महाशिवरात्रि : बाबा मंदिर के शिखर पर पंचशूल स्थापित, आज बाबा भोले बनेंगे दूल्हा
महाशिवरात्रि पर शुक्रवार को देवघर में बाबा बैद्यनाथ दूल्हा बनेंगे और माता पार्वती संग विवाह रचायेंगे. इसकी तैयारी पूरी कर ली गयी है. मंदिर में बाबा की विशेष चतुष्प्रहर पूजा का आयोजन किया जायेगा.
महाशिवरात्रि पर शुक्रवार को देवघर में बाबा बैद्यनाथ दूल्हा बनेंगे और माता पार्वती संग विवाह रचायेंगे. इसकी तैयारी पूरी कर ली गयी है. मंदिर में बाबा की विशेष चतुष्प्रहर पूजा का आयोजन किया जायेगा.
बाबा भोलेनाथ इस विशेष पूजा में दूल्हा बनेंगे तथा विग्रह पर सिंदूर अर्पित होगा. इसे पहले गुरुवार को बाबा मंदिर में परंपरा के अनुसार बाबा भोलेनाथ, मां पार्वती मंदिर सहित अन्य मंदिरों से खोले गये पंचशूलों की विशेष पूजा की गयी. इसके बाद मंदिरों के गुंबद पर स्थापित कर गठबंधन चढ़ाने की परंपरा शुरू की गयी.
यह पूजा सरदार पंडा श्रीश्री गुलाब नंद ओझा ने की, जो करीब दो घंटे तक चली. बाबा व मां पार्वती सहित मंदिर परिसर में स्थित सभी मंदिरों के शिखर पर स्थापित पंचशूल को खोलकर मंदिर प्रशासनिक भवन में साफ किया गया. गुरुवार को भीतरखंड कार्यालय स्थित राधाकृष्ण मंदिर के बरामदे पर पंचशूल की पूजा की गयी. पूजा सुबह करीब नौ बजे शुरू हुई, जो दो घंटे चली तथा आरती के साथ संपन्न हुआ.
पूजा उपचारक भक्तिनाथ फलहारी व मंदिर दिवान सोना सिन्हा ने इसकी अगुवाई की. इस पूजा को तांत्रिक विधि से आचार्य गुलाब पंडित ने मंत्रोच्चारण कर सरदार पंडा से पूजा संपन्न करायी. पूजा के दौरान खास प्रकार के जल व पूजा सामग्री को अर्पित करने के बाद भारी मात्रा में फूल, माला व भोग अर्पित किये गये. उपचराक फलहारी ने अपनी मौजूदगी में एक-एक कर सभी पंचशूलों में कागज में लिखित मंत्र को कपड़े के साथ बंधवाया.
सरदार पंडा के निर्देश पर भगवान गणेश के मंदिर से पंचशूल लगाने की परंपरा शुरू की गयी. करीब आधे घंटे के अंदर राजू भंडारी के नेतृत्व में सभी मंदिरों के शिखर पर पंचशूल लगाये गये.
उसके पश्चात सरदार पंडा ने गठबंधन का संकल्प कर सबसे पहले बाबा व माता के सुहाग तथा प्रेम के प्रतिक गठबंधन को दोनों मंदिरों के बीच चढ़ा कर आम भक्तों के लिए गठबंधन चढ़ाने की परंपरा को प्रारंभ की गयी. इस दौरान हर-हर महादेव के जयकारे से पूरा मंदिर परिसर गूंज उठा.
मौके पर पंचशूल को स्पर्श करने के लिए लोगों की काफी भीड़ लगी रही. पूजा के दौरान मुख्य रूप से मल्लू झा, दिनेश पंडित, रमेश मिश्रा, बाबा झा, सुबोध वर्मा, भोला भंडारी, अरुण राउत, हरिलाल पांडे, प्रदीप झा आदि मौजूद थे.