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देवघर में दो पुलिसकर्मियों की शहादत के बाद भी नहीं मिली सहायता, परिजनों में आक्रोश

देवघर में आपराधिक मुठभेड़ में दो पुलिसकर्मियों की शहादत के बाद भी सरकार के तरफ से कोई आर्थिक सहायता नहीं मिली है. जिससे परिजनों में आक्रोश गहराता जा रहा है. वहीं, अब तक यह मामला पहेली बनी हुई है.

देवघर के श्यामगंज रोड इलाके में आपराधिक मुठभेड़ में जिला बल के दो पुलिसकर्मियों की शहादत के चार दिन बाद भी राज्य सरकार व जिला प्रशासन की ओर से किसी प्रकार की कोई घोषणा न होने व न किसी प्रकार की कोई आर्थिक सहायता दिये जाने से परिजनों में आक्रोश गहराता जा रहा है. पुलिसिया जांच की जो दिशा है, उससे परिजन संतुष्ट नहीं हैं. परिजन निष्पक्ष जांच किये जाने व मृत जवानों को शहीद का दर्जा दिये जाने की मांग लगातार कर रहे हैं. सूत्रों के हवाले से घटनाक्रम की जो जानकारियां उन्हें मिली है, उससे पीड़ित परिवार का विभागीय जांच पर से भरोसा उठता जा रहा है.

भागलपुर जिले के पीरपैंती लकड़ाकोल निवासी मृत जवान के बुजुर्ग पिता रघुवंश सिंह यादव ने कहा कि हमारा परिवार इस सदमे से अब तक उबर नहीं पाया है. कहलगांव गंगा घाट पर उसकी अंतिम संस्कार किये जाने के बाद से परिवार के सदस्यों खासकर-लड़के की मां, बेटे की विधवा व बच्चे बार-बार रोने को मजबूर हो रहे हैं, उनके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे. लेकिन देवघर से घटना को लेकर जो बातें छन कर आ रही है, उससे विभागीय जांच पर से उनका भरोसा उठता जा रहा है, जिससे मन व्यथित होने लगा है. इस कारण परिवार के सगे-संबंधी बुधवार को घर पर इकट्ठे होकर कानूनी परामर्श लिये जाने का फैसला किया है. जल्द ही इस दिशा में परिवार के लोग सही दिशा में कदम उठाये जाने की बात कह रहे.

वहीं, मुठभेड़ में साहिबगंज जिले के मुफ्फसिल थाना क्षेत्र अंतर्गत नाढीदियारा निवासी रवि कुमार मिश्रा की शहादत के बाद पार्थिव शरीर को गांव स्थित गंगाघाट पर ही किया गया. इससे पूर्व डीआइजी सुदर्शन मंडल की मौजूदगी में देवघर पुलिस प्रशासन की अोर से अंतिम सलामी दिये जाने के बाद चार दिन गुजर गये. मगर न राज्य सरकार अौर न जिला प्रशासन ने किसी प्रकार की कोई घोषणा की. और न ही किसी प्रकार की कोई आर्थिक सहायता ही दी. इस संदर्भ में शहीद जवान रवि के छोटे भाई शशि कुमार मिश्रा ने बताया कि मेरा भाई को शहीद का दर्जा मिले. पूरी घटना की इसकी निष्पक्ष तरीके से जांच हो. भाई की मौत के बाद से परिजनों का घर में रो- रोकर बुरा हाल है. मृतकी की पत्नी सोनी देवी अपने बच्चों के साथ फूट-फूटकर रो रही है और रह-रह कर चीख पुकार रही है. लेकिन उसकी आंसू पोछने वाला और चीख-पुकार सुनने वाला कोई नहीं है.

