बाबाधाम में राधा संग कृष्ण की वैदिक विधि से होती है पूजा, होते हैं इनके मनोहारी रूप के दर्शन

देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर प्रांगण में बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, मां पार्वती सहित विभिन्न देवी-देवताओं के कुल 22 मंदिर अवस्थित हैं. मंदिरों का अपना पौराणिक इतिहास व महत्ता है. इनके बारे में रोचक कहानियां हैं. हर एक मंदिर की जानकारी हम आपको देंगे. आज पढ़ें राधा कृष्ण मंदिर के बारे में...

By Prabhat Khabar News Desk | August 21, 2023 1:59 PM

Baba Dham Deoghar: देवघर के बाबा मंदिर में स्थित सभी 22 देवी देवताओं का अलग अलग महत्व है. सभी मंदिरों का अपना पौराणिक इतिहास व महत्ता है. इनके निर्माण व निर्माणकर्ता के बारे में रोचक कहानियां हैं. अब तक हम आपको मां पार्वती मंदिर, मां जगतजननी व मां संकष्टा मंदिर, भगवान गणेश मंदिर, मां संध्या मंदिर, चतुर्मुखी ब्रह्मा मंदिर, महाकाल भैरव मंदिर, भगवान हनुमान के मंदिर, मां मनसा मंदिर, मां सरस्वती मंदिर, बगलामुखी मंदिर, सूर्य नारायण मंदिर, राम-सीता-लक्ष्मण मंदिर, गंगा मंदिर, आनंद भैरव मंदिर, मां तारा मंदिर और त्रिपुर सुंदरी मंदिर के बारे में बता चुके हैं. आज हम आपको राधा कृष्ण मंदिर के बारे में बताएंगे.

यहां हर के बाद हरि की पूजा का महत्व

12 ज्योतिर्लिंगों में से द्वादश ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ मंदिर व इनके प्रांगण की सभी मंदिरों का पौराणिक महत्व है. इनमें सर्वाधिक महत्व बाबा (हर) की पूजा के उपरांत कृष्ण (हरि) की पूजा का है. जहां भक्त पूजा करने के लिए भक्त घंटों इंतजार करते है. यहां भगवान (हरि) कृष्ण व राधा सहित कई देवी देवता की मूर्ति स्थापित है. इस मंदिर का निर्माण पूर्व सरदार पंडा स्वर्गीय श्रीश्री रामदत्त ओझा ने कराया. भगवान राधा कृष्ण के मंदिर की बनावट अन्य मंदिरों से अलग है. यह मुख्य मंदिर के उत्तर की ओर प्रसाशनिक भवन के पास स्थित है. इसके शिखर की लंबाई व 20 फीट है. भगवान राधा कृष्ण के शिखर पर तांबे का कलश नहीं है. सीमेंट का कलश है. इसके ऊपर पंचशूल लगा है.

राधा कृष्ण की मनोहारी अष्टधातु की मूर्ति है स्थापित

इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए मंदिर प्रांगण से चार सीढ़ियां पार करके भक्त भगवान राधा कृष्ण के प्रांगण में पहुंचते है. सामने पीतल के दरवाजे को भक्त प्रणाम कर सिर झुका कर बाहर से ही राधा संग कृष्ण के दर्शन कर सकते हैं. यहां भगवान राधा कृष्ण की मनोहारी, आकर्षक व सुन्दर अष्टधातु की मूर्ति है. इस दोनों मूर्ति की ऊंचाई एक फीट है.

राधा संग कृष्ण की वैदिक विधि से होती है पूजा

यहां पर राधा संग कृष्ण की वैदिक विधि से पूजा की जाती है. इस मंदिर में ओझा परिवार मंदिर स्टेट की ओर से श्रृंगार पूजा के बाद गर्भ गृह में बाबा व राधा कृष्ण मंदिर में हरि को दूध का भोग अर्पित किया जाता है. जो दूध लाने की परंपरा फलाहारी परिवार द्वारा निभाया जाता है. इसके अलावा राधा के साथ कृष्ण की वार्षिक झूलनोत्सव श्रावण मास शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को पूरे विधि विधान से षोडशोपचार विधि से की जाती है. इस अवसर पर भगवान राधा संग कृष्ण को तरह तरह के भोग, मिठाईयां, फल मूल, जलेबी व माखन चढ़ाया जाता है. इसके अलावा मंदिर स्टेट की ओर से राधा कृष्ण मंदिर में रखी सभी देवी देवताओं को आश्विन नवरात्र के अष्टमी व नवमी तिथि पर तांत्रिक विधि से विशेष पूजा की जाती है. इसके अलावा फाल्गुन पूर्णिमा पर हरि संग हर का मिलन किया जाता है.

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