्म-एफ भरा गया हो, उसकी जांच करायें और विस्तृत प्रतिवेदन जिला कार्यालय को उपलब्ध करायें ताकि संबंधित के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जा सके.

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान का प्रचार-प्रसार करें

उन्होंने कहा कि जिले में 31 जनवरी तक सेव द गर्ल चाइल्ड सप्ताह मनाया जा रहा है. इसके तहत जिले के विभिन्न प्रखंडों के स्कूल, कॉलेज में पीसी-पीएनडीटी एक्ट की विस्तृत जानकारी दी जा रही है और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को लेकर जागरुकता कार्यक्रम भी चल रहा है. डीसी ने समिति के सभी सदस्यों को निर्देश दिया कि सभी एक दूसरे के साथ समन्वय से सेव द गर्ल चाइल्ड कैंपेन का व्यापक प्रचार प्रसार करायें. बैठक में सिविल सर्जन देवघर डॉ युगल किशोर चौधरी, जीपी धनंजय मंडल, संबंधित विभाग के अधिकारी, चिकित्सकों की टीम व सदस्य मौजूद थे.

क्या है पीसी-पीएनडीटी एक्ट

इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक (पीसी-पीएनडीटी एक्ट- 1994) के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है. ऐसे में अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले जोड़े या करने वाले डाक्टर, लैब कर्मी को तीन से पांच साल सजा और 10 से 50 हजार जुर्माने की सजा का प्रावधान है.

हाइलाइट्स

पीसी-पीएनडीटी एक्ट- 1994 को लेकर जिला सलाहकार समिति की बैठक

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version