मधुपुर. स्थानीय महाविद्यालय मधुपुर के सभागार में शुक्रवार को सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय की 33वां स्थापना दिवस समारोह पूर्वक मनाया गया. इस अवसर पर संथाल हूल विद्रोह के नायक सिदो मुर्मू एवं कान्हू मुर्मू की तस्वीर पर कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डाॅ रत्नाकर भारती, डाॅ रंजीत कुमार, प्रोफेसर होरेन हांसदा समेत अन्य शिक्षकों ने माल्यार्पण कर नमन किया. मौके पर प्राचार्य डाॅ भारती ने कहा कि विश्वविद्यालय की स्थापना 10 जनवरी 1992 को बिहार विधानसभा के एक अधिनियम द्वारा सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के रूप में की गयी थी. इसे भागलपुर विश्वविद्यालय से अलग किया गया था, जिसे अब तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है. विश्वविद्यालय का अधिकार क्षेत्र संथाल परगना के छह जिलों तक फैला हुआ है. वर्तमान में इसके अंतर्गत 27 घटक और 15 स्थायी रूप से संबद्ध कॉलेज स्थित है. यह विश्वविद्यालय लगातार अपने प्रगति के पथ पर अग्रसर है तथा हमें गर्व है कि यह विश्वविद्यालय लगातार अपने कार्यों से आदिवासी, पिछड़े एवं वंचितों को मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य कर रहा है. उन्हें उच्च शिक्षा प्रदान करने में अपनी महती भूमिका अदा कर रहा है. हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष सह बर्सर डाॅ रंजीत कुमार ने कहा कि हमें यदि उच्च पद प्राप्त करने है तो हमें उच्च शिक्षा ग्रहण करनी पड़ेगी, जिसमें यह विश्वविद्यालय हम सबको इस दिशा में सहयोग प्रदान कर रहा है. इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष महेंद्र एक्का ने कहा कि यह झारखंड के छह जिलों के उत्थान के लिए इस विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी. जिससे झारखंड के छह जिलों में उच्च शिक्षा के प्रति लगाव पैदा किया जा सके एवं राष्ट्र के विकास में योगदान किया जा सके. कार्यक्रम का संचालन होरेन हांसदा व धन्यवाद ज्ञापन रामचंद्र झा ने किया. मौके पर डाॅ अनीता गुआ हेंब्रम, प्रेम रोशन एक्का, डाॅ उत्तम कुमार शुक्ला, रंजीत कुमार प्रसाद, तबस्सुम अंसारी, शिवनंदन राय समेत कॉलेज के शिक्षकेतर कर्मचारी एवं छात्र-छात्रा मौजूद थे. ————- आदिवासी, पिछड़े एवं वंचितों को मुख्य धारा से जोड़ने का किया जा रहा कार्य : प्रभारी प्राचार्य मधुपुर कॉलेज मधुपुर के सभागार में कार्यक्रम आयोजित
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है