शोषण के खिलाफ आदिवासी समाज के कई नायकों के संघर्ष का लंबा रहा है इतिहास : मंत्री
विश्व आदिवासी दिवस पर संताल जूमित गांवता व आदिवासी कल्याण छात्रावास ने रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया, कार्यक्रम में पहुंचे मंत्री हफीजुल ने समाज के नायकों के इतिहास पर रोशनी डाली.
मधुपुर . स्थानीय महाविद्यालय परिसर के सभागार में शुक्रवार को संताल जूमित गांवता व आदिवासी कल्याण छात्रावास के संयुक्त तत्वावधान में विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया. प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण सह नगर विकास मंत्री हफीजुल हसन समेत अतिथियों ने सिदो-कान्हू व पंडित रघुनाथ मुर्मू की तस्वीर पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया. मौके पर मंत्री ने कहा कि आदिवासी दिवस मनाने की परंपरा की शुरुआत अमेरिका में हुई थी. उन्होंने बताया कि झारखंड में आदिवासियों का काफी शोषण हुआ था. लेकिन आदिवासी समाज की हालत सुधारने के लिए 1962 में दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने आंदोलन शुरू किया. उनसे पहले भी आदिवासी समाज के कई नायकों के संघर्ष का लंबा इतिहास रहा है. ताकि झारखंड के लोगों को शोषण से मुक्ति मिले. वर्तमान में आदिवासियों के उत्थान के लिए सीएम हेमंत सोरेन ने भी कई योजनाएं शुरू की हैं, जिसमें 21 से 50 वर्ष की महिलाओं को सम्मान राशि देना. इसके अलावा सावित्रीबाई फुले योजना तथा 50 वर्ष से अधिक महिला पुरुष को सम्मान राशि देना शामिल है. मौके पर उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज को भी शिक्षित होना और जागरूक होना होगा तभी सरकार की योजनाओं का लाभ ले पायेंगे. कार्यक्रम में छोटे-छोटे बच्चों ने नृत्य और गीत का रंगारंग संस्कृति कार्यक्रम पेश कर लोगों का मन मोह लिया. आयोजन को सफल बनाने में संताल जूमिद गांवता के अध्यक्ष डीआर सोरेन, वासुदेव बेसरा, प्रो. होरेन हासदा, शिव शंकर मरांडी, दीपक किस्कू,जोसेफ टुडू, मोहन मरांडी, ममता,टेरेसा, हेमलाल टुडू, रजनी मुर्मू, बसंती मरांडी आदि का सराहनीय योगदान रहा. इस अवसर पर महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ. रत्नाकर भारती, बीस सूत्री अध्यक्ष दिनेश्वर किस्कू, अबूतालिब अंसारी समेत झामुमो के कई नेता मौजूद थे.
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