देवघर में BJP प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में लिये कई राजनीतिक प्रस्ताव, हेमंत सरकार पर जमकर साधा निशाना
मिशन 2024 को लेकर देवघर में बीजेपी के दिग्गत नेताओं का जुटान हुआ. दो दिवसीय बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में राजनीतिक प्रस्ताव पारित करते हुए 2024 के लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर जीत को लेकर विचर-विमर्श किया गया. इस दौरान हेमंत सरकार पर जमकर निशाना साधा गया.
Lok Sabha Chunav 2024: देवघर स्थित मैहर गार्डन में आयोजित भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में राजनीतिक प्रस्ताव पेश किया गया. इस अवसर पर झारखंड प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी, संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री नागेंद्र नाथ त्रिपाठी, प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, राष्ट्रीय मंत्री आशा लकड़ा की मौजूदगी में ध्वनि मत से प्रस्ताव पारित किया गया. प्रस्ताव दुमका के सांसद सुनील सोरेन ने पेश किया और इसका समर्थन राजमहल विधायक अनंत ओझा ने किया. राजनीतिक प्रस्ताव में केंद्र सरकार की उपलब्धियों और झारखंड की हेमंत सरकार की विफलताओं पर जोरदार तरीके से बातें रखी गयी है. कार्यसमिति में प्रस्ताव पर विस्तार पूर्वक चर्चा हुई. गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे, पूर्व सांसद सूरज मंडल सहित कई सदस्यों ने सुझाव दिये.
झारखंड में परिसीमन हो, अनसर्वेड जिले के लिए भी नीति बने : सांसद डॉ निशिकांत दुबे
भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में राजनीतिक प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए गोड्डा लोकसभा क्षेत्र के सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने कहा कि झारखंड में परिसीमन लागू क्यों नहीं हो रहा है. एक लोकसभा सीट और तीन विधानसभा सीट ट्राइब्स की कम हो रही है. इसका कारण है कि 2008 के बाद आदिवासियों की संख्या घट रही है. इसके निहितार्थ हैं बांग्लादेशी घुसपैठिये. इसलिए परिसीमन लागू होना चाहिए. 1932 खतियान लागू हो, इसमें कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन आज तक जहां सर्वे हुआ ही नहीं, वैसे जिलों के लिए नीति बने. सांसद डॉ दुबे ने कहा कि देवघर, जामताड़ा, मधुपुर, नाला, दुमका, धनबाद, बोकारो, चाइबासा, पलामू सहित कोल्हान का पार्ट जहां सर्वे नहीं हुआ, इन जिलों का मुद्दा भी राजनीतिक प्रस्ताव का पार्ट होना चाहिए. इसके अलावा संताल परगना में साइबर क्राइम बड़ा मुद्दा है. जिसे आइएसआइ कंट्रोल कर रही है. बांग्लादेशी घुसपैठिये इस इलाके की डेमोग्राफी बदल रहे हैं, ये सारे मद्दे होने चाहिए.
भ्रष्टाचार में लिप्त हेमंत सरकार को बर्खास्त करे केंद्र : सूरज मंडल
भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में राजनीतिक प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए पूर्व सांसद सूरज मंडल ने कहा कि राज्य की सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त है. माफिया सरकार चला रहे हैं. ऐसी सरकार को तुरंत बर्खास्त कर देना चाहिए. पूर्व सांसद ने कहा कि 2024 में मोदी जी को कोई दिक्कत नहीं होगी, वे हैट्रिक लगायेंगे. लेकिन विधानसभा में पार्टी को गंभीर होने की जरूरत है. कार्यकर्ताओं के मनोबल को ऊंचा उठाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि ओबीसी आयोग के चेयरमैन लोकनाथ प्रसाद ने झारखंड में ओबीसी को 52 प्रतिशत आरक्षण करने की अनुशंसा की थी, राजनीतिक प्रस्ताव में उक्त मुद्दे को लाना चाहिए. वहीं स्थानीयता नीति पर श्री मंडल ने कहा कि तत्कालीन रघुवर सरकार में बनी विधानसभा कमेटी में मंत्री अमर बाउरी की रिपोर्ट पर जो स्थानीयता नीति बनी थी, वह सही थी. लेकिन उस वक्त स्थानीयता नीति 1986 को आधार बना दिया गया. इस कारण यह नौबत आयी है. श्री मंडल ने कहा कि संताल परगना गरीब है. इसलिए भारत सरकार दुमका में हाइकोर्ट का बेंच बनाये.
