Jharkhand Election 2024: संताल में सियासी घमासान, जानें 18 सीटों का हाल

Jharkhand Election 2024 : संताल परगना की 18 सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होने वाले हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमो ने संताल परगना में कुल 9 सीटों पर जीत दर्ज की थी तो बीजेपी महज 4 सीटों पर सिमट कर रह गई थी. संताल इस लिए अहम हो जाता है क्योंकि यहां से सीएम हेमंत सोरेन मैदान में हैं.

By Kunal Kishore | November 19, 2024 12:34 PM
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Jharkhand Election 2024 : 20 नवंबर को दूसरे चरण की 38 सीटों पर मतदान होने वाले हैं. इन 38 सीटों में से संताल की 18 सीटों पर भी वोट डाले जाएंगे. 2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमो ने संताल परगना में कुल 9 सीटों पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस ने 5 और बीजेपी ने 4 सीटों पर जीत दर्ज की थी. झामुमो हमेशा से संताल परगना में मजबूत रही है. इस बार संताल में कौन बाजी मारेगा ये तो 23 नवंबर को मतपेटियां खुलने के बाद पता चलेगा. संताल परगना इस लिए भी अहम हो जाता है कि सीएम हेमंत सोरेन इस क्षेत्र से चुनावी रण में उतरे हैं.

मधुपुर में हफीजुल को मिल रही भाजपा के गंगा नारायण सिंह से चुनौती

झारखंड सरकार में मंत्री हफीजुल अंसारी को यहां भाजपा के गंगा नारायण सिंह से चुनौती मिल रही है. अंसारी के पिता हाजी हुसैन अंसारी मधुपुर से विधायक हुआ करते थे. कोरोना काल के दौरान उनका निधन हो गया था. इसके बाद अंसारी को मंत्री बनाया गया. उप चुनाव में वह मधुपुर से विधायक बने थे. यहां से पहले भाजपा के राज पलिवार विधायक थे. मंत्री भी रहे थे. इस बार भाजपा ने उनको टिकट नहीं दिया है.

शिबू सोरेन को हराने वाले सुनील से बसंत की टक्कर

दुमका सीट से 2019 के विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन झामुमो प्रत्याशी के रूप में जीते थे. बाद में हेमंत सोरेन ने यह सीट खाली कर दी थी. इसके बाद हुए उप चुनाव में सोरेन के भाई बसंत सोरेन जीते थे. 2019 में पहली बार हेमंत सोरेन ने भाजपा प्रत्याशी लुईस मरांडी को हराया था. उप चुनाव में बसंत सोरेन ने लुईस मरांडी को हराया था. इस बार भाजपा ने मरांडी का टिकट यहां से काट दिया है. लोकसभा चुनाव में टिकट देकर काटने वाले सुनील सोरेन को प्रत्याशी बनाया है.

भाजपा की हैट्रिक तोड़ने में जुटा राजद, तेजस्वी ने भी की सभा

इंडिया गठबंधन में देवघर सीट राजद के कोटे में गयी है. राजद से सुरेश पासवान मैदान में हैं. भाजपा ने फिर वर्तमान विधायक नारायण दास पर भरोसा जताया है. भाजपा यहां हैट्रिक लगाने की मंशा से लिए मैदान में उतरी है. बड़े-बड़े नेता रैली कर रहे हैं. वहीं सुरेश पासवान को जीतने के लिए बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की सभा भी हो चुकी है.

मुख्यमंत्री की भाभी पर दिये गये बयान ने गर्म कर दिया है माहौल

जामताड़ा में भाजपा के टिकट से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन को चुनाव मैदान में उतारे जाने से यह सीट हॉट हो गयी है. सीता सोरेन कांग्रेस के इरफान अंसारी को चुनौती दे रही हैं. वह इरफान अंसारी का हैट्रिक रोकने का प्रयास कर रही है. शुरुआती चुनाव प्रचार के दौरान ही सीता सोरेन पर की गयी टिप्पणी ने यहां के चुनावी मिजाज को गर्म कर दिया है.

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पूर्व मंत्री बादल को हैट्रिक लगाने से रोकने की कोशिश कर रहे भाजपा प्रत्याशी

जरमुंडी विधानसभा से दो बार के विधायक और एक बार मंत्री रहे बादल का हाथ कमल को रोकने की कोशिश कर रहा है. भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र कुंवर इस बार कमल खिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. वह मंत्री बादल पर मंत्री रहने पर काम नहीं करने और आसपास के लोगों पर नियंत्रण नहीं रखने का आरोप लगा रहे हैं. वहीं, बादल मंत्री रहते क्षेत्र में विकास योजनाओं की लंबी फेरहिस्त के साथ मैदान में हैं. लोगों की बीच अपनी आसान पहुंच की बात कह रहे हैं.

