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Jharkhand Election: संताल परगना के नेताओं ने खेली है लंबी पारी, कोई 9 बार तो कोई 8 बार रहे विधायक

विशेश्वर खां का जीवनकाल 94 साल का रहा. इसमें से 45 साल वह विधायक रहे. नौ बार उन्होंने नाला विधानसभा क्षेत्र का नेतृत्व किया. 1962 से उनका विजयी अभियान शुरू हुआ. एक बार छोड़ कर वर्ष 2000 तक लगातार चुनाव जीते.

By Kunal Kishore | October 23, 2024 10:19 AM
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Jharkhand Election, संजीत मंडल (देवघर) : संताल परगना राजनीतिक रूप से काफी सक्रिय क्षेत्र रहा है. इस क्षेत्र को दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने अपनी कर्म भूमि बनायी. बाबूलाल मरांडी का भी यह पसंदीदा क्षेत्र रहा है. यहां कई ऐसे नेता हुए हैं या अभी हैं, जिन्हें क्षेत्र की जनता ने अपार स्नेह दिया है. यही कारण है कि संताल परगना के एक क्षेत्र से 45 सालों तक एक ही व्यक्ति विधायक बने रहे. इनमें से एक हैं सीपीआइ के विशेश्वर खां. स्टीफन मरांडी लगातार दुमका से 6 बार और महेशपुर से दो टर्म यानी कुल आठ बार विधायक का चुनाव जीते हैं. इस तरह वह भी 40 सालों से विधायक हैं. वहीं संताल परगना के एक और नेता हैं नलिन सोरेन. उनका भी रिकॉर्ड रहा है. वह सात बार लगातार शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गये हैं. इस साल 2024 में वह दुमका से लोकसभा जीते हैं.

नौ टर्म विशेश्वर खां ने नाला विस सीट का किया नेतृत्व

विशेश्वर खां का जीवनकाल 94 साल का रहा. इसमें से 45 साल वह विधायक रहे. नौ बार उन्होंने नाला विधानसभा क्षेत्र का नेतृत्व किया. 1962 से उनका विजयी अभियान शुरू हुआ. एक बार छोड़ कर वर्ष 2000 तक लगातार चुनाव जीते. अलग राज्य गठन के बाद वे झारखंड विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर भी रहे. उनको पहली बार कांग्रेस की राजकुमारी हिम्मत सिंघका ने 1990 में हराया था. इस चुनाव में वह श्रीमती सिंघका से 5163 मतों के अंतर से हार गये थे. 1962 से पूर्व विधानसभा में दो-दो विधायक होते थे. इसी वक्त परिसीमन तय होकर एक-एक विधानसभा में एक-एक विधायक का चुनाव होने लगा. नाला से इनके हटने के बाद वहां से कभी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी चुनाव नहीं जीत पायी. पहले चुनाव में विशेश्वर खां 8082 मतों से जीते थे. अंतिम चुनाव में उन्होंने झामुमो के रवींद्र नाथ महतो को मात्र 634 मतों से हराया था.

एक बार निर्दलीय व आठ टर्म जेएमएम से विधायक बने स्टीफन

स्टीफन मरांडी जेएमएम के कद्दावर नेताओं में से एक हैं. वे पहली बार 1980 में जेमएमए के टिकट पर दुमका रिजर्व सीट से लड़े और जीते. उसके बाद 1985, 1990, 1995, 2000, 2005, 2014 और 2019 में लगातार विधानसभा चुनाव जीते. सिर्फ 2005 को छोड़ अन्य सभी चुनाव उन्होंने जेएमएम के टिकट पर लड़ा. 2005 में वह दुमका सीट से निर्दलीय चुनाव लड़े थे और हेमंत को तीसरे नंबर पर पहुंचा दिया था. स्टीफन ने 2009 में कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ा लेकिन उनके हाथ नाकामी लगी. 6 टर्म दुमका से विधायक रहने के बाद जेएमएम ने उन्हें महेशपुर सुरक्षित सीट से प्रत्याशी बनाया. उसके बाद 2014 और 2019 के चुनाव में वे महेशपुर से ही विधायक हैं. झामुमो ने उन्हें 2024 में भी महेशपुर से उम्मीदवार बनाया है.

1990 से 2019 तक शिकारीपाड़ा से जीतते रहे हैं नलिन

शिकारीपाड़ा (एसटी) विधानसभा सीट झारखंड के दुमका जिले में आता है. यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. शिकारीपाड़ा को झामुमो का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है. वर्ष 1990 से वर्ष 2019 तक लगातार नलिन सोरेन जीत रहे हैं. शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र में दलित समुदाय के नेता की पहचान रखने वाले श्री सोरेन की किसानों और मजदूर वर्ग के मतदाताओं में अच्छी पैठ है. नलिन सोरेन ने शिकारीपाड़ा निर्वाचन क्षेत्र से वर्ष 1990, 1995, 2000, 2005, 2009, 2014 और 2019 के चुनावों में जीत दर्ज की.

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