Jharkhand Village Story: झारखंड के इस गांव का नाम सुनते ही हंसने लगते हैं लोग, आप भी नहीं रोक पाएंगे हंसी?
झारखंड के देवघर जिले के मधुपुर प्रखंड की गौनेया पंचायत में एक गांव है. इसका नाम लेने में लोगों को काफी शर्म आती है. स्कूल व कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों का गांव का नाम लेने पर काफी मजाक उड़ाया जाता है. दोस्त भी इनका कभी-कभी मजाक बना देते हैं.
देवघर, अमरनाथ पोद्दार. झारखंड के देवघर जिले में एक ऐसा गांव है, जिसका नाम बताने में ग्रामीणों को काफी शर्म आती है. आसपास के गांववाले हों या रिश्तेदार. स्कूल-कॉलेज हो या सरकारी दफ्तर. गांव का नाम बताते ही लोग मजाक उड़ाने लगते हैं. इस गांव के लोग अपने गांव के नाम से काफी फजीहत झेलते रहते हैं. ऐसे में इन्होंने इस गांव का नाम बदलने की योजना बनायी है. जल्द ही इस गांव का नाम बदल दिया जाएगा, ताकि ग्रामीणों को अपने गांव का नाम बताने में शर्मिंदगी नहीं झेलनी पड़े और फख्र से लोग अपने गांव का नाम बता सकें.
काफी शर्म आती है गांव का नाम बताने में
देवघर जिले के मधुपुर प्रखंड की गौनेया पंचायत में एक गांव है. इसका नाम लेने में लोगों को काफी शर्म आती है. स्कूल व कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों का गांव का नाम लेने पर काफी मजाक उड़ाया जाता है. दोस्त भी इनका कभी-कभी मजाक बना देते हैं. एक बार तो दूसरे गांव में यज्ञ हो रहा था व मंच से किसी लड़के का परिचय मजाकिया लहजे में बिल्ली के बच्चे से कर दिया गया. हालांकि इससे कोई विवाद नहीं हुआ, लेकिन लोगों ने खूब ठहाके लगाये. इस घटनाक्रम के बाद गांव के लोगों को अपने गांव का नाम बताने में काफी शर्म आने लगी.
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सरकारी दस्तावेजों में इस गांव का नाम बिल्ली है. इस नाम के कारण सरकारी कार्यालय के बाबूओं को भी संशय होती है. भला किसी गांव का नाम बिल्ली कैसे हो सकता है. ऐसा संदेह होने पर सरकारी बाबूओं को दोबारा सत्यता के लिए छानबीन करनी पड़ती है. इस तरह रोज-रोज की नयी-नयी फजीहत आने पर अब पंचायत ने बिल्ली गांव का नाम ही बदलकर बाबा साहेब आंबेडकर के नाम से आंबेडकर ग्राम रखने का प्रस्ताव तैयार करने की योजना बनायी है. करीब 1200 आबादी वाले इस बिल्ली गांव में कई समुदाय के लोग एक साथ रहते हैं. इस बिल्ली गांव का भी शिक्षा के क्षेत्र में अपना इतिहास है. बिल्ली गांव के कई लोग शिक्षक, इंजीनियर समेत अन्य सरकारी नौकरियों में हैं. ग्रामीणों का कहना है कि पूर्वजों के समय से ही उनके गांव का नाम बिल्ली है.
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ग्रामीण रवि दास बताते हैं कि गांव का नाम बिल्ली तो सरकारी दस्तावेजों में जरूर है, लेकिन जब हमलोग कहीं रिश्तेदारी में जाते हैं और गांव का नाम बिल्ली बताते हैं तो आश्चर्य व्यक्त करते हुए लोग हंसने लगते हैं. हमलोगों की इच्छा है कि अब गांव का नाम आंबेडकर ग्राम रखा जाये.
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गौनेया पंचायत के मुखिया मुकेश दास ने कहा कि बिल्ली बड़ी आबादी वाला गांव है. शिक्षा के क्षेत्र में यह गांव काफी आगे हैं. अक्सर इस गांव के छात्र उन्हें बिल्ली गांव के नाम को लेकर शिकायत करते हैं. गांव के नाम बताने पर मजाक व हंसी-ठिठोली होने लगती है. दस्तावेजों में भी इस गांव के नाम पर अक्सर संशय हो जाता है. हालांकि कोई विवाद नहीं हुआ है, लेकिन बिल्ली गांव का नाम बदलकर कर बाबा साहेब के सम्मान में आंबेडकर ग्राम रखने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. सभी सरकारी दस्तावेजों में भी यही नाम रखने का प्रस्ताव राजस्व विभाग को दिया जायेगा.
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