गोड्डा में भाजपा को हैट्रिक की उम्मीद राजद से मिली टक्कर

गोड्डा विधानसभा से भाजपा के पुराने नेता रघुनंदन मंडल के पुत्र अमित मंडल को भाजपा ने फिर प्रत्याशी बनाया है. इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार संजय यादव उनको टक्कर दे रहे हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में पिछले दो बार से भाजपा जीत रही है. राज्य बनने के बाद एक बार संजय यादव भी विधायक रहे हैं. राजद के स्टार प्रचारक तेजस्वी भी संताल परगना में सभा कर राजद के वोटरों को अपनी ओर करने की अपील कर चुके हैं.

पहली बार कांग्रेस के टिकट से विधानसभा चुनाव लड़ रहे प्रदीप यादव

पोड़ैयाहाट सीट पर प्रदीप यादव पहली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान हैं. राज्य गठन के बाद से इस सीट पर प्रदीप यादव का कब्जा रहा है. प्रदीप यादव की चुनौती देवेंद्र सिंह से है. वह भाजपा के पुराने नेता हैं. यादव पहले भाजपा और झाविमो से भी विधायक रहे हैं.

कांग्रेस की नजर सहानुभूति वोट पर भी, आजसू ने उतारा है प्रत्याशी

भाजपा पाकुड़ से सबसे अधिक घुसपैठ होने का आरोप लगाती रही है. मुस्लिम बहुल इस सीट से इंडिया गठबंधन ने पूर्व मंत्री आलमगीर आलम की पत्नी को उम्मीदवार बनाया है. आलम अभी जेल में बंद हैं. वहीं आजसू ने यहां से अजहर इस्लाम को मैदान में उतारा है. भ्रष्टाचार को मुद्दा बना रही है.

स्टीफन मरांडी पर झामुमो को फिर से भरोसा, भाजपा लगा रही ताकत

सात-सात बार दुमका से जीतने वाले झामुमो ने अपने दिग्गज नेता स्टीफन मरांडी को महेशपुर से उतारा है. मरांडी पिछली बार भी इस सीट से जीते थे. झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के करीबी स्टीफन मरांडी 2005 में दुमका से निर्दलीय चुनाव लड़ गये थे. उन्होंने हेमंत सोरेन को हराया था. झामुमो छोड़ने के बाद वह चुनाव नहीं जीत पाये थे. फिर झामुमो में चले गये. इसके बाद वह फिर चुनाव जीत गये थे. उनको चुनौती देने के लिए भाजपा ने डीएसपी का पद छोड़ने वाले नवनीत हेम्ब्रम को टिकट दिया है.

हेमंत के सामने आजसू पार्टी से आये गमालियल दे रहे हैं चुनौती

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तीसरी बार इस सीट से चुनाव मैदान में हैं. दो बार यहां से चुनाव जीत चुके हैं. पिछली बार दुमका और बरहेट, दोनों विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते थे. उसके बाद दुमका सीट छोड़ दी थी और बरहेट के जनप्रतिनिधि बने रहे थे. राज्य का नेतृत्व करने के साथ-साथ विपक्ष द्वारा खुद और समर्थकों को परेशान किये जाने की बात कह रहे हैं. भाजपा ने आजसू से आये गमालियल हेम्ब्रम को प्रत्याशी बनाया है.

महागामा से फिर दबदबा कायम करने में जुटी दीपिका, कांग्रेस ने जताया भरोसा

सरकार का कार्यकाल पूरा होने के कुछ समय पहले कांग्रेस कोटे से दीपिका पांडेय सिंह मंत्री बनी थी. कुछ महीनों के कार्यकाल में ही विभाग की कई योजनाओं को क्षेत्र में लेकर गयीं. कांग्रेस के यूथ विंग के लिए भी काम करने वाली दीपिका पर कांग्रेस ने फिर भरोसा जताया है. वहीं अशोक भगत भाजपा के उम्मीदवार हैं. 2014 में वह विधायक भी रहे और 2019 में उन्हें दीपिका पांडेय सिंह से हार का सामना करना पड़ा. एक बार फिर इस क्षेत्र में कमल खिलाने की जिम्मेदारी भाजपा ने दी है.

झामुमो से निष्कासित लोबिन हेम्ब्रम को बीजेपी ने मैदान में उतारा

संताल परगना में बोरियो की सीट पर सबकी नजर है. झामुमो के बागी लोबिन हेम्ब्रम भाजपा के टिकट से चुनावी मैदान में हैं. 2005 और 2014 में भाजपा प्रत्याशी ताला मरांडी इस सीट से जीते थे. इस बार भाजपा ने झामुमो के टिकट से 2019 में जीते लोबिन हेम्ब्रम को प्रत्याशी बनाया है. झामुमो ने धनंजय सोरेन पर विश्वास जताया है.

