सारठ व पालोजोरी प्रखंड के कई गांव में पेयजल संकट है, बावजूद डीएमएफटी फंड का प्रयोग ऐसे गांवों में कर दिया गया है, जहां पहले से सुविधा है. सारठ प्रखंड के सहरजोरी गांव में पीएचइडी से घर-घर को पाइप जलापूर्ति योजना से जोड़ा गया है. सहरजोरी गांव में असनबनी जलापूर्ति योजना से वाटर कनेक्शन दिया गयी है. विभाग के अनुसार योजना चल रही है, बावजूद सारठ विधायक की अनुशंसा पर डीएमएफटी फंड से 12 चापानल सहरजोरी गांव में लगा दी गयी है. इसमें सुमन सिंह के दुकान के सामने, गणेश सिंह के घर के सामने, शिव मंदिर के पास, शीतल राय के घर के सामने, केशर बजरंगबली के सामने, हरिकिशोर सिंह के घर के पीछे, सिंटू सिंह के बारी में, बाबूसर और किसन घर के सामने, सरलू सिंह की दुकान व राजीव सिंह के घर के बीच, जाहेरथान के पास, बेलन घर के सामने, गांधी चबूतरा के बगल में चापानल की बोरिंग कर चालू किया गया है. विधायक की अनुशंसा पर डीएमएफटी फंड से जिला परिषद एजेंसी के माध्यम से नवंबर 2023 में चापानलों की बोरिंग करायी गयी है, इसमें करीब पांच लाख रुपये खर्च किये गये हैं. डीएमएफटी के दायरे में सारठ व पालोजोरी प्रखंड के सैकड़ों गांव हैं, जिसमें कई गांवों में लोग पानी के लिए तरस रहे हैं. आबादी के अनुसार चापानल भी नहीं है तथा मानक के अनुसार कई गांवों में डीएमएफटी का पैसा प्यास बुझाने में खर्च नहीं किया गया है.
एक चापानल से 150 की आबादी को पानी देने की क्षमता
पीएचइडी के मानक के अनुसार एक चापानल से प्रत्येक दिन 150 की आबादी को पानी देने की क्षमता है, जबकि पाइप से जलापूर्ति योजना के तहत एक वाटर कनेक्शन पर परिवार के पांच सदस्य को पानी देने की क्षमता है. इस अनुसार 500 की आबादी वाले सहरजोरी गांव में चार चापानल ही पर्याप्त है, बावजूद आठ चापानल पर डीएमएफटी की राशि का दुरुपयोग कर दिया गया.
सारठ पंचायत के रवानी टोला में दोनों चापानल महीनों से खराब
सारठ पंचायत के रवानी टोला की आबादी 200 की है, लेकिन वर्तमान में यहां एक भी चापानल चालू अवस्था में नहीं है. दो चापानल महीनों से खराब है. रवानी टोला के गांवों को काफी दूर से पीने का पानी लाना पड़ता है.
बगडबरा व झिलुवा पंचायत में कई चापानल घर के दायरे में लगा दिया : पिंकी
जिला परिषद सदस्य पिंकी ने कहा कि पूरे सारठ प्रखंड में डीएमएफटी के फंड का वारा-न्यारा कर दिया गया है. अनुशंसा तो कहीं भी कर दी जायेगी, लेकिन विभाग को बोरिंग करते समय नियमों का पालन करना चाहिए. बगडबरा व झिलुवा पंचायत में कुछ चापानल तो उचित जगह पर लगाये गये हैं, लेकिन अधिकतर चापानल चहेते लोगों के घर के चहारदीवारी के अंदर लगा दिये गये हैं. झिलुवा में तो चापानल समय से पहले खराब भी हो गया, जिससे आनन-फानन में ठीक किया गया. चापानल की बोरिंग भी मानक के अनुसार नहीं की गयी है. कई गांव में पेयजल संकट रहने के बाद भी डीएमएफटी से चापानल नहीं लगाया गया है. जमुवासोल पंचायत के 100 की आबादी वाले न्यू कॉलोनी आदिवासी टोला में मात्र एक पुराना चापानल है, यह भी अक्सर खराब रहता है. 100 की आबादी वाले इस गांव में डीएमएफटी से नयी बोरिंग नहीं हुई.