देवघर के गायक मनोज-अजीत ने की थी पंकज उधास से मुलाकात, साझा की अपनी यादें

गजल गायक पंकज उधास जी अचानक हम लोगों की संगीत की दुनिया को छोड़ कर चले गये, सुनकर मन बहुत उदास हुआ. यूं कह सकते हैं कि मखमली आवाज खामोश हो गया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 27, 2024 7:06 AM

देवघर : मौका था 1991 में मुंबई में रिकार्डिंग का. देवघर के जाने माने भजन गायक की जोड़ी अजीत-मनोज बाबाधाम से संबंधित भजन की रिकार्डिंग के सिलसिले में मुंबई गये थे. गुलशन कुमार के सुदीप स्टूडियो में रिकार्डिंग होने थी. संयोग कहिये या एक महान गजल गायक से मिलन की बात कहिए, उसी दौरान स्टूडियो में ही देश-दुनिया के जाने माने गजल गायक पंकज उधास से मुलाकात हुई. अजीत-मनोज बताते हैं कि एकदम साधारण तरीके से स्टूडियो में वे बैठे थे. जब हम लोगों को पता चला कि पंकज उधास हैं, तो मिलने की इच्छा हुई. खुद को रोक नहीं पाये और किसी तरह उनके पास पहुंचे. अभिवादन किया और जैसे ही उन्होंने परिचय में जाना कि हम लोग बाबा बैद्यनाथधाम से आये हैं, तो बहुत खुश हुए. बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ और धर्म आध्यात्म से गजल तक बात पहुंची.

चंद मिनट की मुलाकात में ही उनके द्वारा कहे गये शब्दों और गायकी को लेकर दिये गये टिप्स को हम दोनों ने सहेज कर रखा और आने वाले दिनों में उनके द्वारा दिये गये टिप्स को अपनी गीत-संगीत में समाहित करने की कोशिश की. वे काफी सरल मिजाज के थे. उनकी आवाज में इतनी सॉफ्टनेस थी कि शायद इसी कारण देश-विदेश के श्रोता उन्हें मखमली आवाज के जादूगर कहा करते थे. याद है कि जब उनसे बाबाधाम आने की बात की, तो उन्होंने कहा था कि मौका मिला तो जरूर आयेंगे बाबाधाम, लेकिन हम लोगों के दुखदायी बात है कि इतने बड़े कलाकार का देवघर में प्रोग्राम नहीं हो पाया.

गजल गायक पंकज उधास जी अचानक हम लोगों की संगीत की दुनिया को छोड़ कर चले गये, सुनकर मन बहुत उदास हुआ. यूं कह सकते हैं कि मखमली आवाज खामोश हो गया. मनोज-अजीत कहते हैं कि आज भी उनकी गजल चिट्ठी आयी है आयी है, चिट्ठी आयी है… जब भी लोग सुनते हैं, जिनके बच्चे विदेशों में रहते हैं, इस गीत को सुनकर उन लोगों की आंसू छलक पड़ते हैं. ऐसे गायक थे पंकज उधास. उनका असमय चले जाना संगीत की दुनिया के लिए अपूरणीय क्षति है. उन्हें शत-शत नमन.

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