देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम में है हवन कुंड, किसी को प्रवेश की इजाजत नहीं

देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर प्रांगण में बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, मां पार्वती सहित विभिन्न देवी-देवताओं के कुल 22 मंदिर अवस्थित हैं. मंदिरों का अपना पौराणिक इतिहास व महत्ता है. इनके बारे में रोचक कहानियां हैं. हर एक मंदिर की जानकारी हम आपको देंगे. आज पढ़ें हवन कुंड के बारे में...

By Prabhat Khabar News Desk | August 22, 2023 2:39 PM
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Baba Dham Deoghar: देवघर के बाबा मंदिर में स्थित सभी 22 देवी देवताओं का अलग अलग महत्व है. सभी मंदिरों का अपना पौराणिक इतिहास व महत्ता है. इनके निर्माण व निर्माणकर्ता के बारे में रोचक कहानियां हैं. अब तक हम आपको मां पार्वती मंदिर, मां जगतजननी व मां संकष्टा मंदिर, भगवान गणेश मंदिर, मां संध्या मंदिर, चतुर्मुखी ब्रह्मा मंदिर, महाकाल भैरव मंदिर, भगवान हनुमान के मंदिर, मां मनसा मंदिर, मां सरस्वती मंदिर, बगलामुखी मंदिर, सूर्य नारायण मंदिर, राम-सीता-लक्ष्मण मंदिर, गंगा मंदिर, आनंद भैरव मंदिर, मां तारा मंदिर, त्रिपुर सुंदरी मंदिर और राधा कृष्ण मंदिर के बारे में बता चुके हैं. आज हम आपको हवन कुंड के बारे में बताएंगे.

हवन कुंड जिसके शिखर पर लगा है पंचशूल

ज्योतिर्लिंगों में से द्वादश ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ मंदिर व इनके प्रांगण की सभी मंदिरों का पौराणिक महत्व है. इनमें सर्वाधिक महत्व बाबा की पूजा का है. इसके बाद भक्त मंदिर प्रशासनिक भवन के पास मां शक्ति की विशेष पूजा के लिए स्थापित हवन कुंड की पूजा का है. जहां भक्त पूजा करने के लिए घंटों इंतजार करते हैं. यहां भक्त बाहर से ही पूजा करते हैं. इस हवन कुंड का निर्माण पूर्व सरदार पंडा स्वर्गीय श्रीश्री रामदत्त ओझा ने कराया. इस हवन कुंड की बनावट अलग है. यह मुख्य मंदिर के उत्तर की ओर प्रसाशनिक भवन के पास स्थित है. हवन कुंड के मंडप की लम्बाई लगभग 30 चौडाई 30 फीट है. इस हवन कुंड के शिखर पर पंचशूल लगा है.

मंदिर में प्रवेश करने की इजाजत किसी को नहीं

हवन कुंड मंदिर के अंदर प्रवेश करने की इजाजत किसी को नहीं है. इस हवन कुंड में लकड़ी का दरवाजा लगा है. इस हवन कुंड में पूर्व सरदार पंडा स्वर्गीय श्रीश्री रामदत्त ओझा द्वारा मां शक्ति दुर्गा की तांत्रिक विधि से हवन व पूजन की थी, जो आज तक जारी है. इस हवन कुंड में आश्विन मास नवरात्र के एक दिन पहले महालया के दिन विशेष पूजा के उपरांत हवन कुंड से भस्मभभूत निकाला जाता है. इसके उपरांत भस्मभभूत का वितरण किया जाता है. इसके बाद पूरे नवरात्र में पूजारी द्वारा हवन कुंड में तांत्रिक विधि से हवन पूजन किया जाता है. इसके अलावा मंदिर स्टेट की ओर से मंदिर स्टेट पुरोहित द्वारा प्रतिदिन हवन कुंड में हवन किया जाता है.

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