मधुपुर. शहर के राजबाड़ी रोड़ स्थित संत कोलंबस चर्च को अंग्रेजों ने यूरोपीय शैली में बनाया है. गिरजाघर में लगा रंगीन टाइल्स व मार्बल स्थानीय इसाई समाज के अतीत की समृद्धि को दर्शाता है. चर्च की मीनार, लकड़ी की नक्काशीदार खिड़की, दरवाजा, डेस्क आज भी यथावत है. बताया जाता है कि वर्ष 1872 सन में अंग्रेजों ने इस निर्माण कराया था. संत कोलंबस चर्च निर्माण कर ईसाई समुदाय के लोग सामूहिक रूप से चर्च में प्रार्थना करते थे. उनदिनों चर्च में समय-समय पर आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता था. आज भी इस प्रथा को स्थानीय इसाई समुदाय के लोगों ने जीवित रखा है. प्रत्येक रविवार को प्रार्थना सभा आयोजित किया जाता है. गिरजाघर की घंटी की आवाज दूर-दूर तक सुनाई देती थी. समय के साथ धीरे-धीरे बदलाव आया है. करीब दो दशक तक गिरजाघर में आराधना बंद हो गयी थी. वर्ष 1978 में पादरी हारून सिंह ने कलीसिया को एकमत कर गिरजाघर में नियमित प्रार्थना शुरू किया. संत कोलंबस गिरजाघर संताल परगना का प्राचीन गिरजाघर है. चर्च ऑफ इंग्लैंड के तहत गिरजाघर का संचालन हो रहा है. क्रिसमस पर यहां विशेष प्रार्थना सभा आयोजित होगी. पादरी विजय सिंह समेत कलीसिया के लोग क्रिसमस की तैयारी में जुट गये हैं. ईसाई समाज के लोगों में क्रिसमस को लेकर काफी उत्साह देखा जा रहा है. ——————- 1872 में अंग्रेजों ने बनवाया यूरोपियन शैली का संत कोलंबस गिरजाघर
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