Jharkhand News: झारखंड हाइकोर्ट (Jharkhand Highcourt) ने देवघर में गत 10 अप्रैल, 2022 को हुई त्रिकूट पर्वत रोपवे हादसे (Trikoot mountain ropeway accident) को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दाैरान पक्ष सुनने के बाद राज्य सरकार से पूछा कि हादसे की रिपोर्ट कब तक आयेगी. घटना हुए सात माह गुजर गया है आैर अब तक रिपोर्ट नहीं आयी है. हादसे की जांच किस स्तर पर है और कितना समय लगेगा. खंडपीठ ने अगली सुनवाई के दाैरान रिपोर्ट पेश करने को कहा. मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी.
सिंफर ने अपनी रिपोर्ट पेश कर दी
इससे पूर्व राज्य सरकार की अोर से अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि हादसे की जांच हुई है. उन्होंने रिपोर्ट पेश करने के लिए समय देने का आग्रह किया. वहीं, सेंट्रल इंस्टीट्यूट अॉफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च धनबाद (सिंफर) ने अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है. सिंफर की अोर से अधिवक्ता अभय प्रकाश ने पैरवी की.
हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया
मालूम हो कि त्रिकूट रोपवे हादसे को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. साथ ही मामले में सरकार को रिपोर्ट पेश करने को कहा गया था. कोर्ट ने यह भी कहा था कि भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो, ऐसी व्यवस्था करने का निर्देश दिया था.
बाबा बैद्यनाथ धाम-बासुकीनाथ श्राइन एरिया बोर्ड से सूचना उपलब्ध कराने मामले की सुनवाई
इधर, बाबा बैद्यनाथ धाम-बासुकीनाथ श्राइन एरिया बोर्ड सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के दायरे में आता है. कोई भी व्यक्ति बोर्ड से सूचना मांगता है, तो उसके जन सूचना पदाधिकारी सूचना उपलब्ध करायेंगे. उक्त जानकारी राज्य सरकार की अोर से अधिवक्ता पीयूष चित्रेष ने शुक्रवार को जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान झारखंड हाइकोर्ट को दी. हाइकोर्ट बाबा बैद्यनाथ धाम-बासुकीनाथ श्राइन एरिया बोर्ड द्वारा सूचना उपलब्ध नहीं कराने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई. अन्य बिंदुअों पर मामले की अगली सुनवाई के लिए 23 नवंबर की तिथि निर्धारित की गयी.
प्रार्थी ने हाईकोर्ट में दायर की थी याचिका
इससे पूर्व प्रार्थी धनंजय कुमार झा ने मामले की सुनवाई के दाैरान स्वयं पक्ष रखा. इससे पूर्व श्राइन बोर्ड ने आवेदक (प्रार्थी) धनंजय कुमार झा द्वारा मांगी गयी सूचना के संबंध में पत्र जारी कर कहा था कि बाबा बैद्यनाथ मंदिर, देवघर को केंद्र अथवा राज्य सरकार से कोई वित्तीय सहायता नहीं मिलती है. वह सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के दायरे में नहीं आता है. इसलिए मांगी गयी सूचना उपलब्ध नहीं करायी जा सकती है. सूचना नहीं मिलने पर प्रार्थी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की.