एम्स देवघर में आग से बचाव को लेकर दो हाइड्रोलिक फायर फाइटिंग मशीन खरीदेगी सरकार
एम्स में आग से बचाव को लेकर 26.85 करोड़ रुपये की लागत से फिनलैंड से दो हाइड्रोलिक फायर फाइटिंग मशीन खरीदी जा रही है.
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने एम्स देवघर में बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर गोड्डा के सांसद डॉ निशिकांत दुबे की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अध्यक्षतावाली खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए प्रार्थी व प्रतिवादियों का पक्ष सुना. पक्ष सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि हाइड्रोलिक फायर फाइटिंग मशीन एम्स में आने के पूर्व यदि कोई घटना होती है, तो उस पर कैसे नियंत्रण पाया जायेगा. कोर्ट जवाब लिखित में दायर करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने बिजली, प्रतिदिन तीन मिलियन लीटर पेयजल, प्रस्तावित सेंट्रल स्कूल के लिए पर्याप्त जमीन अधिग्रहण, आग से बचाव के लिए फायर फाइटिंग मशीन उपलब्ध कराने के बिंदु पर राज्य सरकार के संबंधित विभागों को शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने देवघर के उपायुक्त को भी जवाब दायर कर यह बताने का निर्देश दिया है कि एम्सकर्मियों के बच्चों के लिए सेंट्रल स्कूल स्थापित करने को लेकर जमीन चिन्हित करने की दिशा में क्या कार्रवाई की गयी है.
मामले की अगली सुनवाई 8 अप्रैल
मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने आठ अप्रैल की तिथि निर्धारित की. मामले की सुनवाई के दाैरान डीजी फायर वर्चुअल उपस्थित थे. उनकी ओर से खंडपीठ को बताया गया कि एम्स में आग से बचाव को लेकर 26.85 करोड़ रुपये की लागत से फिनलैंड से दो हाइड्रोलिक फायर फाइटिंग मशीन खरीदी जा रही है. यह मशीन 24 तल्ला से ऊंचे भवनों में आग लगने पर उसे बुझाने में सक्षम रहेगी. फिनलैंड से यह हाइड्रोलिक मशीन झारखंड आने में 24 माह का समय लगेगा. टेंडर आमंत्रित किया गया है. इसमें फिनलैंड की एक कंपनी ने टेंडर डाला है. आग से बचाव को लेकर तत्काल लगभग 15 छोटी फायर फाइटिंग मशीन खरीदा जायेगा. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने पैरवी की, जबकि एम्स देवघर की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी गोड्डा के सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने कहा है कि एम्स देवघर में बुनियादी सुविधाओं की कमी है. उनकी ओर से एम्स के लिए पर्याप्त बिजली, पानी, पहुंच पथ, फायर ब्रिगेड वाहन आदि की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार को उचित आदेश देने की मांग की गयी है.