सेवा ही सबसे बड़ी पूजा व धर्म है, रिखिया में सेवा परमो धर्म हुआ साकार : स्वामी निरंजनानंद

रिखियापीठ में आयोजित शतचंडी महायज्ञ के तीसरे दिन काशी के पंडितों ने मंत्रोच्चारण के साथ हवन किया. वहीं चेन्नई की प्रसिद्ध गायिका ललिता शर्मा ने भजनों की प्रस्तुति दी.

By Prabhat Khabar News Desk | December 4, 2024 10:24 PM
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संवाददाता, देवघर. रिखियापीठ में आयोजित शतचंडी महायज्ञ के तीसरे दिन काशी के पंडितों ने मंत्रोच्चारण के साथ हवन किया, साथ ही देवी दुर्गा की विशेष आरती की गयी. स्वामी निरंजनानंद व स्वामी सत्संगी जी की उपस्थिति में ग्रामीणों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया. शतचंडी महायज्ञ के दौरान स्वामी निरंजनानंद जी ने कहा कि सेवा सबसे बड़ी पूजा व धर्म है. हर धर्म में सेवा को प्राथमिकता दी गयी है. सेवा परमो धर्म: रिखिया पूर्ण रूप से साकार हुआ है. परमहंस स्वामी सत्यानंद जी ने रिखिया से पूरे विश्व में धर्म व भक्ति में सेवा, दान व प्रेम को जोड़ा है. यज्ञ, अनुष्ठान व पूजा-अर्चना के साथ रिखिया में सेवा, दान व प्रेम अमृत के रूप में बरस रहा है. स्वामी सत्यानंद जी के संकल्पों के अनुसार रिखिया इलाके के दर्जनों गांव के ग्रामीणों के बीच पिछले 30 वर्षों से उनकी जरूरत के अनुसार कपड़े, रोजगार के साधन, बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा सहित साइकिल आदि का वितरण किया जा रहा है. यही सेवा धर्म के उद्देश्य को पूरा करने वाला है.

ललिता शर्मा की मधुर आवाज से भगवान राम की भक्ति

शतचंडी महायज्ञ के तीसरे दिन चेन्नई की प्रसिद्ध भजन गायिका ललिता शर्मा ने अपनी मधुर आवाज में कई भजनें सुनायीं. ललिता शर्मा ने कर्नाटक और हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में अपनी अलग पहचान बनायी है. पद्म विभूषण पंडित जसराज के मार्गदर्शन में शास्त्रीय संगीत में शिक्षा प्राप्त करने वाली ललिता शर्मा चेन्नई में स्वरांगन और फ्लोरिडा, अटलांटा और एलए में पंडित जसराज स्कूलों की संस्थापक हैं. रिखियापीठ में ललिता शर्मा ने अपनी मधुर आवाज में भगवान राम, गुरु व देवी मां को समर्पित कई भजन सुनाये. इसमें गुरु सेवा च संकल्पा मंगल भवन अमंगल हारी…या देवी सर्वेभूतेषु…आदि भजन प्रस्तुत किये. भजन के दौरान देश-विदेश के श्रद्दालु जमकर झूमे.

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