रिखियापीठ में स्वामी सत्यानंद जी के संन्यास दिवस पर अनुष्ठान, उनके प्रेम से देश-विदेश के शिष्य हैं प्रभावित
रिखियापीठ में परमहंस स्वामी सत्यानंद जी के संन्यास दिवस पर अनुष्ठान हुआ. जहां स्वामी सत्संगी जी व कथा वाचक स्वामी गिरिशानंद जी की उपस्थिति में हवन-कीर्तन हुआ. स्वामी सत्संगी जी ने कहा कि स्वामी सत्यानंद जी ने प्रेम से देश-विदेश के शिष्यों प्रभावित किया.
Deoghar News: मंगलवार को रिखियापीठ में परमहंस स्वामी सत्यानंद जी का संन्यास दिवस व भागवत कथा सप्ताह की पूर्णाहुति पर विभिन्न अनुष्ठान हुए. स्वामी सत्संगी जी व कथा वाचक स्वामी गिरिशानंद जी की उपस्थिति में हवन- कीर्तन हुआ. संध्या में स्वामी सत्यानंद जी के महा समाधि पर गुरु पूजा व आरती की गयी. कन्याओं ने स्वामी सत्यानंद जी को समर्पित कई कीर्तन से शिष्यों को झुमाया.
स्वामी जी के प्रेम से देश-विदेश के शिष्य प्रभावित
स्वामी सत्संगी जी ने कहा कि स्वामी सत्यानंद जी सिद्ध महायोगी थे. उन्होंने रिक्शा में कठोर पंचाग्नि तप किया. स्वामी सत्यानंद जी सभी लोगों का कल्याण चाहते थे. उनका संकल्प था कि सभी लोग सुख-शांति से रहे, तभी उन्होंने सेवा, दान व प्रेम का संदेश दिया. स्वामी सत्यानंद जी के इसी प्रेम की भावना से देश-विदेश के शिष्य प्रभावित हुए और रिखियापीठ सालों भर पहुंचते हैं.
अनुष्ठान में पहुंचे देश-विदेश के शिष्य
स्वामी सत्यानंद जी की सेवा आज दूर-दूर तक प्रसिद्ध हो गया है. उन्होंने जरूरतमंद की सेवा करने का जो संकल्प लिया है, उसे हमेशा पूरा किया जाएगा. रिखिया पीठ में स्वामी सत्यानंद जी के जन्म शताब्दी वर्ष के दौरान कई तरह की सेवा का आयोजन किया गया. इस दौरान आई चेकअप कैंप में लोगों का इलाज हुआ. अनुष्ठान में पहुंचे देश-विदेश के शिष्यों ने हवन कुंड की परिक्रमा की.
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