संवाददाता, देवघर. जीवन में बेहतर शिक्षण संस्थान में शिक्षा प्राप्त कर बेहतर पैकेज की नौकरी पाकर ही जीवन को सफल मानने वाले लोगों को एक बार सत्संग के नगर में आयोजित तीन दिवसीय उत्सर्जी कला प्रदर्शनी में अवश्य आना चाहिए. ये कला प्रदर्शनी को लोगों को बता रहा है कि जीवन को जीने के लिए कई क्षेत्र हैं और बेहतर कमाई भी की जा सकती है. यहां पर लगी हर एक प्रदर्शनी, अलग- अगल पेंटिंग जीवन के हर संदेश को बता रही है. यहां पर देश के नामी कलाकारों ने पेंटिंग की प्रदर्शनी लगायी है, जिसमें दो हजार से लेकर पचास हजार तक की पेंटिंग शामिल हैं. इन कलाकारों ने देश ही नहीं विदेशों में भी लगे प्रदर्शनी में अपने पेंटिंग का लोहा मनवाया. प्रदर्शनी में आये कई कलाकारों ने बताया कि कई पेंटिंग को लोगों ने पांच लाख तक देकर खरीदा है. प्रदर्शनी का आज विधिवत समापन किया जायेगा.
अपनी कला से देश-विदेश में नाम कमाने वाले चित्रकारों ने रखे विचार
कोलकाता बालीगंज से आये कलाकार एबी मित्रा ने बताया कि, वे देश में दिल्ली, मुंबई के अलावा कई राज्यों में आयोजित प्रदर्शनी में शिरकत कर चुके हैं, वहीं विदेशों में अबतक यूएसए, होंगकांग की प्रदर्शनी में भी अपने पेटिंग लेकर गये हैं. बताया कि अबतक 70 से अधिक प्रदर्शनी में भाग ले चुके हैं. मुख्य रूप से एग्रकॉलिक पेंटिंग, ऑयल पेंटिंग व वाटर पेंटिंग का काम करते हैं. उनकी एक पेंटिंग अधिकतम पांच लाख रुपये में बिक चुकी है. उनकी पेंटिंग में मुख्य रूप से पर्यावरण संरक्षण और जंगल, पहाड़ में बिना एक भी पेड़ काटे कैसे लोग रह सकते हैं इसके बारे में संदेश होता है.
ओडिशा भुवनेश्वर से आये सुदर्शन साहू ने बताया की देश में कई जगहों में जाने का मौका मिला है. वहीं विदेश में अबतक सिर्फ मलेशिया जाने का मौका मिला है. वह एग्रोकॉलिक के अलावा स्कॉप पेंटिंग का काम करते हैं. अबतक उनकी पेंटिंग का सर्वाधिक दाम चालीस हजार रुपया मिला है. कम से कम एक पेंटिंग का दस हजार रुपया दाम मिलता है. महीने में सात से आठ पेंटिग लोग ले जाते हैं. उनके काम को पसंद करने वाले लोग ऑनलाइन भी डिमांड करते हैं.कबाड़ के जुगाड़ से अपनी कला को दी नयी पहचान
कबाड़ के जुगाड़ से अपनी कारीगरी दिखाने वाले मूर्तिकला के क्षेत्र में जाना माना नाम है जमशेदपुर से आये शुभेंदु विश्वास का, उनके काम की प्रदर्शनी में काफी चर्चा है. वह बताते हैं कि उनका मुख्य कार्य कबाड़ से नये-नये निर्माण करना है और उसे कला की दृष्टि से तैयार करना है. उन्होेंने बताया कि मोटर पार्ट, जो पूरी तरह से बेकार हो जाते हैं. वह उस पार्टस को लेकर एक बेहतर आकर देते हैं. इसे जंक कार्य कहा जाता है. वहीं बताया कि मूर्तिकला भी करते हैं. उन्होंने कहा कि कबाड़ के जुगाड़ से बनी कई आकृति और स्टैच्यू देवघर परिसदन से लेकर कई जगहों के राष्ट्रीय मार्ग की सुंदरता को बढ़ा रहे हैं. वर्तमान में टाटा कंपनी के साथ हुए एक करार पर काम कर रहे हैं. वर्तमान में इनका एक काम साठ लाख रुपये का है, जो की चल रहा है. एक काम को पूरा करने में एक से दो महीने का समय लगता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है