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देवघर : पालोजोरी में छह साल बाद भी नहीं बना विद्युत ग्रिड, 2019 में किया गया था शिलान्यास

जानकारी के अनुसार, ग्रिड निर्माण को लेकर वर्ष 2019 में डीपीआर भी तैयार हुआ था. शिलान्यास के पश्चात ग्रिड निर्माण के फाउंडेशन के लिए 22 खड्डे भी किये गये थे. पीपीपी मोड में निर्माण कराये जाने के निर्णय के बाद इसमें कोई काम नहीं हुआ.

पालोजोरी प्रखंड क्षेत्र में शिलान्यास के छह साल बाद भी 220/132/33 नेशनल सुपर पावर विद्युत ग्रिड का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है. विभाग के अनुसार, ग्रिड से संबंधित किसी तरह का कंस्ट्रक्शन कार्य नहीं हो पाने की स्थिति में ग्रिड का निर्माण नहीं हो सका है. हालांकि इसके लिए जमीन चिन्हित कर ली गयी थी. शिलान्यास के बाद यह योजना ऊर्जा विभाग के ट्रांसमिशन सेक्शन के बजाय तत्कालीन सरकार के द्वारा पीपीपी मोड पर बनाये जाने के निर्णय की वजह से ठंडे बस्ते में चला गया है. वर्तमान में ग्रिड की आधारशिला रखे गये स्थल पर शिलापट्ट के कुछ अवशेष छोड़ कर नहीं है.

डीपीआर तैयार होने के बाद फाउंडेशन के लिए किये गये थे गड्ढे

जानकारी के अनुसार, ग्रिड निर्माण को लेकर वर्ष 2019 में डीपीआर भी तैयार हुआ था. शिलान्यास के पश्चात ग्रिड निर्माण के फाउंडेशन के लिए 22 खड्डे भी किये गये थे. पीपीपी मोड में निर्माण कराये जाने के निर्णय के बाद इसमें कोई काम नहीं हुआ. तत्काल ग्रिड में महारो व मदनपुर से लाइन पहुंचाने की योजना बनी थी, मगर ग्रिड का निर्माण नहीं हुआ, तो ये योजनाएं ही धरी रह गयीं.

ग्रिड बनने से पालोजोरी-सारठ क्षेत्र के दर्जनों गांवों में मिलती निर्बाध बिजली

220 मेगावाट के ग्रिड का निर्माण होने से पालोजोरी व सारठ प्रखंड तथा आसपास के एक दर्जन से अधिक गांवों के लोगों को निर्बाध बिजली मुहैया हो पाती. वर्तमान में काफी दूर से बिजली आती है. ग्रिड में जो लाइन आता है, तो उसमें टेक्निकल फॉल्ट उत्पन्न होने पर उसके निदान में काफी समय लगता है. यदि ग्रिड बन जाता, तो ग्रिड से 33 केवी लाइन पावर सब स्टेशन में पहुंचता. उससे पॉल्ट को चिन्हित कर उसे दूर करने में सुविधा होती तथा समय की बचत होती. आमतौर पर 33 केवीए लाइन में फाल्ट नहीं के बराबर होता है.

पालोजोरी में छह साल पहले वर्ष 2019 में 220 केवीए ग्रिड निर्माण की योजना बनी थी. लेकिन विभागीय एजेंसी की जगह पीपीपी मोड में निर्माण के निर्णय के पश्चात फिलहाल वहां किसी तरह का कंस्ट्रक्शन नहीं हो सका है.

एसएसपी सिंह, महाप्रबंधक, विद्युत संचरण क्षेत्र, दुमका

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