नरेंद्र मोदी को तीसरी बार पीएम बनाने का संकल्प
कार्यसमिति में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जी के कार्यकाल को बढ़ाए जाने का स्वागत किया गया. वहीं, उनके कुशल नेतृत्व में पार्टी की सांगठनिक संरचना को बूथ स्तर तक धारदार एवं मजबूत बनाते हुए वर्ष 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीसरी बार भारत का प्रधानमंत्री बनाने का संकल्प व्यक्त करती है.
संताल परगना पर केंद्र का फोकस
प्रस्ताव में कहा गया कि संताल परगना क्षेत्र के विकास पर मोदी सरकार विशेष ध्यान दे रही है. बाबाधाम में एयरपोर्ट और एम्स सहित पूरे राज्य को 12 हजार करोड़ की परियोजनाओं की सौगात मिली है. इसी देवघर की पावन धरती पर 1000 करोड़ की लागत से 48 किलोमीटर लंबी बाइपास की योजना प्रस्तावित है. साहेबगंज बंदरगाह के अलावा संताल परगना में रेल मार्गों का जाल बिछाया गया है. साहेबगंज बंदरगाह पर गंगा विलास क्रुज के ठहराव ने देश विदेश के पर्यटकों को झारखंड की लोक संस्कृति और परंपरा से जोड़ा है. यह ऐतिहासिक पहल झारखंड में पर्यटन की नयी क्रांति लायेगी.
भाजपा के विकास की लकीर को मिटा रही है हेमंत सरकार
दिसंबर 2019 में शपथ लेने वाली झारखंड सरकार ने राज्य की जनता को निराशा और हताशा सिवा कुछ नहीं दिया है. भाजपा ने विकास की लकीर जहां तक खींची थी उसे भी मिटाने का काम इस सरकार ने किया है. दिशाहीन, नीति और नियत विहीन अवसरवादी सरकार, लूट, झूठ और भ्रष्टाचार की पर्याय बन चुकी है. इस सरकार ने गांव, गरीब, आदिवासी, दलित, पिछड़ा, किसान, महिला, नौजवान सभी वर्गों के साथ छल किया है. झामुमो, कांग्रेस और राजद की महागठबंधन वाली यह सरकार महाठगबंधन सरकार साबित हुई है.
संताल परगना को लूट और भ्रष्टाचार का केंद्र बिंदु बना रही हेमंत सरकार
प्रस्ताव में कहा गया है कि एक ओर केंद्र सरकार संताल परगना के विकास के मार्ग को प्रशस्त कर रही है वहीं दूसरी ओर हेमंत सरकार इस क्षेत्र को लूट और भ्रष्टाचार का केंद्र बिंदु बना रही है. राज्य सरकार की तुष्टिकरण नीति के कारण गौ-तस्करी का सुरक्षित क्षेत्र बन गया है. केवल साहेबगंज जिले में 1000 करोड़ से ज्यादा के अवैध खनन घोटाले उजागर हुए हैं.
राज्य संपोषित भ्रष्टाचार झारखंड में
राज्य संपोषित भ्रष्टाचार ने प्रदेश में रिकार्ड बनाया है. यह एक कर्मचारी से शुरू होकर अधिकारी, विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री तक पहुंचकर समाप्त होता है. सीएम के विधायक प्रतिनिधि जेल में कैद हैं. सत्ता का संरक्षण ऐसा कि इन आरोपियों को जेल और अस्पताल मे भी वीवीआइपी सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है. विधायक प्रतिनिधि तो जेल से ही अफसरों को आदेश दे रहे हैं. पूरे राज्य में खान–खनिज, बालू, जमीन की लूट के साथ भ्रष्टाचार का अमिट काला अध्याय लिखा जा रहा है.सरकारी योजनाओं, ठेका–टेंडर में भ्रष्टाचार का बोलबाला है. ट्रांसफर–पोस्टिंग का उद्योग तेजी से फल फूल रहा है.
