सारठ . मुसलमानों के आखरी पैगम्बर हजरत मोहम्मद सलल्लाहो अलैह वसल्लम का जन्मदिन सारठ और आसपास के गांवों में धूमधाम के साथ मनाया गया. रविवार की रात ईद-मिलादुन्नबी कार्यक्रम का आयोजन किया और उनके द्वारा दिये गये संदेशों पर अमल करने का संकल्प दोहराया. वहीं सोमवार को भी बारिश और तेज हवाओं के बावजूद सुबह में मुस्लिम टोला समेत आसपास के गांवों में केचुआबां, ढोडोडूमर, कपसा, पिंडारी, बसमत्ता गांव से मोहम्मदिया जुलूस हर साल की तरह इस साल भी सारठ बाज़ार पहुंचा. बारिश के बावजूद लोग काफी जोशो खरोश के साथ जुलूस में शामिल हुए. सारठ बाज़ार का भ्रमण कर जुलूस वापस अपने-अपने गांव लौट गयी. जुलूस में शामिल लोगों के हाथों में पैगंबर मोहम्मद साहब के संदेश वाले झंडे थे. जुलूस में शामिल उलेमाओं ने पैगम्बर मोहम्मद साहब के संदेशों को दोहों और नात के जरिये लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया. इस दौरान जुलूस में शामिल कई लोगों ने मखदूम बाबा के मजार पहुंचकर सामूहिक प्रार्थना की. जुलूस को कामयाब बनाने में हाजी मोहम्मद अंसार रजा, मौलाना अशफाक साहब, मौलाना सैय्यद तहसीन राजा, हाफिज हबीबुल्लाह, मौलवी मोहम्मद हाली साहब, मौलवी गुलाम नबी, मौलवी राजा हुसैन साहब, मौलवी जुल्फैकार, मौलवी सन्नाफ, मौलवी नवी साहेब सहित अन्य शमिल थे. वहीं जुलूस को नियंत्रित करने में मुख्य भूमिका 20सूत्री अध्यक्ष इश्तियाक मिर्जा, समीउद्दीन मिर्जा, सिकंदर मिर्जा, इसरार मिर्ज़ा, अमीरुद्दीन मिर्जा, शादिक अली, शाहेलाल, मोहम्मद जहांबाज, शाहनेयाज, अकबर अली, दानिश, अदनान, चौकीदार इल्ताफ का सराहनीय योगदान रहा.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है