Jharkhand Cyber Crime News (आशीष कुंदन, देवघर) : झारखंड के देवघर जिला अंतर्गत सारवां थाना और मधुपुर थाना क्षेत्र के विभिन्न स्थानों में साइबर थाने की पुलिस ने छापेमारी की. इस दौरान 2 इंटर स्टेट साइबर क्रिमिनल समेत 10 आरोपी को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने 8000 रुपये समेत एक लैपटॉप, 11 मोबाइल, 18 सिम कार्ड, 4 पासबुक, एक बाईक और 10 एटीएम कार्ड बरामद किया. इस बात की जानकारी एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा ने पत्रकारों को दी.
एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा के निर्देश पर साइबर थाने की पुलिस ने सारवां थाना क्षेत्र के सरपत्ता सहित हेठ सरपत्ता, खैरवा, गोंदलवारी व डहुआहाट और मधुपुर थाना क्षेत्र के भेड़वा सिंघानियां मिल के समीप छापेमारी की. इस दौरान नकदी रुपये व बाइक के साथ 2 इंटर स्टेट क्रिमिनल समेत 10 साइबर क्रिमिनल को गिरफ्तार किया गया.
एसपी ने बताया कि गिरफ्तार साइबर क्रिमिनल में सारवां थाना क्षेत्र के डहुआहाट गांव में रह रहा बिहार के जमुई जिले के सिमुलतल्ला थाना क्षेत्र के ढोढरी गांव निवासी मतीन अंसारी, शराफत अंसारी के अलावे सारवां थाने के सरपत्ता गांव निवासी चंदन कुमार, खैरवा गांव निवासी उत्तम कुमार, गोंदलवारी गांव निवासी चुन्नु कुमार, शेखर मंडल, हेठ सरपत्ता गांव निवासी प्रमोद कुमार व मधुपुर थाना क्षेत्र के भेड़वा गांव निवासी उप्पो कुमार दास शामिल है.
गिरफ्तार साइबर क्रिमिनल के पास से बरामद मोबाइल में अपराध से सबंधित काफी साक्ष्य मिले हैं. वहीं, उनलोगों के बरामद पासबुक से संदिग्ध ट्रांजेक्शन के भी साक्ष्य पाये गये हैं. मामले को लेकर साइबर थाने में प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही है. कोविड जांच के बाद गिरफ्तार साइबर क्रिमिनल को कोर्ट में पेश कराया जायेगा, फिर कोर्ट के निर्देश पर इन सभी को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा जायेगा.
एसपी श्री सिन्हा ने बताया कि लैपटॉप मतिन के पास से और बाईक शराफत के पास से जब्त हुआ. उक्त दोनों आरोपित बिहार से आकर सारवां के डहुआहाट में रह रहा था और यहीं से साइबर अपराध भी कर रहा था. सभी साइबर क्रिमिनल का आपराधिक रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है. प्रेस वार्ता में साइबर डीएसपी नेहा बाला, प्रभारी देवघर एसडीपीओ सह मुख्यालय डीएसपी मंगल सिंह जामुदा, साइबर थाने की इंस्पेक्टर संगीता कुमारी भी मौजूद थे.
एसपी ने जानकारी देते हुए कहा कि गिरफ्तार साइबर क्रिमिनल अलग-अलग तरीके से झांसे देकर लोगों की गाढ़ी कमाई उड़ा ले रहे हैं. पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि विभिन्न बैंकों के अधिकारी बनकर लोगों को कॉल कर वे लोग ठगी करते हैं. केवाईसी अपडेट का झांसा देकर बैंक की सारी जानकारी हासिल कर लोगों के खाते में रखे रकम को मिनटों में खाली कर देते हैं.
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फोन-पे, पेटीएम मनी रिक्वेस्ट भेजकर झांसे से ओटीपी लेने के बाद ठगी करते हैं. इतना ही नहीं ये लोग गूगल सर्चइंजन पर विभिन्न इलेक्ट्रोनिक एप्प के साईट पर जाकर उसमें भी अपना मोबाइल नंबर को ग्राहक अधिकारी के नंबर की जगह डाल देते हैं. कोई ग्राहक उस नंबर को ग्राहक सेवा अधिकारी का नंबर समझ कर डायल करते हैं और झांसे में आकर सभी जानकारी आधार नंबर आदि साझा कर देते हैं. इसके बाद उन नंबरों के लिंक खाते को वे लोग मिनटों में साफ कर देते हैं.
टीम व्यूवर, क्विक सपोर्ट जैसे रिमोट एक्सेस एप इंस्टॉल कराकर गूगल पर मोबाइल का पहला चार डिजिट नंबर सर्च करते हैं और खुद से छह डिजिट जोड़कर रेंडमली साइबर ठगी करते हैं. यूपीआइ वॉलेट से ठगी किये ग्राहकों को पुन: एकाउंट में रिफंड का झांसा देकर पीड़ित के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर में कुछ जोड़कर वर्चुअल फर्जी एकाउंट बनाने के बाद यूपीआई पिन लॉगिन कराकर भी ठगी कर रहे हैं.
Posted By : Samir Ranjan.