संवाददाता, देवघर : बाबा नगरी में शारदीय नवरात्र के दौरान दर्जनों जगहों पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है. यहां तांत्रिक और वैष्णव दोनों विधियों से पूजा की जाती है. वहीं बाबा मंदिर में पूजा की अलग ही परंपरा है. यहां पहली पूजा से लेकर नवमी तक हवन कुंड में तांत्रिक विधि से हवन की परंपरा है और बाबा को छोड़ सभी मंदिरों में हर दिन तांत्रिक विधि से पूजा की जाती है. यहां पंचमी से नवमी तक माता की विशेष अराधना के लिए गवहर पूजा की परंपरा है. यह पूजा दो मंदिरों में होगी. महाकाल तथा जगत जननी मंदिर में ताड़ के पत्ते से घेर कर कलश स्थापन की जायेगी तथा अखंड दीप प्रज्वलित कर विशेष पूजा प्रारंभ होगा, जो नवमी तक जारी रहेगी. वहीं दशमी को पूजा का विसर्जन होगा. यहां पर जला दीप पूरे नवरात्र तक अनवरत जलता रहेगा, इसके लिए दोनों मंदिरों में दो लोग बारी-बारी से दीप की निगरानी करते हैं.
महालया के दिन खुलेगा हवन कुंड का द्वार
बाबा मंदिर के भीतरखंड में स्थित हवनकुंड का मंदिर साल भर में एक ही बार शारदीय नवरात्र के दौरान ही खोला जाता है. महालया यानी कलश स्थापन के एक दिन पहले दो अक्तूबर की सुबह खोला जायेगा. उसके बाद भंडारी के द्वारा हवनकुंड की सफाई तथा पूरे मंदिर का रंग रोगन होगा. कलश स्थापन के दिन दुर्गा की प्राण प्रतिष्ठा कर हवन प्रारंभ किया जायेगा.
तीन दिनों तक बंद रहेंगे देवी मंदिरों के पट
परंपरा के अनुसार बाबा मंदिर परिसर स्थित तीन देवी मंदिरों काली, पार्वती तथा मां संध्या मंदिर का पट तीन दिनों तक बंद रहेगा. इन तीन दिनों में आम लोग इस मंदिर में पूजा तथा दर्शन नहीं कर पायेंगे. सप्तमी के दिन तीनों देवी शक्ति मंदिरों में मां का शाही स्नान आदि कराने के बाद विशेष पूजा के पश्चात खाड़ा बांधा जायेगा और मंदिर के पट को बंद कर दिया जायेगा. सुबह एवं शाम में मंदिर के पुजारी ही मां की पूजा करेंगे. वहीं जयंती बलि के बाद तीनों मंदिरों के पट आम लोगों के लिए खोल दिये जायेंगे. वहीं भीतरखंड स्थित दुर्गा मंदिर में षष्ठी तिथि से सरदार पंडा श्रीश्री गुलाब नंद ओझा स्वयं माता की पूजा करेंगे.
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