परिवारवाद की नयी परिभाषा गढ़ रही सरकार
हेमंत सरकार में परिवादवाद का नया चेहरा उजागर हुआ है. केवल राजनीतिक भागीदारी के लिए ही नहीं बल्कि लूट और भ्रष्टाचार में भी परिवारवाद शामिल हुआ है. राज्य के जल, जंगल, जमीन को सोरेन परिवार अपनी जागीर समझ रहा है. आदिवासी व दलित विरोधी है हेमंत सरकार झारखंड सरकार आदिवासी, दलित विरोधी है. सरकार के हाथ आदिवासियों और दलितों के खून से सने हैं. गठन के साथ चाईबासा में आदिवासियों का सामूहिक नरसंहार हुआ. सिद्धो–कान्हू के वंशज रामेश्वर मुर्मू की हत्या, होनहार दारोगा रूपा तिर्की की हत्या, पशु तस्करों द्वारा संध्या टोपनो की हत्या, दलित नवयुवक संजू प्रधान की मॉब लिंचिंग, दलित देबू तुरी की पुलिस कस्टडी में हत्या सहित कई मामलों ने राज्य सरकार की आदिवासी एवं दलित विरोधी चेहरा उजागर किया है.आदिवासी सीएम होने के बावजूद बलात्कार की शिकार पीडि़तों में सर्वाधिक आदिवासी और दलित समाज की बहन–बेटियां हैं.
टीएसी को विवादित बनाया
हेमंत सरकार ने टीएसी के गठन को विवादित बना दिया. नगर निकाय चुनाव में मेयर सीट को आरक्षित करने में आदिवासी और दलित को लड़वाया. आदिवासियों के लिए आरक्षित औद्यौगिक भूमि को सीएम ने अपनी पत्नी के नाम करवाने और सीएनटी, एसपीटी एक्ट का सबसे अधिक उल्लंघन कर सोरेन परिवार द्वारा गरीबों की जमीन हड़पने की उपलब्धि इनके नाम दर्ज है.
पिछड़ा विरोधी है राज्य सरकार
पिछड़ों की हितैषी बनने का नाटक कर रही है राज्य की सरकार. पंचायत चुनाव के बाद अब निकाय चुनाव भी बिना पिछड़ों को आरक्षण दिए कराने की तैयारी चल रही है.राज्य सरकार ने अब तक सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद पिछड़ों के आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए ट्रिपल टेस्ट कमेटी का गठन नहीं किया. साथ ही पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन लंबित है.
युवा विरोधी सरकार है झारखंड में
प्रत्येक वर्ष 5 लाख युवाओं को नौकरी देने के वायदों के अनुसार तीन साल में 15 लाख युवाओं को नौकरियां मिलती परंतु अब तक मात्र 357 लोगों को नौकरी दी गयी है. युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने में भी सरकार नाकाम रही है. राज्य का बेरोजगारी दर 18 फीसदी के आंकड़ों के साथ देश में पांचवें स्थान पर है जो राष्ट्रीय औसत से दोगुनी से भी अधिक है.
महिला विरोधी है राज्य की सरकार
राज्य की सरकार महिला विरोधी है. अपराधियों के निशाने पर सबसे अधिक महिलाएं, बहन, बेटियां हैं. दुमका का अंकिता प्रक्ररण, अरमान अंसारी द्वारा दुमका में आदिवासी नाबालिग लड़की के साथ रेप के बाद पेड़ से लटकाकर हत्या, रब्बानी अंसारी द्वारा धर्म छिपाकर नाबालिग आदिवासी लड़की के साथ यौन शोषण कर कुएं में फेंकने का मामला, साहिबगंज में दिलदार अंसारी द्वारा पहाडि़या आदिवासी युवती रूबिका के 50 टुकड़े करने एवं पहचान छिपाने के लिए रूबिका की खाल तक उतारने के महिला उत्पीड़न के बहुचर्चित मामले ने राज्य को पूरे देश में कलंकित करने का काम किया.
किसान-गरीब विरोधी है हेमंत सरकार
सरकार की प्राथमिकता में गांव, गरीब और किसान कहीं नहीं हैं. भाजपा सरकार द्वारा चालू आशीर्वाद योजना के बंद होने एवं अकाल और सूखा की मार से किसान परेशान हैं. दो लाख रुपये तक की ऋण माफी के नाम पर वादाखिलाफी की गयी. राज्य के 17 जिले ऐसे हैं जहां 3 प्रतिशत मजदूरों को भी 100 दिनों का रोजगार नहीं मिला है.
राज्य सरकार की स्थानीयता व नियोजन नीति दिगभ्रमित करने वाली
भाजपा सदैव झारखंडी भावना के अनुरूप स्थानीय और नियोजन नीति बनाने की पक्षधर रही है. लेकिन हेमंत सरकार जनता को दिग्भ्रमित करने के लिए नौवीं अनुसूची का बहाना बना रही है. आज राज्य में कोई नियोजन नीति नहीं है. राज्य में 90 हजार से अधिक शिक्षकों के पद रिक्त हैं. पारा शिक्षक, अनुबंध कर्मियों को राज्य सरकार ने केवल छलने का काम किया है. बिना नियोजन नीति के जेपीएससी की परीक्षाओं के परिणाम ने मार्क्स पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया है.
