झारखंड: जमीन विवाद में हत्या मामले में अदालत ने सुनायी सजा, 2 दोषियों को उम्रकैद, 8 को बॉन्ड पर छोड़ा
सूचक जान मोहम्मद की जमीन पर बनी बाउंड्री वॉल को आरोपियों ने जबरन तोड़ दिया था. साथ ही जमीन पर दखल की मंशा से समतल करने का कार्य आरंभ किया था. सूचक के साथ लाल मोहम्मद भी उक्त स्थल पर मौजूद था. मौका पाकर आरोपियों ने मारपीट आरंभ कर दी एवं लाल मोहम्मद को पेट में चाकू घोंप दी थी.
देवघर, फाल्गुनी मरीक कुशवाहा. कुंडा थाना के बलियाचौकी गांव के लाल मोहम्मद हत्याकांड में मंगलवार को फैसला सुनाया गया. यह फैसला प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश दिवाकर पांडेय की अदालत से आया. इसमें 10 आरोपियों को दोषी करार दिया गया. इसके बाद दोषी करार दिए गये अभियुक्तों में से दो अभियुक्तों बसंत पुरी एवं लोबिंद पुरी उर्फ लोबिन भारती को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी. दोनों अभियुक्तों पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया. यह राशि नहीं देने पर अलग से एक साल की सश्रम कैद की सजा काटनी होगी. इसी मामले के आठ दोषियों राजेश पुरी, अशोक पुरी, मनोज भारती, राजू भारती उर्फ राजू पुरी, प्रकाश पुरी, जितेंद्र भारती, संजय मंडल एवं नेपाल पुरी को प्रोबेशन का लाभ देते हुए 10 हजार रुपये के बॉन्ड दाखिल करने पर छोड़ा गया. इन आठों अभियुक्तों को घटना के दौरान उपद्रव करने या भड़काने का दोषी पाया गया, जिन्हें अदालत ने एक साल तक अच्छा व्यवहार बनाये रखने की हिदायत दी.
2017 का है मामला
सभी अभियुक्त कुंडा थाना के बलियाचौकी गांव के रहने वाले हैं. यह मुकदमा जान मोहम्मद के बयान पर 16 नंबर 2017 को कुंडा थाना में दर्ज हुआ था. इसमें जमीन को लेकर हुए विवाद के दौरान चाकू मारकर लाल मोहम्मद की हत्या करने का आरोप था. मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष से प्रभारी लोक अभियोजक एसके मंडल ने घटना के समर्थन में 10 लोगों की गवाही दिलायी एवं दोष सिद्ध करने में सफल रहे. बचाव पक्ष से अधिवक्ता सुनील मंडल ने पक्ष रखा.
क्या था मामला
दर्ज प्राथमिकी के अनुसार सूचक जान मोहम्मद की जमीन पर बनी बाउंड्री वॉल को आरोपियों ने जबरन तोड़ दिया था. साथ ही जमीन पर दखल की मंशा से समतल करने का कार्य आरंभ किया था. सूचक के साथ लाल मोहम्मद भी उक्त स्थल पर मौजूद था. मौका पाकर आरोपियों ने मारपीट आरंभ कर दी एवं लाल मोहम्मद को पेट में चाकू घोंप दी थी. फिर माथा व शरीर के कई जगहों पर चाकू से वार किया, जिससे वह गंभीर रूप से जख्मी हो गया एवं सदर अस्पताल के चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया. केस दर्ज होने के बाद पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया. इसके बाद केस को कमिट कर सेशन कोर्ट ट्रायल के लिए भेजा गया. अदालत में सूचक ने न्याय के लिए छह साल से अधिक कानूनी लड़ाई लड़ी और अंतत: न्याय मिला.