मधुपुर. शहर के भेड़वा नावाडीह स्थित राहुल अध्ययन केंद्र में स्वतंत्रता सेनानी हसरत मोहानी की जयंती व इंकलाबी नाट्यकर्मी सफदर हाशमी की शहादत दिवस मनाया गया. इस अवसर पर दोनों विभूतियों की तस्वीर पर लोगों ने माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया. धनंजय प्रसाद ने कहा कि हसरत मोहानी एक खुद्दार, इंकलाबी शायर व स्वतंत्रता सेनानी थे. इंकलाब जिंदाबाद का नारा उन्होंने ही दिया था, जो क्रांतिकारियों के लिए कालजयी नारा बना. वे उर्दू की प्रगतिशील गजल धारा के प्रवर्तक, अरबी व फारसी के विद्वान और देश के बंटवारे पुरजोर विरोधी थे. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर संविधान निर्माण तक अपने दो टूक विचारों व संघर्षों से देश की राजनीति पर खासा असर डाला था. उन्होंने मुफलिसी के बावजूद भी खुद्दारी से जीवन जिया. 1925 में वे सत्य भक्तों के साथ मिलकर कम्युनिस्ट कांफ्रेंस कराया. उन्होंने कहा कि आज के ही दिन सफदर हाशमी को सच बोलने की सजा दी गयी थी. वे जन नाट्य मंच के संस्थापकों में से एक थे. वे नाटककार, गीतकार, कला निदेशक थे. वर्ष 1989 में में नुक्कड़ नाटक हल्ला बोल का मंचन करने दरम्यान तत्कालीन सरकार के संरक्षण पाए गुर्गों ने दिन दहाड़े उन्हें गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस अवसर पर अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखें.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है