Durga Puja 2020 : 450 वर्ष से अधिक पुराने देवघर के इस दुर्गा मंदिर के गुंबद पर है साढ़े तीन किलो का स्वर्ण कलश, खास है यहां पूजा की परंपरा
Durga Puja 2020 : देवघर (आशीष कुंदन) : देवघर जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूरी पर अवस्थित सारठ प्रखंड के चितरा थाना क्षेत्र के कुकराहा गांव के दुर्गा मंदिर का करीब 450 वर्ष से अधिक का पुराना इतिहास है. कहते हैं कि मां के दरबार में भक्तों की हर मुराद पूरी होती है.
Durga Puja 2020 : देवघर (आशीष कुंदन) : देवघर जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूरी पर अवस्थित सारठ प्रखंड के चितरा थाना क्षेत्र के कुकराहा गांव के दुर्गा मंदिर का करीब 450 वर्ष से अधिक का पुराना इतिहास है. कहते हैं कि मां के दरबार में भक्तों की हर मुराद पूरी होती है.
दुर्गा मंदिर के बाहर अंकित शिला में सन् 1865 का प्रमाण है. पहले मंदिर पुराने व छोटे स्वरूप में था. मंदिर से जुड़े कुकराहा, सिकटिया, धावाबाद, मंजूरगीला, बसकी, शिमला, विशनपुर सहित अन्य गांवों के भक्तों ने आपसी सहयोग से 13 जुलाई 2016 को इस दुर्गा मंदिर का जीर्णोद्धार कराते हुए भव्य स्वरूप दिया.
इस दुर्गा मंदिर का जीर्णोद्धार महाराष्ट्र के शिल्पकार तेलंग बंधु की टीम ने बिना गर्भगृह को क्षति पहुंचाए किया है. करीब एक करोड़ की लागत से जीर्णोद्धार किये गये इस दुर्गा मंदिर के गुंबज पर साढ़े तीन किलो का पुराना स्वर्ण कलश और पंचशूल भी स्थापित है.
दुर्गा मंदिर के पुजारी पंडित भगवान तिवारी बताते हैं कि इस मंदिर की पौराणिक मान्यता भी है. भक्तों की मां भगवती के प्रति अटूट आस्था है. माता के मंदिर की सुंदरता देखते ही बनती है. कहते हैं कि वर्षों पूर्व वर्षा के समय में ग्रामीण लखन सिंह नदी किनारे पहुंचे थे, तो एक कुंवारी कन्या को उन्होंने देखा था.
Also Read: Jharkhand By Election 2020 : दुमका-बेरमो उपचुनाव में चल रही जुबानी जंग, टूट रही सीमाएं, तल्ख हुई राजनीतिकुंवारी कन्या ने जब उनसे वस्त्र की मांग की थी, तो उन्होंने कंधे पर रखा गमछा उसे दे दिया था. उसके बाद कन्या ने उन्हें घर ले जाने की बात कही. वापस आकर ले जाने की बात कहकर वे घर चले गये, लेकिन वापस कुंवारी कन्या को लेने के लिए जब नदी किनारे मैदान गादीटील्हा पहुंचे, तो वह वहां नहीं मिली.
Also Read: Durga Puja 2020 : झारखंड के इस जिले में 16 दिन होती है मां दुर्गा की पूजा, डेढ़ माह तक जलेगी अखंड ज्योतरात में स्वप्न में देवी ने उन्हें कहा कि मैं मां विंध्याचल दुर्गा हूं. उसके बाद से ही ग्रामीणों ने मां दुर्गा मंदिर की स्थापन कर पूजा शुरू की. इस मंदिर में माता की पूजा-अर्चना करने के लिए दूर-दराज से भक्त पहुंचते हैं. पहली पूजा से रोजाना इस दुर्गा मंदिर में पूजा-पाठ चलता है. यहां भक्त अपनी मनोकामना के लिए आते हैं.
Posted By : Guru Swarup Mishra