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किस परिस्थिति में दो जवानों की गोली लगने से हुई मौत, अब तक बनी हुई है पहेली

मछली व्यवसायी सुधाकर सुमन झा को एसपी सुभाष चंद्र जाट ने दो बॉडीगार्ड मुहैया कराया था. इससे पहले उसे जान से मारने की धमकी मिल रही थी, जबकि पांच जनवरी 2023 की शाम रंगदारी की मांग पर उसके गद्दी के स्टॉफ मुकेश कुमार यादव पर तीन राउंड फायरिंग की गयी थी. उक्त घटना में शामिल आरोपियों को पुलिस ने तत्काल गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. उसके बाद से सुधाकर झा को आशीष मिश्रा गिरोह ने जान मारने की धमकी दी थी. इसके बाद उसने जान-माल की सुरक्षा के लिए एसपी सुभाष चंद्र जाट से बॉडीगार्ड की मांग की. इसके उपरांत करीब 23 जनवरी के आसपास उसे बॉडीगार्ड उपलब्ध कराया गया. अचानक से 11 फरवरी की आधी रात को पप्पू सिंह से विवाद हो गया व हो-हल्ला के बीच गोली चलने लगी. उसी दौरान नगर थाना पुलिस भी पहुंची और घटनास्थल पर पहुंचते ही दूसरी ओर से फायरिंग शुरू हो गयी.

थाना प्रभारी केके कुशवाहा व एक एसआई संजीत कुमार ने भी गोली चलायी. गोलीबारी में सुधाकर सुमन के दोनों अंगरक्षकों को गोली लग गयी और दोनों की मौत घटनास्थल पर ही हो गयी. मृतक जवानों को किस परिस्थिति में किसके पिस्तौल से चली गोली के लगने से मौत हो गयी. चार दिनों बाद भी यह पहेली बनी हुई है. वहीं दूसरी अोर, घटनास्थल से बरामद हुए पिलेट को जांच के लिये एफएसएल टीम उसे रांची ले गयी है. बतातें चलें एफएसएल टीम ने घटना की जांच के क्रम में पिस्तौल व उसकी गोली के फॉरेंसिक जांच को लेकर थाना प्रभारी केके कुशवाहा का फिंगर प्रिंट भी कलेक्ट किया है. वहीं पिलेट मामले में एफएसएल की रिपोर्ट आने के बाद भी पूरी घटना पर से कुछ हद तक पर्दा हटने की संभावना है.

सुधाकर का पप्पू के साथ जमीन को लेकर चल रहा विवाद

सूत्रों से जानकारी के अनुसार, मछली व्यवसायी सुधाकर सुमन झा व उसके पड़ोसी पप्पू सिंह के बीच जमीन को लेकर विवाद चल रहा था. दरअसल जिस जमीन पर पप्पु सिंह का परिवार रह रहा है. उस जमीन पर वर्ष 1974-75 में एक शराब की दुकान चलती थी. जमीन के असली मालिक के निधन हो जाने के बाद उनके परिवार वालों ने जमीन खाली करानी चाही. मगर पप्पू की मां ने तत्काल उसे खाली करने से इंकार कर दिया व दावा करते हुए कोर्ट में मामला दायर कर दिया. तब से मामला कोर्ट में ही लंबित है. इस बीच जमीन के दावेदारों ने सुधाकर को उक्त निवास वाले भूखंड दिये जाने का आश्वासन दिया. तो सुधाकर की नजर उस पर टेढ़ी हो गयी. यही बात पप्पु व सुधाकर के बीच विवाद का कारण बना, जान से मारने की चिंता इसी विवाद के कारण गहरायी हुई है. इसके अलावा विवादित कृष्णा टॉकीज परिसर में दुकानों का किराया व जनरेटर से रौशनी मुहैया कराया जाना भी एक अन्य मुद्दा है.

सुधाकर के घर लगे सीसीटीवी की हुई है जांच

मछली व्यापारी सुधाकर झा के मकान में प्रवेश द्वार व गद्दी के उपर सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है. पुलिस ने घटना की गुत्थी को सुलझाने के लिए कैमरे के फुटेज को खंगाले जाने की आवश्यकता है. सूत्रों से जानकारी के अनुसार, सीसीटीवी कैमरे में कैद वारदात को पुलिस ने खंगाला भी है, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं. इधर, पुलिस दावा करती रही कि मुठभेड़ के दौरान उक्त इलाके में घुप अंधेरा छाया हुआ था.

घर की सुरक्षा में तैनात किये गये सुरक्षाकर्मी

घटना के बाद से श्यामगंज रोड स्थित पप्पू सिंह के घर व सुधाकर सुमन झा के मकान को पुलिस ने सील कर दिया है. साथ ही वहां मौजूद तत्थों की सुरक्षा को लेकर पुलिस प्रशासन की अोर से चार पुलिसकर्मियों की घर के सामने तैनाती कर दी गयी है.

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