देवघर : शुक्रवार को लोकसभा में गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने विक्रमशिला के डेलवपमेंट का मुद्दा उठाया. सांसद डॉ दुबे ने कहा कि विक्रमशिला नालंदा से बड़ा विश्वविद्यालय है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार छठी व सातवीं शताब्दी में नालंदा विश्वविद्यालय का कोर्स विक्रमशिला गाइड करता था. विक्रमशिला ऑरिजनल यूनिवर्सिटी थी. विक्रमशिला ने दुनिया को पहला वाइस चांसलर भगवान आतिश दीपांकर के रूप में दिया, जिन्होंने दलाई लामा पंत की स्थापना की थी. डॉ दुबे ने कहा कि 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम पैकेज के तहत विक्रमशिला के डेवलपमेंट के लिए 400 करोड़ रुपये दिये, लेकिन बिहार सरकार ने जमीन ही नहीं दी.
उन्होंने सदन के माध्यम से बिहार सरकार पर दबाव बनाने की मांग करते हुए कहा कि विक्रमशिला के बारे में दुनिया को बताया जाये कि जब 1189 में बख्तियार खिलजी विक्रमशिला जला रहा था, तो वही ऐसा साल है जब ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी बन रही थी. हमारी संस्कृति, सभ्यता व विचार इतने बड़े हैं कि पश्चिम देश कभी मुकाबला नहीं कर सकते हैं, इसलिए विक्रमशिला विश्वविद्यालय को फिर से विकसित किया जाये. इस दौरान सांसद ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने झारखंड में ट्राइबल यूनिवर्सिटी की स्थापना की स्वीकृति दी है, लेकिन राज्य सरकारों ने जमीन नहीं दी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कभी आदिवासी शहीदों को याद तक नहीं किया, जबकि पीएम मोदी ने झारखंड को खूंटी में भगवान बिरसा मुंडा को नमन करते हुए आदिवासियों के कल्याण के लिए जनमन योजना की शुरुआत की.
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