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जसीडीह स्टेशन के हरिवंश राय बच्चन हिंदी पुस्तकालय में ज्ञान का खजाना

देवघर जिले के स्टेशन पर स्थित हरिवंश राय बच्चन हिंदी पुस्तकालय ज्ञान का खजाना है. यहां रखी कुछ पुस्तकें 1930 के दशक से पहले की हैं.

By Mithilesh Jha | March 30, 2024 10:23 PM

देवघर, राजीव रंजन : आसनसोल रेल मंडल स्थित जसीडीह स्टेशन, जहां हजारों यात्री रोजाना आते-जाते हैं, अब केवल यात्रा का पड़ाव नहीं है. यहां ज्ञान का खजाना भी छुपा हुआ है. पूर्व रेलवे द्वारा जसीडीह स्टेशन पर वर्ष 2000 से संचालित डॉ हरिवंश राय बच्चन हिंदी पुस्तकालय में 675 पुस्तकों का संकलन आपको विभिन्न विषयों पर ज्ञान का सागर प्रदान करता है.

1930 के दशक से पहले की भी हैं पुस्तकें

यहां रखी कुछ पुस्तकें तो 1930 के दशक से पहले की हैं. पुस्तकालय में आजादी से पहले की 8-10 पुस्तकें विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं, जिनमें माणिकलाल मुंशी की “लोमहर्षिणी” (1924-25), प्रेमचंद की “कायाकल्प” (1928), और महात्मा गांधी की “सर्वोदय” शामिल हैं. जयंत मेहता की “रेलगाड़ी” और “आओ बच्चों” भी बच्चों के बीच लोकप्रिय हैं. हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए रेलकर्मियों के लिए वर्ष 2000 में यहां पुस्तकालय खोला गया है.

जसीडीह स्टेशन के हरिवंश राय बच्चन हिंदी पुस्तकालय में ज्ञान का खजाना 3

साहित्य, धर्म, इतिहास, विज्ञान जैसे विषयों की पुस्तकें हैं उपलब्ध

पूर्व रेलवे द्वारा जसीडीह स्टेशन पर संचालित इस पुस्तकालय में साहित्य, धर्म, दर्शन, इतिहास, विज्ञान, और कला जैसे विभिन्न विषयों पर किताबें रखी हुई हैं. यहां मुंशी प्रेमचंद, महात्मा गांधी, यशपाल, रामधारी सिंह दिनकर, हरिवंश राय बच्चन, सुमित्रा नंदन पंत, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, नागार्जुन, किरण बेदी, पांडे बेचन शर्मा, शिवानी, सुरदास, गोस्वामी तुलसीदास, कबीर, और फणीस्वर नाथ रेणु जैसे प्रसिद्ध लेखकों की रचनाएं पढ़ने को मिल जायेंगी.

  • रेलकर्मियों के लिए बने पुस्तकालय में 1930 के दशक से पहले की भी किताबें उपलब्ध
  • साहित्य, धर्म, दर्शन, इतिहास, विज्ञान, और कला जैसे विभिन्न विषयों पर किताबों का संकलन

सुविधाओं व प्रचार-प्रसार की कमी, यात्री आज भी अनभिज्ञ

डॉ हरिवंश राय बच्चन हिंदी पुस्तकालय में कुछ सुविधाओं का अभाव है और प्रचार-प्रसार की कमियां भी हैं. पुस्तकों को रखने के लिए केवल एक अलमारी है, जिसके दरवाजे टूटे हुए हैं. बैठने की जगह भी कम है, जिसके कारण केवल 7-8 लोग ही एक साथ बैठकर किताबें पढ़ सकते हैं.

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जसीडीह स्टेशन पर चल रहे पुस्तकालय की जानकारी लोगों को नहीं

प्रचार-प्रसार की कमी के कारण बहुत कम लोगों को ही जसीडीह स्टेशन पर चल रहे इस पुस्तकालय की जानकारी है. रेलवे यदि इस पुस्तकालय में दी जाने वाली सुविधाओं में वृद्धि करे, तो यह रेल कर्मियों के लिए ज्ञान का एक बेहतरीन ज्ञान केंद्र बन सकता है. पुस्तकों की संख्या बढ़ाने, बैठने की व्यवस्था में सुधार करने, और पुस्तकालय को आधुनिक बनाने से यह पुस्तकालय एक प्रेरणादायी स्थान बन सकता है.

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रेल यात्रियों के लिए भी प्रेरणादायी स्थान बन सकता है पुस्तकालय

जसीडीह स्टेशन में ट्रेनों के ट्रेनों के इंतजार में खाली बैठने वाले यात्रियों का अधिकतर समय मोबाइल फोन पर गुजर जाता है. यदि रेलवे रेल कर्मियों के साथ-साथ यहां आने वाले यात्रियों के लिए इस पुस्तकालय को विकसित करने में रुचि लेता है और यहां सुविधाएं बढ़ाने के साथ-साथ इसके प्रचार-प्रसार पर जोर देता है तो यहां खाली वक्त में ढेर सारा ज्ञान अर्जित किया जा सकेगा.

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