रिद्धि और सिद्धि के साथ विराजमान गौरी पुत्र भगवान गणेश की है अपनी महिमा

Sawan 2020 : बाबा बैद्यनाथ मंदिर के प्रांगण की सभी मंदिरों की अपनी पौराणिक महत्व है. इनमें गौरी पुत्र भगवान गणेश का विशेष महत्व है. भगवान गणेश की प्रथम पूजा का प्रावधान होने से सालों भर सिद्धिविनायक भगवान गणेश के मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी रहती है. भीड़ के कारण भगवान के दर्शन पूजा के लिए कई बार भक्तों को काफी देर तक इंतजार भी करना पड़ता है. भगवान गणेश, रिद्धि व सिद्धि के साथ विराजमान हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 29, 2020 8:08 PM

Sawan 2020 : देवघर : बाबा बैद्यनाथ मंदिर के प्रांगण की सभी मंदिरों की अपनी पौराणिक महत्व है. इनमें गौरी पुत्र भगवान गणेश का विशेष महत्व है. भगवान गणेश की प्रथम पूजा का प्रावधान होने से सालों भर सिद्धिविनायक भगवान गणेश के मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी रहती है. भीड़ के कारण भगवान के दर्शन पूजा के लिए कई बार भक्तों को काफी देर तक इंतजार भी करना पड़ता है. भगवान गणेश, रिद्धि व सिद्धि के साथ विराजमान हैं.

इस मंदिर का निर्माण लगभग 1763 में पूर्व सरदार पंडा स्वर्गीय श्रीश्री टीकराम ओझा ने कराया था. भगवान गणेश के मंदिर की बनावट अन्य मंदिरों से अलग है. यह मुख्य मंदिर के सामने पूरब और दक्षिण की ओर स्थित है. इनके एक ओर मां संध्या मंदिर और दूसरी ओर जगत जननी मंदिर है.

Also Read: Sawan 2020 : बाबा भोलेनाथ की हर दिन होती आराधना, आप भी ऑनलाइन देखिए पूजा की विधि

इस मंदिर की लंबाई लगभग 40 फीट और चौड़ाई लगभग 30 फीट है. भगवान गणेश के शिखर पर तांबे का कलश है. इसके ऊपर पंचशूल है. शिखर के गुंबद के नीचे नीले रंग से रंगा हुआ है. इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए मंदिर प्रांगण से 3 सीढ़ियां पार कर भक्त भगवान गणेश के प्रांगण में पहुंचते हैं.

भगवान गणेश की मनमोहन और आकर्षक पत्थर की काले रंग की मूर्ति स्थापित है. इस मूर्ति की ऊंचाई लगभग 2 फीट है. यहां पर भगवान गणेश की वैदिक विधि से पूजा की जाती है. मंदिर स्टेट की ओर से भगवान गणेश की षोडशोपचार विधि से पूजा की जाती है. इस अवसर पर भगवान गणेश को तरह- तरह के भोग, मिठाईयां, फल- मूल, मोदक और दुर्वा चढ़ाया जाता है. इसके अलावा गणेश मंदिर के प्रांगण में बैठने वाले तीर्थ पुरोहितों की ओर से भी पूजा- अर्चना की जाती है.

Posted By : Samir Ranjan.

Next Article

Exit mobile version