प्रमुख संवाददाता, देवघर . 22वें देवघर पुस्तक मेला के 10वें दिन बीएड कॉलेज मैदान में ””भगवान बिरसा मुंडा के 150 वर्ष : जनजातीय गौरव के विस्मयकारी अतीत”” विषय पर गोष्ठी हुई. कार्यक्रम में मुख्य वक्ता पूर्व मुख्यमंत्री सह केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने शिरकत की. जनजातीय गौरव के विस्मयकारी अतीत पर मुख्य वक्ता अर्जुन मुंडा ने कहा कि सभ्यता की शुरुआत में सभी आदिवासी और जनजाति हीं थे. इस दौरान उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा के बलिदान को याद किया और उनके बलिदान के मकसद को साझा किया. क्यों उन्हें भगवान का दर्जा मिला, किस परिस्थिति में वे लड़े और कैसे दुश्मनों के दांत खट्टे किये. इन सभी विषयों को श्री मुंडा ने उद्धृत किया. उन्होंने कहा कि नदी में उफान आने से लहर बदल सकती है, नदी नहीं बदल सकती. भारत की दशा और दिशा को बदलने वाले लोगों की जरूरत है. चांद भैरव, सिद्धो-कान्हो मुर्मू और भी सभी क्रांतिकारियों का मूल उद्देश्य जल-जंगल-जमीन बचाना हीं था. अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई इसलिए पूरी हुई क्योंकि यह लड़ाई धार्मिक पद्धति से नहीं लड़ी गयी. लोग धर्म, जाति के नाम पर बंटे नहीं थे. बल्कि सभी एकजुट थे, सभी एक थे. इसलिए हमें आजादी मिल पायी. इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों में देवघर कॉलेज के प्राचार्य अखिलेश तिवारी, संत राम हरनौत, बाला लखेंद्र, अनिला मुर्मु, अणिमा तिग्गा ने भी भगवान बिरसा मुंडा को याद करते हुए उनके विस्मयकारी अतीत और इतिहास में छिपी जानकारी को साझा किया. *अंग्रेजों के खिलाफ हम इसलिए जीते क्योंकि लड़ाई धार्मिक पद्धति से नहीं लड़ी गयी थी *सभी क्रांतिकारियों का मूल उद्देश्य : जल जंगल और जमीन की रक्षा करना ही था
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