देवघर : महाशिवरात्रि की रात नहीं होगी शृंगार पूजा, दस बजे होगी चतुष्प्रहर पूजा

रात में उपचारक भक्ति नाथ फलहारी की अगुवाई में सरदार पंडा श्रीश्री गुलाब नंद ओझा को आचार्य गुलाब पंडित चार प्रहर की पूजा करायेंगे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 2, 2024 1:35 AM
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देवघर : आठ मार्च को महाशिवरात्रि के अवसर पर बाबा मंदिर और शिव बारात समिति की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. जिला प्रशासन भी इस दिन भीड़ की संभावनाओं को देखते हुए तैयारी कर दी है. बाबा मंदिर में चली आ रही परंपरा के अनुसार ही कार्यक्रम किये जायेंगे. शिव बारात समिति की ओर से नगर स्टेडियम से भव्य बारात निकाली जायेगी. वहीं, बाबा मंदिर में पारंपरिक बारात निकलेगी. महाशिवरात्रि की रात्रि की रात बाबा की शृंगार पूजा नहीं होगी. बाबा की चतुष्प्रहर पूजा के बाद जलार्पण शुरू हो जायेगा. जेल से आने वाला मुकुट बासुकिनाथ भेजा जायेगा. महाशिवरात्रि के दिन अहले सुबह तीन बजे पट खुलने के बाद पारंपरिक कांचा जल पूजा और सरदारी पूजा के बाद आम भक्तों के लिए कपाट खोल दिया जायेगा. जलार्पण रात के करीब साढ़े नौ बजे तक लगातार जारी रहेगा. इस दिन बाबा की शृंगार पूजा नहीं होगी. पौने दस बजे के करीब मंदिर के गर्भ को साफ कर पट बंद कर दिया जायेगा. उसके बाद बाबा मंदिर के प्रशासनिक भवन में मशाल जलाकर पारंपरिक बारात निकाली जायेगी. इस बारात में सरदार पंडा श्रीश्री गुलाब नंद ओझा की अगुवाई में चार प्रहर पूजा का सामान लेकर मंदिर के कर्मचारी उपचारक एवं आचार्य गुलाब पंडित निकास द्वार से गर्भगृह में प्रवेश करेंगे.

विग्रह पर अर्पित किया जायेगा सिंदूर

रात में उपचारक भक्ति नाथ फलहारी की अगुवाई में सरदार पंडा श्रीश्री गुलाब नंद ओझा को आचार्य गुलाब पंडित चार प्रहर की पूजा करायेंगे. हर प्रहर में बाबा को दूध, दही, शहद, शक्कर आदि से विशेष पूजा की जायेगी. उसके बाद बाबा को वस्त्र अर्पित कर दूल्हे की जयमाला पहनायी जायेगी. अंत में बाबा के विग्रह पर साड़ी एवं शृंगार सामग्री अर्पित करने के बाद सरदार पंडा बेलपत्र से विग्रह पर सिंदूर अर्पित कर बाबा एवं मां पार्वती के विवाह के पहले प्रहर की पूजा संपन्न करेंगे. मालूम हो कि, महाशिवरात्रि के दिन ही बाबा के विग्रह पर सिंदूर चढ़ाने की परंपरा है. पूजा संपन्न होने के बाद आम भक्तों के लिए पट खोल दिया जायेगा. करीब चार बजे से छह बजे तक जलार्पण होने के बाद 20 से 25 मिनट के लिए मंदिर का पट बंद किया जायेगा. उसके बाद पुन: पट खोलकर दैनिक पूजा के बाद हर दिन की तरह पूजा प्रारंभ हो जायेगी.

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