उत्पाद नीति में सरकार बैकफुट पर
राज्य की उत्पाद नीति में झारखंड की सरकार स्वयं बैक फुट में है. अपने चहेते कंपनी को शराब का ठेका देने में भारी गड़बड़ी हुई है. इससे राज्य को राजस्व का भारी नुकसान उठाना पड़ा है. नयी नीति लागू होने के बाद से प्रिंट रेट से अधिक कीमत पर शराब की बिक्री कर हर माह 70 करोड़ की अवैध कमाई की जा रही है. इसके अतिरिक्त सरकार खेल नीति, पर्यटन नीति, उद्योग नीति को स्पष्ट तौर पर बनाने और लागू करने में विफल साबित हुई है.
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PFI से जुड़े लोग बदल रहे डेमोग्राफी
पीएफआई से जुड़े लोगों ने आदिवासी लड़कियों से शादी करके संताल परगना में लगभग 10 हजार एकड़ से ज्यादा जमीन खरीदी है. इस इलाके की डेमोग्राफी तेजी से बदल रही है. सरकार की तुष्टीकरण नीति के कारण लव जिहाद के मामले में भी वृद्धि हुई है.
झारखंड में विधि–व्यवस्था ध्वस्त
झारखंड में विधि–व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है. विकास की बजाय हत्या, लूट, बलात्कार, साम्प्रदायिक हिंसा में प्रदेश अव्वल है. लगातार भाजपा एवं हिंदुवादी नेताओं को टारगेट कर हमले हो रहे हैं और उन्हें फर्जी मुकदमों में फंसाया जा रहा है. 5000 से अधिक बलात्कार के मामले, 5258 हत्या, 28234 चोरी, 1978 डकैती, 4485 अपहरण के मामले सरकार के प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खोलती है.
राज्य में लचर है स्वास्थ्य और बिजली व्यवस्था
राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह बदहाल है. ना पर्याप्त अस्पताल हैं ना पर्याप्त डॉक्टर. स्पेशलिस्ट डॉक्टर के 73 फीसदी पद खाली हैं. राज्य के लोगों को 24 घंटे में से सिर्फ 8 घंटे ही बिजली मिल रही है.अंडरग्राउंड केबलिंग कार्य में राज्य सरकार विफल है.100 यूनिट प्रतिमाह मुफ्त बिजली देने की घोषणा का वादा कर सत्ता में आयी सरकार अब किसानों के ऊपर मुकदमे दर्ज कर रही है. किसानों के बिजली कनेक्शन बिल बकाए के नाम पर काटे जा रहे हैं.
पेयजल पर सरकार गंभीर नहीं है, शिक्षा का भी हाल बेहाल
केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना हर घर नल से जल को तेजी से धरातल पर नहीं उतारने के कारण राज्य में आज भी लोग लाल पानी पीने को विवश हैं. तीन वर्षों में कक्षा 1 से लेकर 12 तक में 5 लाख विद्यार्थी बढ़ गए जबकि 4000 शिक्षक कम. राष्ट्रीय औसत 26 विद्यार्थी पर 1 शिक्षक का तो झारखंड में 55 विद्यार्थी पर एक शिक्षक हैं. सरकार द्वारा नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ नहीं हुई. 6000 से अधिक विद्यालय एक शिक्षक के भरोसे हैं. अधिकांश हाई स्कूल में पांच मुख्य विषयों के शिक्षक तक नहीं हैं. संताल परगना में हेडमास्टर बिना ही 8602 स्कूल चल रहे हैं. सीएम के जिले में एक भी स्कूल में हेडमास्टर नहीं हैं.
सड़क की स्थिति दयनीय, सिंचाई में रुचि नहीं
झारखंड में सड़कों की स्थिति दयनीय हो गयी है. राजधानी की सड़कें भी जर्जर और गड्ढों से भरी पड़ी है। पीएमजीएसवाई का हाल बुरा है. हेमंत सरकार को सिंचाई एवं जल संचय में कोई रूचि ही नहीं है और न ही इनकी प्राथमिकता में किसान एवं कृषि के लिए सिंचाई उपलब्ध कराना है. हेमंत सरकार ने सिंचाई का बजट घटाकर लगभग आधा यानी 14 सौ करोड़ रुपये कर दिया है.
