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Photos: झारखंड का तीसरा सबसे बड़ा स्पोर्ट्स स्टेडियम बदहाल, सुविधाओं के अभाव में प्रतिभाएं तोड़ रही दम

20 करोड़ से बना राज्य का तीसरा सबसे बड़ा देवघर के कुमैठा स्पोर्ट्स स्टेडियम बदहाल है. रख-रखाव के अभाव में जर्जर होता जा रहा है. सुविधाओं के अभाव में क्षेत्र की प्रतिभाएं भी दम तोड़ रही है.

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Jharkhand News: रांची के खेलगांव और जमशेदपुर के बाद देवघर के कुमैठा में राज्य का तीसरा बड़ा स्पोर्ट्स कांप्लेक्स बनाया गया. देवघर समेत आसपास के जिलों के खिलाड़ियों की प्रतिभा निखारने के उद्देश्य से तैयार यह स्पाेर्ट्स कांप्लेक्स रख-रखाव के अभाव में जर्जर होता जा रहा है. कांप्लेक्स में एथलेटिक्स ट्रैक के चारों ओर लगा स्प्रिंकलर उपयोग होने के कुछ माह बाद से ही खराब हो गया. मुख्य मैदान के सामने बने गैलरी के सामने 15-20 मीटर की पक्की दीवार धराशायी हो गयी है. पानी के अभाव में स्वीमिंग पुल वीरान हो गया व काई जम गया है. रोशनी के अभाव में बास्केटबॉल कोर्ट व वॉलीबाल कोर्ट उजड़ता जा रहा है. छह साल पहले करीब 19.89 करोड़ की लागत से कुमैठा की 22 एकड़ की भूमि पर बने इस कांप्लेक्स सह स्टेडियम में राष्ट्रीय व राज्यस्तरीय सभी प्रकार के इंडोर गेम के आयोजन की तैयारी थी. झारखंड स्पोर्ट्स अथॉरिटी और खेल विभाग की समुचित पहल नहीं होने से रख-रखाव के अभाव में पूरा कांप्लेक्स जर्जर होता जा रहा है.

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फुटबॉल मैदान की घास सूखी, ढह रही दीवार

स्पोर्ट्स कांप्लेक्स में पानी की व्यवस्था तो है, मगर देखरेख नहीं होने और पानी का छिड़काव नहीं होने से घास सूख चुकी है. बास्केटबॉल और वाॅलीबॉल कोर्ट की भी हालत खराब हो चुकी है. उदघाटन के छह साल बाद भी यह तय नहीं हो सका कि इसकी देखरेख जिला प्रशासन या खेल विभाग करेगा या फिर खेल एजेंसियां करेंगी. इस कारण कांप्लेक्स उपेक्षा का शिकार होता रहा.

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कंकरीले मैदानों पर प्रतिभा निखार रहे खिलाड़ी, नहीं मिल रही सुविधाएं

यहां पर खिलाड़ियों को सुविधाएं नहीं मिलने से खेल प्रतिभाएं कंकरीले मैदानों पर अपनी तैयारी करने को मजबूर हैं. जिले में होने वाले फुटबाॅल खेल केकेएन स्टेडियम या फिर अन्य ऐसे खेल मैदानों पर होते हैं, जहां घास कम कंकड़-पत्थर अधिक होते हैं. वहीं, कांप्लेक्स का उपयोग खेल के आयोजनों से अधिक सरकारी कार्यक्रमों के लिए अधिक होता है. मोमेंटम झारखंड का समारोह हो या चुनावी मौसम में इवीएम रखे जाने व इवीएम वितरित करने का, कुमैठा स्पोर्ट्स कांप्लेक्स का ही चयन किया जाता है. जिले भर के खिलाड़ियों की सहज इंट्री नहीं मिल पाने की वजह से पूरा कांप्लेक्स कभी विकसित नहीं हो सका.

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बिजली के लिए संघर्ष जारी

कांप्लेक्स परिसर में छह वर्ष बाद भी बिजली की समुचित व्यवस्था नहीं हो सकी है. खेल विभाग इन वर्षों में बिजली की समुचित व्यवस्था करने को लिए लगातार संघर्ष करता रहा. बिजली के अभाव में मोटर नहीं चलने से स्वीमिंग पुल में पानी नहीं भरा जाता है. कांप्लेक्स की दीवारों से लगे हैलोजन भी नहीं जल रहे. लाइट का प्रबंध नहीं होने के कारण अंधेरा पसरा रहता है.

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एक नजर स्पोर्ट्स कांप्लेक्स पर

विभागीय जानकारी के अनुसार, 19.89 करोड़ की लागत से 22 एकड़ के भूखंड में विशाल इंडोर स्टेडियम बनाया गया था. इसके अलावा मेगा स्पोर्ट्स कांप्लेक्स में फुटबाल ग्राउंड, 1100 दर्शकों के बैठने का इंतजाम, आठ लेन का 400 मीटर रनिंग ट्रैक, पवेलियन में बैठने के लिए एक हजार लोगों के बैठने का इंतजाम. इसके अलावा कांप्लेक्स परिसर में टेबल टेनिस, बैडमिंटन भवन में दो-दो कोर्ट, 500 दर्शकों के बैठने की व्यवस्था है. छह लेन का एक इंडोर स्वीमिंग पुल है जिसकी लंबाई 25 मीटर है. यहां गैलरी में 500 लोगों के बैठने का इंतजाम है. साथ ही कांप्लेक्स परिसर में बास्केटबॉल कोर्ट, वालीबॉल कोर्ट, जिम भवन तथा एक कला व संस्कृति भवन तथा पार्क की भी व्यवस्था है.

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फुटबॉल का आवासीय केंद्र सहित पांच क्रीड़ा किसलय केंद्र हैं संचालित

कांप्लेक्स परिसर में खेल विभाग द्वारा फुटबॉल का एक आवासीय केंद्र संचालित होता है, जिसमें अलग-अलग हिस्सों के 25 किशोर रहते हैं. वहां कांप्लेक्स परिसर में ही पांच क्रीड़ा किसलय केंद्र (कबड्डी का बालक व बालिका, लड़कियों के लिए बैडमिंटन, लड़कों के लिए वॉलीबाल तथा लड़कों के लिए एथलेटिक्स) संचालित करने का दावा विभाग करता है. मगर जरूरी संसाधन उपलब्ध नहीं कराने व मानक के अनुरूप सुविधाएं नहीं मिल पाने से खिलाड़ियों को आगे बढ़ने में मुश्किलें आती हैं.

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फंड एवं मैन पवार के अभाव के कारण समुचित देखरेख संभव नहीं : जिला खेल पदाधिकारी

इस संबंध में जिला खेल पदाधिकारी डॉ प्राण महतो ने कहा कि कुमैठा स्पोर्ट्स कांप्लेक्स साझा (स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ झारखंड) से संचालित होता है. विभाग की निदेशक भी यहां भ्रमण कर जा चुकी हैं. फंड एवं संसाधन तथा मेन पावर की मांग की गई है. फिल्टर प्लांट ऑपरेशन के लिए टेक्निशियन भी नहीं है. ऐसे में फंड एवं मेन पावर के अभाव में उसकी समुचित देखरेख संभव नहीं है.

– डॉ प्राण महतो, जिला खेल पदाधिकारी, देवघर.

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