सावधान ! नाबालिगों से कराया काम तो जा सकते हैं जेल, भरना पड़ेगा जुर्माना
मधुपुर के एक होटल से दो बाल श्रमिकों को टीम ने छापेमारी कर मुक्त कराया है. श्रम अधीक्षक के नेतृत्व में फ्लाइंग टीम ने किया प्रतिष्ठानों का निरीक्षण कर कार्रवाई की. टीम मुक्त कराये गये बच्चों को बच्चों को देवघर चाइल्ड लाइन का सौंपा
मधुपुर . बाल श्रम उन्मूलन अभियान के तहत गठित फ्लाइंग टीम ने श्रम अधीक्षक देवघर शैलेंद्र कुमार साह के नेतृत्व में एनसीपीसीआर के दिशा निदेश में मधुपुर शहरी क्षेत्र के विभिन्न गैराजों/ होटल का निरीक्षण किया, जिसमें शहर के एक होटल से दो बाल श्रमिकों को मुक्त कराया गया. साथ ही इन दोनों बाल श्रमिकों को बाल कल्याण समिति देवघर को सुपुर्द कर दिया गया. श्रम अधीक्षक ने सभी प्रतिष्ठानों के मालिकों को चेतावनी दी है कि नाबालिगों से काम कराया तो जेल जाना पड़ सकता है, साथ ही जुर्माना भी भरना पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि किसी भी प्रतिष्ठान में बाल श्रमिकों से कार्य कराना संज्ञेय अपराध है बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं उन्मूलन) अधिनियम, 1986 एवं संशोधित अधिनियम, 2016 की धारा-3 या धारा-3। के उल्लंघन पर धारा-14 के अनुसार नियोक्ता पर 20,000 से 50,000 रुपये तक जुर्माना अथवा 06 माह से 02 वर्ष तक का कारावास या दोनों हो सकता है. इस फ्लाइंग टीम में सीडीपीओ मीरा कुमारी, यूनिसेफ देवघर के जिला समन्वयक नरेंद्र शर्मा, एनजीओ आश्रय की दीपा कुमारी, चेतना विकास से नीता पाठक एवं नरेश दास, चाइल्ड हेल्पलाइन को-ऑर्डिनेटर अनिल पासवान, सुबोध मंडल एवं सुजीत कुमार वर्णवाल शामिल थे.
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