वित्तीय कुप्रबंधन और विकास कार्य ठप
हेमंत सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन के कारण झारखंड के चालू वित्तीय वर्ष में दिसंबर तक 57259 करोड़ की योजना बजट में से 25305 करोड़ मात्र 44 प्रतिशत राशि ही खर्च हुए हैं. राज्य सरकार पैसे का रोना रोती है जबकि खजाने में हजारों करोड़ रुपये पड़े हैं.
संवैधानिक संस्थाओं पर हमला
सरकार को संवैधानिक संस्थाओं के खिलाफ काम करने में महारत हासिल है. राज्यपाल के खिलाफ मुख्यमंत्री द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर लोकतंत्र को कलंकित करने का काम किया गया. सीएम के प्रतिनिधि ईडी के खिलाफ कोर्ट गये.
कांग्रेस पार्टी दोहरा रही इतिहास, सत्ता सुख में दोहरा चरित्र उजागर
राज्य की सत्ताधारी गठबंधन की मुख्य घटक दल कांग्रेस पार्टी अपने इतिहास को ही दोहरा रही. जनता जानती है कि कांग्रेस भ्रष्टाचार की जननी भी है और उसकी पोषक भी. आजाद भारत में कांग्रेस ने भ्रष्टाचार और घोटालों का रिकार्ड बनाया है. झारखंड में भी कांग्रेस जब–जब सत्ता की सहभागी बनी, अपने इतिहास को दोहराया. राज्य के जल, जंगल जमीन को लुटवाने में कांग्रेस पूरी तरह भागीदार है.
नाकामी को छुनाने के लिए खतियानी जोहार यात्रा
एक तरफ राज्य सरकार लूट, झूठ और भ्रष्टाचार में शामिल है वहीं दूसरी तरफ राज्य के मुखिया अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए खातियानी जोहार यात्र का ढोंग कर रहे हैं.इस यात्रा में करोड़ों रुपये राज्य सरकार के खजाने से पानी की तरह बहाए जा रहे हैं.
ब्रिटेन को पछाड़ भारत दुनियां की 5वीं अर्थव्यवस्था बना
दुनिया के सर्वमान्य नेता भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व में भारत पुन: विश्व गुरु के रूप में उभर रहा है. वैश्विक मंदी के दौर में भी भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था मोदी सरकार की नीतियों और इसके प्रति उनकी सशक्त प्रतिबद्वता पर मुहर लगाती है. जब विपक्षियों द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था का हाल श्रीलंका सरीखे होने की बात कहकर मोदी सरकार की नीतियों का उपहास उड़ाया जा रहा था उसी दौरान भारत ब्रिटेन को पछाड़कर दुनियां की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया.
कोरोना काल में आर्थिक राहत पैकेज वरदान साबित हुआ
भारत को जी–20 की अध्यक्षता मिलना विश्व पटल पर भारत के बढ़ते महत्व का परिचायक है। नरेन्े मोदी के नेतृत्व में अनेक असाधारण उपलब्धियों से देश का हर नागरिक गौरवान्वित है. स्वच्छ भारत अभियान, जनधन योजना, उज्जवला योजना, मुद्रा योजना, आयुष्मान भारत योजना, किसान सम्मान निधि योजना, गरीब कल्याण अन्न योजना, वन नेशन–वन राशन कार्ड, नागरिकता संशोधन कानून, अनुच्छेद–370 और तीन तलाक को समाप्त करना आदि के रूप में मोदी सरकार के ऐतिहासिक कार्यों की लंबी श्रृंखला है. जनजाति समुदाय को मिला सौगात : मोदी सरकार में जनजाति समुदाय को देश स्तर पर मिले सौगातों को देखा जाए तो आदिवासी कल्याण का बजट 21 हजार करोड़ से बढ़ाकर 86 हजार करोड़ किया गया. आवास के क्षेत्र में 3 गुणा वृद्धि की गई. 1.30 करोड़ आदिवासी घरों में पेयजल की व्यवस्था, 1.45 करोड़ घरों में शौचालय की व्यवस्था, 3 करोड़ से अधिक जनजातीय किसानों को प्रतिवर्ष डीबीटी के माध्यम से 6000 रूपया प्रतिवर्ष खाते में पहुंचायी जा रही है. 462 एकलव्य विद्यालय की सौगात दी गयी. मोदी सरकार द्वारा दो वित्तीय वर्ष में आदिवासी बहुल गांवों के विकास के लिए दिए गये 135 करोड़ रूपये में से मात्र 13 करोड़ खर्च करना आदिवासी विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। राज्य सरकार ने अब तक अनुसूचित जाति आयोग का गठन नहीं किया है.