लिट्टीपाड़ा में झामुमो ने हेमलाल पर जताया भरोसा, भाजपा से बाबूधन प्रत्याशी

लिट्टीपाड़ा सीट पर झामुमो ने इस बार हेमलाल मुर्मू पर भरोसा जताया है. मुर्मू झामुमो के दिग्गज नेता रहे हैं. एक बार झामुमो छोड़कर भाजपा में चले गये थे. 40 साल से जिस परिवार का इस सीट पर कब्जा था, उनका टिकट काटकर झामुमो ने दांव खेला है. 40 साल से यह सीट साइमन मरांडी परिवार के कब्जे में था. पिछले चुनाव में साइमन के बेटे दिनेश विलियम मरांडी जीते थे. भाजपा ने यहां से बाबूधन मुर्मू को टिकट दिया है. वह पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं.

नाला में विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो मैदान में

नाला सीट से विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो चुनाव मैदान में हैं. भाजपा ने माधव चंद्र महतो को अपना प्रत्याशी बनाया है. 2009 में भाजपा से सत्यानंद झा जीते थे. झा अर्जुन मुंडा सरकार में कृषि मंत्री थे. टिकट नहीं मिलने पर वह बागी भी हो गये थे. बाद में पार्टी ने उनको मना लिया है. विधानसभा अध्यक्ष झामुमो के दिग्गज नेता रहे हैं. सदन का संचालन करने के साथ अपने क्षेत्र में भी सक्रिय रहे हैं. माधव चंद्र पिछली बार आजसू से चुनाव लड़े थे.

झामुमो का गढ़ रहा है शिकारीपाड़ा भाजपा कर रही सेंधमारी करने की कोशिश

झामुमो का गढ़ माने जाने वाली शिकारीपाड़ा सीट पर भाजपा सेंधमारी की कोशिश में है. इस सीट से नलिन सोरेन सात बार विधायक रहे. पहली बार दुमका से सांसद बने हैं. झामुमो ने उनके पुत्र आलोक कुमार सोरेन को टिकट दिया है. भाजपा ने एक बार फिर चार बार हारने वाले पारितोष सोरेन पर दांव खेला है. पारितोष सोरेन इस बार झामुमो के गढ़ में कमल खिलाने की कोशिश कर रहे हैं.

राजमहल से अनंत ओझा हैट्रिक लगाने के प्रयास में, झामुमो ने एमटी राजा पर खेला दांव

राजमहल सीट पर झामुमो के प्रत्याशी एमटी राजा हैं. एमटी राजा पिछली बार आजसू से लड़े थे. वह तीसरे स्थान पर थे. इसी विधानसभा से घुसपैठिया का मुद्दा उठा है. यहां के वर्तमान विधायक भाजपा के अनंत ओझा इस मुद्दे को लेकर सड़क से सदन तक हल्ला करते रहे हैं. वह पिछले दो बार से विधायक रहे हैं. झामुमो यह सीट जीतकर भाजपा को चौथी बार जीतने से रोकना चाह रही है.

भाजपा छोड़ कर झामुमो आई लुईस मरांडी को भाजपा के सुरेश दे रहे टक्कर

जामा सीट 2009 से झामुमो के कब्जे में है. यहां से सीता सोरेन विधायक थी. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सीता सोरेन भाजपा में चली गयी थी. भाजपा ने सीता सोरेन को जामताड़ा से मैदान में उतार दिया है. दुमका सीट से एक बार जीतने वाली लुईस मरांडी का टिकट भाजपा ने काट दिया था. मरांडी ने झामुमो का दामन थाम लिया है. जामा में उनकी टक्कर सुरेश मुर्मू से है. भाजपा के सुरेश मुर्मू तीन बार यहां से चुनाव लड़ चुके हैं. 2005 में भाजपा यह सीट जीत भी चुकी है.

सारठ से रणधीर सिंह को मिल रही कड़ी टक्कर, रोचक मुकाबला होने की उम्मीद

सारठ का चुनाव रोमांचक हो गया है. चुन्ना सिंह के मैदान में आने से पूर्व मंत्री रणधीर सिंह को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. दोनों की अपनी-अपनी ताकत है. भूमिहार समुदाय से आने वाले दोनों प्रत्याशी अपने-अपने समाज में पकड़ बनाने में लगे हैं. उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह इस क्षेत्र के विधायक रह चुके हैं. झामुमो प्रत्याशी चुन्ना सिंह को पारंपरिक मतदाताओं के साथ पुराने समर्थकों पर भी पूरा भरोसा है.

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