Loading election data...

कादर: अघोषित जनजाति, मिट्टी से जुड़ कर जीवन यापन में है महारत

इसे केरल व तमिलनाडु राज्य से इस क्षेत्र में घूमते व पहाडों आदि में रहते हुए अपना आसियाना पूर्वोतर क्षेत्र के मैदानी भाग में बना लिया. इस जाति को चूंकि घूमना पसंद है इस कारण ये जहां भी हैं, वहां कबिले नुमाबस्ती बनाकर रहते हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | August 4, 2023 12:38 PM

निरभ किशोर :

कादर…इस जाति का उल्लेख संताल परगना गजेटियर में है. मुख्य रूप से कादर जाति को बिहार व झारखंड में पिछड़ी जाति में बताया गया है. जबकि इस जाति का उल्लेख रिसर्च पर्सन द्वारा डीनोटिफाइड ट्राइबल यानी अघोषित जनजाति के रूप में बताया जाता है. कादर जाति का इतिहास के तरफ जाये तो मुख्य रूप से दक्षिणी भारत से घूमकर यानी घुमंतु भोटिया की तरह आज पूर्वोत्तर भारत खासकर बिहार व झारखंड के भागलपुर प्रमंडल एवं संताल परगना के जिलों में बड़ी व विरल आबादी के रूप में देखी जा रही है.

इस जाति के बारे में कुछ लेखकों द्वारा उल्लेख में इसे दक्षिण भारत के एक जनजाति के रूप में बताया गया है. इसे केरल व तमिलनाडु राज्य से इस क्षेत्र में घूमते व पहाडों आदि में रहते हुए अपना आसियाना पूर्वोतर क्षेत्र के मैदानी भाग में बना लिया. इस जाति को चूंकि घूमना पसंद है इस कारण ये जहां भी हैं, वहां कबिले नुमाबस्ती बनाकर रहते हैं.

कादर जाति के बारे में जानकारी है कि कादर जाति यानी कादो गिली व कठोर मिट्टी को काटने वाला जाति है. इसे मिट्टी के साथ रहना व मिट्टी के घर में ही रहना पसंद है. मिट्टी के घर के अलावा पक्का का एक भी घर इस जति ने लोगों का अब तक नहीं देखा गया है. मगर सरकार की योजनाओं का फायदा आवास के मामले में जाति को मिला है. कादर जाति अपने में संपूर्ण एक ऐसी जाति के रूप में है जो आज प्रीमिटिव जाति की श्रेणी में माना जाता है.

इस जाति की जनसंखया कम होने के कारण भी इसका प्रभाव समाज में कम देखा जाता है. जाति का काम मुख्य रूप से खेतिहर मजदूर के रूप में है. इस जाति समाज के लोगों का बिहार व झारखंड के संताल परगना क्षेत्र में आजादी से पहले से ही बेहतर समय रहा है. पहले जाति की जनसंख्या अनुमान के मुताबिक करीब आठ से दस हजार की थी जो आज कमोवेश तीन से चार हजार तक रह गयी है. साथी संस्था के डॉ नीरज बताते है बिहार के भागलपुर प्रमंडल के बांका व भगालपुर के आस पास के इलाके में इस जाति की करीब दो हजार जनसंख्या बतायी जा रही है.

उपलब्ध जानकारी के मुताबिक 2011 के मुताबिक बिहार में दो हजार की बतायी जा रही है. जबकि झारखंड के संताल पगरना की बात की जाय तो दो से तीन हजार तक ही संभव है. यह जाति दुमका के सरैयाहाट , जरमुंडी व रामगढ़ प्रखंड के अलावा देवघर के मोहनपुर के आस पास गांव के अलावा गोड्डा तथा पोड़ैयाहाट के अलावा कुछ पथरगामा व महागामा में बसे हैं. बिहार के बांका के अलावा सीमावर्ती धौरेया, बाराहाट , पुनसिया, सन्हौला, भेंडा , श्यामबाजार के अलावा पूर्णिया जिले में भी कुछ आबादी पायी जाती है.

कद छोटा , चिपटी नांक ,घुघरैले बाल , गठीला शरीर व काला रंग इस जाति की पहचान: कादर जाति अपने कद के मायने में काफी छोटा देखा जाता है. एक- दो को छोड़कर बाकी इस समुदाय के लोगों की हाइट करीब साढे चार से साढे पांच फीट तक की ही होती है. इसके लोगों की आंखें गोल तथा नाक चिपटी अंदर धंसी हुई होती है. चेहरा चिपटा, ठूढी के पास भी धंसा हुआ होता है. काले व श्याम रंग के ही इस जाति के लोग देखे जाते हैं.

लंबाई कम होने की वजह से इनके गठीले शरीर वास्तिक रूप से इसे मिट्टी से जोड़कर काम करने के लिये बेहतर क्षमता प्रदान करता है. कादर जाति के बारे में यह भी देखा जाता है कि मिट्टी प्रेमी होने के साथ साथ इस जाति के लोगों के काम करने की क्षमता सबसे ज्यादा होती है. यानी ट्राइबल के कुछ गुण व लक्षण दिखने को मिलता है. वजह है कि इस जाति को शिकारी प्रवृत्ति का भी माना जाता है. चूहे के बिल में हाथ डालकर आराम से उसे पकड़ लेना, बड़े मेढ़क व चूहा इसे भोजन के रूप में प्रिय लगता है.

हालांकि इस जाति को मछली पकड़ने में इसे महारत हासिल रहता है. कम पानी में भी छोटे से बांस के बने जाले का सहारा लेकर मछली, जंगली मछली या फिर पानी वाले स्थान में मच्छरदानी का सहारा लेकरी मछली पकडते देखे जा सकते हैं. इस जाति में समय के अनुसार बदलाव भी काफी देखा जा रहा है. खास कर कादर जाति के लगभग लोग दैनिक मजूदरी या फिर सीमांत व बड़े किसान के साथ मिलकर खेती कार्य में लगे हैं.

खेती के उपरांत ईंट के भट्टे में महिला व पुरूष एक साथ काम करते देखा जा सकता है. जब क्षेत्र में इसे काम नहीं मिलता है तो यह अन्य राज्यों में राजस्थान , हरियाणा , पंजाब आदि के लिये पलायन करने में भी जरा भी परहेज नहीं करते हैं. डॉ नीरज के अनुसार, इसे ट्राइबल नहीं माना गया है. मगर स्वभाव से घुमंतू होने के कारण यह ट्राइबल की प्रवृति का है. अघोषित जनजाति कादर के बारे में यह भी बताया जाता है कि इस जाति को अंग्रेज यानि ब्रिटिश हुकूमत के समय इसे क्रिमनल या अपराधी प्रवृति के जाति यप में ,,कई अन्य जातियों की तरह उल्लेखित किये जाने की वजह से ट्राइबल सूची से बाहर रखा गया. इस जाति में बाल विवाह सबसे ज्यादा देखा जाता है.

Next Article

Exit mobile version