मधुपुर. शहर के भेड़वा नावाडीह स्थित राहुल अध्ययन केंद्र में शुक्रवार को धरती आबा बिरसा मुंडा व सिखों के प्रथम गुरु नानक की जयंती मनायी गयी. इस अवसर पर विभूतियों की तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया गया. अधिवक्ता धनंजय प्रसाद ने कहा कि धरती आबा वीर बिरसा मुंडा साम्राज्यवादी विरोधी संघर्ष के महानायक थे. उन्होंने ही आंबुआ दिशुम रे आंबुआ राज, नारा बुलंद किया था. उन्होंने ताजिंदगी समाज, देश व जनमानस के हित में संघर्ष करते हुए अपने को आहूत कर दिया था. उनकी कुर्बानी को भूलाया नहीं जा सकता है. उनकी जयंती पर झारखंड अलग राज्य बना, पर आज तक उनके सपनों राज्य नहीं बन पाया है. उन्होंने कहा कि गुरु नानक अपने ज्ञान व सदाचार के प्रकाश से समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर कर प्रकाशित करने वाले थे, इसलिए उनकी जयंती प्रकाश पर्व के रूप में मनायी जाती है. इस मौके पर महाकवि जयशंकर प्रसाद व प्रिय कवि कुंवर नारायण की पुण्यतिथि पर भी उन्हें याद किया गया. उन्होंने कहा कि महाकवि जयशंकर प्रसाद छायावाद के चार स्तंभों में से एक थे, वो बहुमुखी प्रतिभा संपन्न व्यक्ति थे. ———————————————————————————– सिखों के प्रथम गुरु होने के साथ ही धर्म सुधारक थे गुरु नानक
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