Jharkhand News: झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस इग्नू, हिंदी और उच्च शिक्षा पर देवघर में क्या बोले
राज्यपाल ने कहा कि संविधान में स्पष्ट है कि देश की स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रभाषा हिंदी होगी और अंग्रेजी उसका माध्यम रहेगा, लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी हिंदी जहां की तहां है. जब तक राष्ट्र प्रेम नहीं होगा, तब तक हिंदी का विकास नहीं हो पायेगा.
Jharkhand News: झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने शनिवार को देवघर में हिंदी विद्यापीठ के इग्नू अध्ययन केंद्र का उद्घाटन किया. इसके बाद एएस कॉलेज में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन किया. इसके साथ ही झारखंड राज्य ओपन यूनिवर्सिटी के एएस कॉलेज अध्ययन केंद्र का भी शुभारंभ किया. हिंदी विद्यापीठ परिसर स्थित तक्षशिला विद्यापीठ के ऑडिटोरियम में समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि इग्नू दूरस्थ शिक्षा के क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी है. बहुत लोग जो शिक्षा पूरी नहीं कर पाते, वैसे देवघर सहित संताल परगना के लोग इग्नू से शिक्षा ले सकेंगे.
राष्ट्रभाषा के प्रति रहना होगा सजग
राज्यपाल ने कहा कि संविधान में स्पष्ट है कि देश की स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रभाषा हिंदी होगी और अंग्रेजी उसका माध्यम रहेगा, लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी हिंदी जहां की तहां है. जब तक राष्ट्र प्रेम नहीं होगा, तब तक हिंदी का विकास नहीं हो पायेगा. हम सभी को राष्ट्रभाषा के प्रति सजग रहना होगा. राज्यपाल ने कहा कि इस प्रांत की यूनिवर्सिटी व कॉलेजों में 30 प्रतिशत शिक्षकों से काम हो रहा था. कहीं वीसी नहीं, रजिस्ट्रार नहीं तो कहीं परीक्षा नियंत्रक नहीं थे. सरकार से कहा कि नये कॉलेज, यूनिवर्सिटी खोलने से पहले हो खुले हैं उसे ठीक से विकसित कर बच्चों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा दें. इसके बाद चार सौ प्रोफेसर की नियुक्ति की गयी. कई यूनिवर्सिटी में वीसी नियुक्त किए.
राज्य में ही मिले उच्च शिक्षा
राज्यपाल ने कहा कि यहां के बच्चे उच्च शिक्षा हासिल करने दूसरे प्रांतों में जाते हैं. क्यों नहीं इस राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा वातावरण तैयार करें कि दूसरे प्रांत के बच्चे यहां आकर पढ़ें. इसके लिये दृढ़ इच्छा की कमी है. राज्यपाल ने विश्वास दिलाते हुए कहा कि जब तक इस राज्य में रहेंगे, कॉलेजों व विश्वविद्यालयों की कमियों को दूर कर गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान कराने का प्रयास करेंगे. इससे पहले उन्होंने हिंदी विद्यापीठ के आजीवन कुलाधिपति रहे भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया.