मधुपुर. अनुमंडलीय अस्पताल सभागार में बुधवार को नेत्रदान महादान पखवारे को लेकर अस्पताल उपाधीक्षक डा. शाहिद की अध्यक्षता में कार्यशाला आयोजित की गयी. मौके पर उपाधीक्षक ने बताया कि नेत्रदान एक प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत व्यक्ति के मरने के बाद भी उसका नेत्रदान किया जा सकता है. कॉर्निया आपके सामने को ढंकने वाला स्पष्ट उत्तक है. एक मरता हुआ व्यक्ति दो से अधिक अंधों को रोशनी दे सकता है. कोई भी स्वस्थ व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद नेत्रदान कर सकता है. चश्मा पहनने वाले और मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवा चुके व्यक्ति भी नेत्रदान कर सकते है. नेत्रदान करने के लिए अपने नजदीक के आइ- बैंक में संपर्क स्थापित कर नेत्रदान किया जा सकता है. बताया कि आंखों से कॉर्निया मृत्यु के छह घंटे के अंदर निकाल लेना चाहिए अन्यथा कॉर्निया खराब हो जाता है. आंखें दान करने से मृत व्यक्ति के चेहरे में कोई खराबी नहीं आती है. उन्होंने सहिया से अपील करते हुए कहा कि गांव- गांव घूम कर नेत्रदान से संबंधित फॉर्म भरवाना सुनिश्चित करें. ताकि नेत्रदान करके नेत्रहीनों के जीवन में उजाला किया जा सके. बताया कि इसको लेकर 25 अगस्त से आठ सितंबर तक नेत्रदान पखवारे का आयोजन किया गया था. मौके पर संतोष कुमार सुधांशु, दामोदर वर्मा, महेंद्र प्रसाद, अजय कुमार दास समेत सहिया मौजूद थे.
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