आखिर कैसे किसान बन रहे हैं आत्मनिर्भर, खेती को उद्योग बनाकर दे रहे पलायन की समस्या को मात…..
सब्जी उत्पादक किसानों का कहना है कि खेती के बाद फसल तैयार होने के बाद इसका भंडारण एक बड़ी समस्या है.
सोनारायठाढ़ी प्रखंड क्षेत्र की मगडीहा व खिजुरिया पंचायत के कई किसान सब्जी की खेती करके आत्मनिर्भर बन रहे हैं, खिजुरिया व मगडीहा पंचायत के मूंगजोरिया, बारा, मंजरा, काशीटांड, जरिया, पड़रिया, चमरदेवला, खिजुरिया, समेत दोंदिया पंचायत के दोंदिया, ढ़ोलपहरी समेत कई गांव के किसान आज सब्जी की खेती करके अच्छी आमदनी कर रहे हैं. गांव के युवा अपने खेतों में मेहनत मजदूरी करके गोभी, गाजर, टमाटर, पलग, खीरा कद्दू, करेला, बिट, मूली, बैगन समेत सभी तरह की सब्जियों की खेती करते हैं, किसानों द्वारा उपजायी सब्जियां देवघर, मधुपुर, आसनसोल, गिरिडीह समेत कई जिलों में ट्रक के माध्यम से भेजी जाती हैं, जिसको लेकर किसान दिनेश यादव, मुकेश यादव, नंदकिशोर यादव, मनोज यादव, उदय वर्मा, कार्तिक वर्मा, निर्मल वर्मा, बबलू यादव, मुन्ना वर्मा, दिवाकर वर्मा समेत दर्जनों किसानों ने बताया कि हमलोगों ने रोजी रोजगार के लिए दिल्ली, गुजरात समेत कई राज्यों में जाकर भवन निर्माण में मजदूरी का काम किया है, दिन के तीन सौ मिलते थे, झुग्गी झोपड़ी में सोना पड़ता था. होटल में खाना भी काफी महंगा होता था, जोखिम भरा काम रहने के कारण कई लोग कार्य के दौरान घायल भी हो गये थे, कोरोना काल में हमलोग घर आ गये और अपने खेतों में ही मजदूरी करने लगे.आज हमलोग खेतों में सब्जी की खेती करके अच्छी कमाई कर लेते हैं. सब्जी की खेती के साथ साथ धान, गेहूं, चना, सरसों, आलू समेत अन्य फसलों की खेती की जाती है.
सब्जियों का भंडारण बनी हुई है बड़ी समस्या
सब्जी उत्पादक किसानों का कहना है कि खेती के बाद फसल तैयार होने के बाद इसका भंडारण एक बड़ी समस्या है. ज़ब फसल तैयार हो जाती हैं तो शुष्क भंडारण की सुविधा नहीं होने के कारण हमलोगों को ओने-पौने में सब्जी बेचनी पड़ती है, जिसके कारण उचित मूल्य नहीं मिल पाता हैं. किसानों ने बताया कि हमलोगों ने कई बार पंचायत में एक शुष्क भंडारण की व्यवस्था करने की मांग स्थानीय विधायक सह कृषि पशुपालन मंत्री से की है. बताया कि व्यवस्था के अभाव में मटर, टमाटर, बैगन, फूल गोभी, बंधा गोभी बहुत जल्द ही बेकार हो जाती हैं, गांव के आस पास बाजार नहीं होने के कारण सब्जियों का उचित मूल्य भी नहीं मिल पाता हैं. मजबूरन साप्ताहिक हाट में कम दामों में सब्जी बेचनी पड़ती हैं. वहीं कहा कि सरकार सहयोग करे तो और युवा किसान भी सब्जी की खेती से अच्छी आमदनी कर आत्मनिर्भर बन सकते हैं.