महाशिवरात्रि: नहीं होगा बाबा का श्रृंगार, सेंट्रल जेल का मुकुट जायेगा बासुकिनाथ मंदिर, निकलेगी पारंपरिक बारात
पूर्व से चली आ रही परंपरा के अनुसार महाशिवरात्रि के अवसर पर बाबा मंदिर प्रशासनिक भवन से पारंपरिक बारात निकाली जायेगी. यह बारात रात करीब सवा नौ बजे से ढोल-नगाड़े की थाप पर मंदिर कर्मी शरु राउत मशाल जलाकर बारात की अगुवाई करेंगे.
देवघर, संजीव मिश्रा. महाशिवरात्रि में अब नौ दिन शेष बचे हैं. शिव मंदिरों की पूजा करने की परंपरा अलग-अलग मंदिरों की अपनी अलग पूजा पद्धति रही है, लेकिन बाबा मंदिर में महाशिवरात्रि के अवसर पर पूर्व से चली आ रही परंपरा के अनुसार बाबा भोले नाथ का श्रृंगार पूजा नहीं की जाएगी. इस दिन हर दिन की तरह सेंट्रल जेल से कैदियों द्वारा बनाया गया मुकुट बाबा मंदिर भेजने की परंपरा नहीं होगी. कैदियों के द्वारा मुकुट बनाया जायेगा, लेकिन महाशिवरात्रि के दिन इस मुकुट को बासुकिनाथ भेजा जायेगा. जेल के कर्मचारी पूरी पवित्रता के साथ बासुकिनाथ मंदिर को सौंपेंगे. बाबा मंदिर में रात नौ बजे तक जलार्पण के बाद मंदिर का पट बंद कर दिया जायेगा. साढ़े नौ बजे से बाबा भोले नाथ की चार पहर की विशेष पूजा की जायेगी. इसके लिए मंदिर प्रशासन ने तैयारी तेज कर दी है.
निकलेगी पारंपरिक बारात, सरदार पंडा करेंगे पूजा
पूर्व से चली आ रही परंपरा के अनुसार महाशिवरात्रि के अवसर पर बाबा मंदिर प्रशासनिक भवन से पारंपरिक बारात निकाली जायेगी. यह बारात रात करीब सवा नौ बजे से ढोल-नगाड़े की थाप पर मंदिर कर्मी शरु राउत मशाल जलाकर बारात की अगुवाई करेंगे. वहीं बारात के साथ सरदार पंडा श्रीश्री गुलाबनंद ओझा, आचार्य गुलाब पंडित,उपचारक भक्ति नाथ फलहारी सहित चार प्रहार पूजा में लगने वाले सभी पूजा सामग्री को लेकर भंडारी एवं सिकदार निकास द्वार पहुंचेगे. बारात को यहां संपन्न कर सभी लोग गर्भगृह में प्रवेश करेंगे. उसके बाद बाबा भोलेनाथ की चार प्रहर पूजा प्रारंभ होगी.
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विग्रह पर होगा सिंदूर दान
चली आ रही परंपरा के अनुसार बाबा की चार बार पूजा की जाएगी. हर पहर में बाबा को दूध, दही, घी, मधु, शक्कर, गुलाबजल, इत्र आदि अर्पित करने के बाद बाबा के ऊपर चावल ढाभ, धतूरा आदि अर्पित करने के बाद धोती-चादर चढ़ाया जायेगा. उसके बाद बाबा को वर की तरह माला आदि पहनाकर दूल्हे की तरह सजाने के बाद विग्रह पर साड़ी एवं श्रृंगार की सामग्री अर्पित कर विग्रह पर सरदार पंडा बेलपत्र से सिंदूर अर्पित कर हर प्रहर की पूजा संपन्न करेंगे. आपको बता दें कि साल में एक बार महाशिवरात्रि पर ही बाबा के विग्रह पर सिंदूर अर्पित करने की परंपरा है. मान्यता के अनुसार बाबा के साथ माता पार्वती इसी जगह पर विराजमान होती हैं.
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