बाबा बैद्यनाथ की जटा से निकलीं मां गंगा का बाबानगरी में विशेष महत्व, वैदिक विधि से होती है पूजा
बाबा बैद्यनाथ मंदिर प्रांगण में बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, मां पार्वती सहित विभिन्न देवी-देवताओं के कुल 22 मंदिर अवस्थित हैं. मंदिरों का अपना पौराणिक इतिहास व महत्ता है. भक्ति से ओत-प्रोत हर एक मंदिर की जानकारी आपको दी जायेगी. आज पढ़ें गंगा मंदिर के बारे में...
Baba Dham Deoghar: देवघर के बाबा मंदिर में स्थित सभी 22 देवी देवताओं का अलग अलग महत्व है. सभी मंदिरों का अपना पौराणिक इतिहास व महत्ता है. इनके निर्माण व निर्माणकर्ता के बारे में रोचक कहानियां हैं. सावन के पहले दिन हमने आपको मां पार्वती मंदिर के बारे, दूसरे दिन मां जगतजननी व मां संकष्टा मंदिर, तीसरे दिन भगवान गणेश मंदिर, चौथे दिन मां संध्या मंदिर, पांचवे दिन चतुर्मुखी ब्रह्मा मंदिर, छठे दिन महाकाल भैरव मंदिर, सातवें दिन भगवान हनुमान के मंदिर, आठवें दिन मां मनसा मंदिर, नौवें दिन मां सरस्वती मंदिर, दसवें दिन बगलामुखी मंदिर, ग्यारहवें दिन सूर्य नारायण मंदिर और बारहवें दिन राम, सीता, लक्ष्मण मंदिर के बारे में जानकारी दी. आज हम आपको गंगा मंदिर के बारे में बताएंगे.
घंटों कतार में लगकर भक्त करते हैं मां गंगा की पूजा
12 ज्योतिर्लिंगों में से द्वादश ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ मंदिर और इनके प्रांगण की सभी मंदिरों का पौराणिक महत्व है. इनमें सर्वाधिक महत्व बाबा की पूजा के उपरांत के बाबा वैद्यनाथ की जटा से निकलीं मां गंगा की पूजा का महत्व है. जहां भक्त पूजा करने के लिए घंटों कतार में लग कर मां गंगा की पूजा करते हैं. इस मंदिर का निर्माण 19 सदी में भवप्रिता नंद ओझा ने इसका निर्माण कराया. यह मंदिर मुख्य मंदिर के पीछे पश्चिम व उत्तर के कोने की तरफ स्थित है. यह राम मंदिर व आनंद भैरव मंदिर के सामने की तरफ है. गंगा मंदिर की बनावट अन्य मंदिरों से अलग है. यह सबसे छोटा मंदिर है. गंगा मंदिर षट्भुज आकार का यह मंदिर है. इस गंगा मंदिर का शिखर इसकी लंबाई लगभग 20 चौडाई 10 फीट है. गंगा मंदिर के शिखर पर तांबे का कलश सहित त्रिशूल लगा है. जिसमें पंचशूल नहीं लगा है. इस मंदिर का दरवाजा दक्षिण मुख की ओर है.
मां गंगा की वैदिक विधि से की जाती है पूजा
इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए सामने पीतल के दरवाजे को भक्त प्रणाम कर सिर झुका कर गर्भ गृह में पहुंचते हैं. जहां मां गंगा के दर्शन होते हैं. जहां मां गंगा की खड़ी मुद्रा में सफेद संगमरमर पत्थर की मूर्ति स्थापित है. इस मूर्ति की हाइट 2 फीट है. मां गंगा की चार हाथों वाली मूर्ति है. जो अपने वाहन मगरमच्छ पर खड़ी है. यहां पर भक्तों वह पुजारी सभी के लिए प्रवेश व निकास द्वार का एक ही रास्ता है. यहां पर मां गंगा की वैदिक विधि से पूजा की जाती है. इस मंदिर में खवाड़े परिवार की ओर से प्रतिदिन पूजा की जाती है. इसके अलावा खवाड़े परिवार वंशज के द्वारा अपने यजमान को संकल्प पूजा कराने के लिए यहा पर रहते हैं.
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