16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

देवघर : राशि गबन के मामले में एसबीआई के रिजनल ऑफिसर सहित 2 दोषियों को 3 साल की सजा, 6 हजार का जुर्माना भी लगा

करीब दो लाख रुपये की सरकारी राशि गबन मामले का 14 साल बाद फैसला आया. इस मामले में देवघर कोर्ट ने एसबीआई के रिजनल ऑफिसर सहित दो दोषियों को तीन साल की सजा सुनायी. वहीं, छह-छह हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.

देवघर, फाल्गुनी मरीक कुशवाहा: अनुमंडलीय न्यायिक दंडाधिकरी, देवघर (एसडीजेएम) रश्मि अग्रवाल की अदालत ने सरकारी राशि के गबन के मामले में अनिल कुमार यादव एवं केपी सिन्हा को दोषी पाया. साथ-ही इन दोनों को तीन साल के सश्रम कारावास की सजा सुनायी गयी. कोर्ट ने दोनों दोषियों को छह-छह हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. जुर्माने की राशि अदा नहीं करने पर अलग से दो माह की जेल की सजा काटनी होगी. सजा पाने वालों में मोहनपुर के तिलैया निवासी अनिल कुमार यादव पशु व्यवसायी है, जबकि केपी सिन्हा एसबीआई, देवघर के क्षेत्रीय पदाधिकारी हैं और पुरनदाहा मुहल्ले के रहने वाले हैं.

आठ सितंबर, 2009 को मामला हुआ दर्ज

देवघर जिला गव्य विकास पदाधिकारी संजीव रंजन के आवेदन पर मोहनपुर थाने में आठ सितंबर, 2009 को मामला दर्ज हुआ था. केस दर्ज होने के बाद पुलिस ने अनुसंधान पूरी कर आरोप पत्र दाखिल किया. जिसके बाद केस का ट्रायल भी शुरू हुआ. इस मामले में अभियोजन पक्ष से सरकारी अधिवक्ता अजय कुमार साहा ने आठ लोगों की गवाही दिलायी. सूचक की ओर से अधिवक्ता अशोक कुमार राय भी थे. बचाव पक्ष से अधिवक्ता पीआर मिश्रा एवं एके यादव ने पक्ष रखा.

1.92 लाख रुपये का किया था गबन

जिला गव्य विकास विभाग से लाभुकों को दुधारु गाय दिलाने की योजना वर्ष 2009 में चली थी. इसमें मोहनपुर थाना क्षेत्र के झालर गांव के आधा दर्जन किसानों ने आवेदन दिये थे. पशु व्यवसायी अनिल कुमार यादव ने आवेदकों से गाय दिलाने के नाम पर तीन हजार रुपये लिये और अपने घर की गाय का फोटो खिंचवा कर बैंक में प्रस्तुत कर 1.92 लाख रुपये अनुदान की राशि का गबन स्टेट बैंक के क्षेत्रीय पदाधिकारी केपी सिन्हा की मिलीभगत से कर ली थी. इस तरह किसी भी लाभुक को गाय नहीं मिली और अनुदान की राशि की निकासी भी कर ली गयी. शिकायत करने वालों में पिंकु मंडल, बैजनाथ मंडल, रामरेख मंडल, सुखदेव राय आदि थे.

Also Read: Indian Railways News: यात्रीगण कृपया ध्यान दें, गोड्डा-रांची इंटरसिटी एक्सप्रेस समेत कई ट्रेनों का रूट डायवर्ट

14 साल के संघर्ष के बाद मिला न्याय

यह घटना 29 अगस्त, 2009 को घटी और लाभुकों की शिकायत आवेदन के संदर्भ में जांच की गयी, जिसमें घटना सही पाया एवं आठ सितंबर, 2009 को एफआईआर दर्ज हुआ. पुलिस ने 31 अक्तूबर, 2010 को आरोप पत्र दाखिल किया. इसके बाद केस का ट्रायल हुआ एवं 14 साल संघर्ष के बाद न्याय मिला.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें