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देवघर लॉ कॉलेज में 3 सालों से बंद है नामांकन, दूसरे शहरों की ओर रुख कर रहे छात्र-छात्राएं

देवघर कॉलेज में कानून की पढ़ाई शुरू कराने के लिए छात्रों के लिए लगातार आंदोलन किया गया था. आंदोलन के सकारात्मक प्रयास का ही नतीजा था कि यहां वर्ष 2009 में कानून की पढ़ाई शुरू की गयी थी.

देवघर लॉ कॉलेज में (Deoghar Law College) शैक्षणिक सत्र 2019-22 के लिए अंतिम बार दाखिला हुआ था. इसके बाद लॉ कॉलेज को बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता नहीं मिलने के कारण पिछले तीन शैक्षणिक सत्र 2020-23, 2021-24 व 2022-25 में दाखिला बंद पड़ा रहा है. 120 सीट (दो यूनिट) पर प्रत्येक शैक्षणिक सत्र में दाखिले का प्रावधान है, लेकिन दाखिला नहीं होने से 360 छात्र-छात्राएं डिग्री लेने से वंचित रह गये हैं. देवघर लॉ कॉलेज में कानून की पढ़ाई के लिए देवघर सहित संथाल परगना प्रमंडल के विभिन्न जिले व सीमावर्ती राज्य बिहार के छात्र-छात्राओं की निर्भरता रही है. अब मान्यता के अभाव में कानून की पढ़ाई के लिए छात्र-छात्राएं दूसरे शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं.

वहीं, आर्थिक रूप से कमजोर छात्र-छात्राएं करियर व भविष्य को लेकर काफी परेशान हैं. जानकारी के अनुसार, देवघर कॉलेज में कानून की पढ़ाई शुरू कराने के लिए छात्रों के लिए लगातार आंदोलन किया गया था. आंदोलन के सकारात्मक प्रयास का ही नतीजा था कि यहां वर्ष 2009 में कानून की पढ़ाई शुरू की गयी थी.

क्या कहते हैं प्रोफेसर इंचार्ज

लॉ कॉलेज में संसाधन का अभाव है. साथ-साथ बार काउंसिल ऑफ इंडिया से नये शैक्षणिक सत्र में दाखिले के लिए मान्यता नहीं मिली है. यही वजह है कि शैक्षणिक सत्र 2019-22 के बाद नामांकन नहीं हुआ है. कॉलेज के स्तर से मान्यता के लिए पत्र भी भेजा गया है.

– डॉ अखिलेश कुमार, प्रोफेसर इंचार्ज, देवघर कॉलेज

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