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61 वर्षों से मुस्लिम परिवार बना रहा शतचंडी महायज्ञ में लगने वाला झंडा, सामाजिक सौहार्द की पेश कर रहे मिसाल

मंदिर में महाशतचंडी यज्ञ की शुरुआत बाबा हरिहरानंद गिरी (पहाड़ी बाबा) ने की थी. यज्ञ की शुरुआत में बाबा को यज्ञ मंडप व मंदिरों के अन्य गुंबजों में कपड़े के पताका लगाने की आवश्यकता पड़ी. तब उन्होंने पहाड़ी बाबा चौक में रह रहे मुस्लिम परिवार जो कि सिलाई का काम करते थे, उन्हें इसमें सहयोग करने को कहा.

मां बिंदुवासिनी मंदिर में हर वर्ष चैत्र माह में धूमधाम से शतचंडी महायज्ञ का आयोजन होता है. यज्ञ में पूजन सामग्री, लकड़ी, ब्राह्मण, फल-फूल समेत अन्य वस्तुओं की आवश्यकता पड़ती है. मंदिर के ऊपर व अन्य स्थानों में कपड़े के झंडे लगाये जाते हैं. झंडों को बरहरवा का मुस्लिम परिवार पिछले 61 वर्षों से बनाता आ रहा है. यह परिवार क्षेत्र में सामाजिक सौहार्द का उदाहरण भी पेश कर रहा है.

जानकारी के अनुसार मंदिर में महाशतचंडी यज्ञ की शुरुआत बाबा हरिहरानंद गिरी (पहाड़ी बाबा) के द्वारा की गयी थी. यज्ञ की शुरुआत में बाबा को यज्ञ मंडप व मंदिरों के अन्य गुंबजों में कपड़े के पताका लगाने की आवश्यकता पड़ी. तब उन्होंने पहाड़ी बाबा चौक में रह रहे मुस्लिम परिवार जो कि सिलाई का काम करते थे, उन्हें इसमें सहयोग करने को कहा.

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पताका बनाने के लिये उन्हें आकृति उपलब्ध करायी, जिसे देखकर झंडे बनाये गये. आकृति को इस परिवार ने आज भी संभाल रखा है. सबसे पहले परिवार के नूर मोहम्मद ने मां के मंदिर में कपड़ों का पताका बनाया था. 61 वर्षों से परंपरा यह मुस्लिम परिवार निभा रहा है. पीढ़ी के तीसरे पुत्र मोहम्मद सलीम यह कार्य कर रहे हैं.

नूर मोहम्मद के पुत्र मोहम्मद जहूर ने भी मंदिर में अपना सहयोग दिया है. बताते हैं कि उनके पूर्वजों द्वारा मां के मंदिर में जो सहयोग दिये जाने की प्रथा चली आ रही है. वह उसे निभा रहे हैं. उनके चचेरे भाई मोहम्मद पिंटू पिछले पांच साल से झंडा बना रहा है. यज्ञ के दौरान करीब 100 से ज्यादा झंडे बनाये जाते हैं, जिनमें त्रिनेत्र, त्रिशूल, बजरंगबली, चक्र समेत अन्य का छाप बनता है. पंचरंग का एक बड़ा झंडा जिसमें नंदी का छाप रहता है, बनाते हैं.

दो बड़े आकार का महावीर झंडा भी बनता है. कपड़े का बना पताका देखने में भी काफी आकर्षक रहता है. आधुनिक युग में जहां लोग नयी-नयी तकनीक का इस्तेमाल कर अपने सामान का निर्माण कर रहे हैं. वहीं, आज भी यह परिवार खुद मेहनत करके इसमें अपना सहयोग दे रहा है.

वे कहते हैं कि मंदिर कमेटी के द्वारा उन्हें जो भी राशि दी जाती है, वह उसे सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं, उनके पूर्वजों ने भी कभी मजदूरी की डिमांड नहीं की. अभी उनके परिवार में आठ सदस्य हैं. प्रत्येक वर्ष उन्हें इंतजार रहता है कि मंदिर कमेटी के द्वारा उन्हें सामान उपलब्ध हो. वे इसे बनाकर मंदिर में समर्पित करें.

क्या कहते हैं कार्यकारी अध्यक्ष

श्री श्री सार्वजनिक बिंदुधाम मंदिर सेवा समिति के कार्यकारी अध्यक्ष शक्तिनाथ अमन ने बताया कि बिंदुवासिनी मंदिर में सभी धर्मों के लोगों की अपार श्रद्धा है. सभी लोग आपसी भाईचारे की मिसाल पेश करते हैं.

22 मार्च से शुरू हो रहा है चैत्र नवरात्र

बिंदुवासिनी मंदिर में चैत्र नवरात्र को लेकर कमेटी द्वारा तैयारियां जोरों-शोरों से की जा रही है. 22 मार्च से कलश स्थापना के साथ चैत्र नवरात्र शुरू हो रहा है. इसमें 26 मार्च (रविवार) को यज्ञ आरंभ, 27 मार्च (सोमवार) को कुमारी पूजन (षष्ठी पूजन), 28 मार्च (मंगलवार) को महानिशि पूजा, 30 मार्च (गुरुवार) को यज्ञ पूर्णाहुति व श्री श्री महावीर झंडा का नगर परिभ्रमण किया जायेगा.

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