निगम बनने के 10 वर्ष बाद भी कई वार्डों में नहीं थी सप्लाई वाटर की व्यवस्था
देवघर नगर निगम बनने के बाद से ही कई वार्डों में सप्लाई वाटर की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी.
देवघर : देवघर नगर निगम बनने के बाद से ही कई वार्डों में सप्लाई वाटर की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी. इसका खुलासा जुडको के सर्वेयर टीमों ने की. शहरी जलापूर्ति योजना के तहत जुडको की ओर से की जा रही सर्वे में पता चला कि निगम बनने के 10 साल बाद भी 1 दर्जन से अधिक वार्डों में पानी समस्या दूर करने के लिए कोई योजना नहीं बनी थी.
इतना ही नहीं तीन वार्डों में तो सप्लाई वाटर का पाइप ही नहीं बिछी थी. जबकि 6 से 7 वार्डों के कुछ मुहल्ले व गलियों में सप्लाई वाटर का पाइप बिछाने का कार्य आधा अधूरा है. इससे एक ही वार्ड के कुछ मोहल्लों में पानी जा रहा है, कुछ जगह में पानी नहीं जा रहा है. हालांकि अब सरकार जाग चुकी है. निगम बनने के बाद पहली बार इन वार्डों में सप्लाई वाटर मिलने की उम्मीद जगी है.
विभाग की ओर से 287.52 करोड़ खर्च किए जाएंगे. इसका सर्वे कार्य शुरू हो चुका है. 3 महीने के बाद कार्य धरातल पर सप्लाई वाटर का पाइप बिछाने का काम शुरू हो जाएगा. काम को जल्द पूरा करने के लिए नगर नगर विकास एवं आवास विभाग ने जूडको को काम सौंपा है.
इस संबंध में नगर प्रशासक शैलेंद्र कुमार लाल ने बताया कि वार्ड नंबर 34, 35, 36 में सप्लाई वाटर का पाइप नहीं बिछा है. जबकि वार्ड नंबर 1, वार्ड नंबर 17, वार्ड नंबर 20, वार्ड नंबर 25, वार्ड नंबर 27 में आधी – अधूरी सप्लाई वाटर की पाइप बिछी है. 3 साल के अंदर नगर निगम के हर क्षेत्रों में सप्लाई वाटर मिलना शुरू हो जाएगा.
नगर विकास एवं आवास विभाग ने जुडको को काम सौंपा है. इसका सर्वे का काम शुरू हो चुका है. 3 माह के अंदर सर्वेयर का काम पूरा हो जाएगा. फिर डीपीआर बनाकर टेंडर निकाला जाएगा.
इसके तहत पुनासी से जल को अंधेरीगादर में रोक कर साफ किया जाएगा. फिर डिगरिया पहाड़ पर टंकी में पानी को चढ़ाया जाएगा. वहां से पाइप के माध्यम से शहरी क्षेत्र में सप्लाई की जाएगी. नगर प्रशासक श्री लाल ने कहा कि अभी 38.89 एमएलडी पानी की खपत है. यह योजना 2050 को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. उस समय देवघर जलापूर्ति में 79.89 एमएलडी पानी की खपत होगी.
क्या कहते हैं जुडको के प्रोजेक्ट मैनेजर
इस संबंध में जुडको के प्रोजेक्ट मैनेजर राघवेंद्र कुमार ने बताया कि सर्वे कार्य शुरू हो चुका है. यह 3 टीम बनाकर कार्य कर रही है. प्रत्येक टीम में 5 – 5 सदस्य हैं. सर्वेयर रिपोर्ट आने के बाद डीपीआर बनाकर धरातल पर कार्य शुरू किया जाएगा. इसके लिए 14 जोन बनाया गया है. संप से वार्ड की दूरी को देखते हुए जोन में सभी वार्ड को शामिल किया गया है. किसी जोन में एक वार्ड है, तो किसी जोन में दो से अधिक वार्ड भी शामिल किया गया है.
posted by : sameer oraon