बच्चे जितना पुस्तकों में लीन होंगे, देश उतना ही विकसित होगा : डॉ निशिकांत दुबे

डॉ दुबे ने उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान राम के आदर्शों को अपनायें और उनसे जीवन जीने की प्रेरणा लें, तो राम हम कैसे जीयें, ये यदि कर पायें तो अच्छा होगा.

By Prabhat Khabar News Desk | January 23, 2024 5:08 AM
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देवघर : 21वें देवघर पुस्तक मेले के अंतिम दिन सोमवार की शाम को गोड्डा लोकसभा क्षेत्र के सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने पुस्तक मेले की स्मारिका का विमोचन किया. इसमें सांसद ने कहा कि इस पुस्तक मेले में मैं जितना फंड देता हूं, कम है, ज्यादा देना चाहिए. क्योंकि बच्चे जितना पुस्तकों में लीन होंगे, देश उतना ही विकसित होगा. उन्होंने कहा कि पुस्तक मेले में मैंने देखा कि गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार की महिलाएं अपने बच्चों के साथ मेले आयीं, उन्होंने अपने बच्चों के लिए किताबें खरीदीं. क्योंकि उनके मन में ये सोच विकसित हुई है कि उनका बच्चा भी पढ़-लिखकर आइएएस, आइपीएस और बड़ा अफसर बने. इसलिए यह मेला सफलता की नयी ऊंचाइयों को छू रहा है. सांसद ने मेला संयोजक डॉ सुभाष चंद्र राय की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने नि:स्वार्थ भाव से देवघर में पुस्तक मेले का आयोजन किया. उन्होंने इस सोच को विकसित किया कि हमें मदिरालय नहीं पुस्तकालय चाहिए. देवघर में पुस्तक पढ़ने वालों की कमी नहीं है. इस मेले ने यहां के लोगों में पुस्तक पढ़ने की ललक को जगाया है.

भगवान राम के आदर्शो को अपनायें

डॉ दुबे ने उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान राम के आदर्शों को अपनायें और उनसे जीवन जीने की प्रेरणा लें, तो राम हम कैसे जीयें, ये यदि कर पायें तो अच्छा होगा. महाभारत के प्रसंगों का जिक्र करते हुए सांसद ने कहा कि जो इस पृथ्वी पर आया है, उसे एक न एक दिन जाना ही है. यही वास्तविकता है. फिर भी लोग लोभ, काम, क्रोध, इच्छा और संघर्ष के चक्कर में पड़े हैं. यही महाभारत में भी कहा गया है, यही राम और यही मैथिली अपने पति से कह रही है. इसलिए इस समाज को हम जितना दे पायें, वह कम होगा. अपने जीवन में कुछ ऐसा अच्छा काम कर जायें, जिससे समाज का भला हो.

वश चले तो आजीवन सांसद घोषित कर दें : युधिष्ठिर राय

अध्यक्ष युधिष्ठिर राय ने कहा कि उनका वश चले, तो डॉ निशिकांत दुबे को आजीवन सांसद घोषित कर दें. इन्होंने पुस्तक मेले को करोड़ों दे दिये, लेकिन एक बार पैसे के संदर्भ में बात तक नहीं की. वहीं इनसे पहले के सांसद थे, एक बार एक लाख दिये थे, उसके लिए परेशान कर दिये थे. वे इस पुस्तक मेले से विमुख हुए, तो आजतक जीत के लिए तरस गये. कार्यक्रम में मेला संयोजक डॉ राय और अध्यक्ष ने सांसद को सम्मानित भी किया. मौके पर मेला व्यवस्थापक आलोक मल्लिक, मोतीलाल द्वारी, अलख निरंजन शर्मा, जीवन प्रकाश, शेषाद्रि दुबे, मिथलेश कुमार, रामचंद्र राय, उदय नारायण खवाड़े सहित समिति के अन्य सदस्य मौजूद थे. संचालन राम सेवक सिंह गुंजन ने किया.

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