देवघर : पालोजोरी प्रखंड क्षेत्र के ग्रामीणों को पाइप लाइन के माध्यम से घर-घर पेयजल पहुंचाने की लघु जलापूर्ति योजना दम तोड़ती नजर आ रही है. रखरखाव के कारण कई गांवों में योजना से बनी पानी टंकी से पानी की सप्लाई ठप है. वहीं विभागीय अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों का रवैया भी योजना को लेकर उदासीन बना हुआ है. लाखों खर्च के बावजूद इन योजनाओं के लाभ से ग्रामीण वंचित हो गये हैं. गौरतलब है 2020 में योजना का उद्घाटन होने के बाद एक-दो माह तक ग्रामीणों को पेयजल मिला. लेकिन गांव में नाली निर्माण के दौरान पानी सप्लाई पाइप के क्षतिग्रस्त होने के बाद भुरकुंडी पंचायत की टंकी से लोगों के घरों में पानी की सप्लाई बंद हो गयी. पाइप क्षतिग्रस्त होने के बाद न तो नाली के संवेदक व न ही पीएचईडी विभाग के अधिकारी और ना ही किसी जनप्रतिनिधि ने इसे दुरूस्त कराने की दिशा में कोई पहल की. बहरहाल टंकी के आसपास के ग्रामीण घड़े और बाल्टी से पानी अपने घरों में ढोते हैं. लेकिन घरों में पानी की सप्लाई नहीं होती है. वहीं बाराकोला के ग्रामीणों के अनुसार उद्घाटन के एक माह बाद लाभ मिला. करीब तीन साल से पानी की सप्लाई ठप है.
देवघर की भुरकुंडी पंचायत के भुरकुंडी व बाराकोला गांव के अलावा कुंजबोना पंचायत के नगरिया, महुआडाबर पंचायत के रामपुर गांव में डीएमएफटी मद से वर्ष-2019 में शिलान्यास कर योजना को धरातल पर उतारा गया था. योजना का उद्घाटन 26 जून 2020 में किया गया था. उद्घाटन के बाद भुरकुंडी जलापूर्ति योजना से लोगों को कुछ माह तक ही पानी मिला. फिलहाल योजना पूरी तरह ठप है.
सोलर आधारित दो छोटी पानी की टंकी भी खराब :
चलबली व नावाडीह में बनी सोलर आधारित लघु ग्रामीण जलापूर्ति योजना भी खराब है और अब यह ग्रामीणों के लिए उपयोगी नहीं रह गयी है .वहीं नगरिया गांव में बनी पानी टंकी से ग्रामीणों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है. गांव के लोगों ने बताया कि जब इसे चालू किया गया था उस समय यह कुछ दिनों तक पानी मिला. लेकिन बाद में यह पूरी तरह से बंद हो गया. वहीं महुआडाबर पंचायत के रामपुर गांव में बनी पानी टंकी का उद्घाटन होने के चंद दिनों बाद ही बोरिंग धंस गयी और पानी मिलना बंद हो गया. बहरहाल लाखों खर्च के बाद भी ग्रामीण इन योजनाओं के लाभ से वंचित हैं.
मेंटनेंस व संचालन ग्राम जल स्वच्छता समिति व पंचायत के मुखिया को करना है. संवेदक के हैंडओवर करने के बाद योजना का मेंटनेंस नहीं करना था. ग्राम जल स्वच्छता समिति व पंचायत के मुखिया के द्वारा ग्रामीणों से पानी का कनेक्शन शुल्क लेकर इसका मेंटनेंस करना था. अगर कहीं तकनीकी खराबी जैसे बोरिंग धंस गयी है तो उसके स्थान पर नयी बोरिंग करायी जायेगा. मुखिया 15 वीं वित्त मद की 30 फीसदी राशि से पेयजल आपूर्ति के लिए व्यवस्था को दुरूस्त करा सकते हैं.
आशुतोष कुमार, एई पीएचइडी विभाग
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