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संताल परगना में शुरू से ही दिलचस्प रहा है विधानसभा का चुनाव, इतिहास जानकर हो जाएंगे हैरान

संताल परगना प्रमंडल के 18 विधानसभा सीटों पर शुरुआत के चुनावों में कांटे की टक्कर होती रही है. लेकिन, जैसे-जैसे वोटरों की संख्या बढ़ने लगी, जीत-हार का अंतर भी बढ़ने लगा.

Santhal|Jharkhand Assembly Election 2024|देवघर| संजीत मंडल: संताल परगना प्रमंडल में विधानसभा का चुनाव शुरू से ही दिलचस्प रहा है. यहां की 18 सीटों पर शुरुआत के चुनावों में कांटे की टक्कर होती रही है. लेकिन, जैसे-जैसे वोटरों की संख्या बढ़ने लगी, जीत-हार का अंतर भी बढ़ने लगा. 1951 से 2019 तक हुए विधानसभा चुनाव में सबसे कम वोटों से जामताड़ा सीट से 1980 में कांग्रेस प्रत्याशी फुरकान अंसारी हारे थे.

सीपीआइ के अरुण कुमार बोस ने उन्हें 24 वोटों से पराजित किया था. तब सीपीआइ को 13336 वोट व कांग्रेस को 13312 वोट मिले थे. वहीं, अब तक हुए चुनावों में सर्वाधिक वोटों से 2019 के विधानसभा चुनाव में पाकुड़ सीट से आलमगीर आलम जीते. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के बेनी प्रसाद गुप्ता को 65108 वोटों से शिकस्त दी थी.

शुरू से मैजिक अंक से होती रही है जीत-हार

संताल परगना के चुनाव का इतिहास रहा है कि यहां लगभग विधानसभा सीटों पर जीत-हार का अंतर काफी कम रहा है. 1951 में विधानसभा का पहला चुनाव जब हुआ, तो पोड़ैयाहाट-जरमुंडी सीट से कांग्रेस के जगदीश नारायण मंडल महज 669 वोट से जीते थे. 1957 में सारठ विधानसभा सीट से बद्रीनारायण सिंह (कांग्रेस) 479 वोट से, 1967 में दुमका एसटी सीट से जी मरांडी 507 वोट से, जामताड़ा के एस बेसरा (सीपीआइ) सिर्फ 579 वोट से चुनाव जीते थे. जबकि, 1967 में महेशपुर-एसटी सीट से जोशेफ मुर्मू (एसडब्ल्यूए) ने 658 वोट से जीत दर्ज की थी.

अब तक के हुए विधानसभा चुनावों में टॉप -10 सबसे कम वोटों से हारने वालों में फुरकान अंसारी (कांग्रेस), कालीदास मुर्मू (कांग्रेस), मरांग मुर्मू (निर्दलीय), अभय चरण लाल (पीएचजे), बटेश्वर हेंब्रम (बीजेएस), दशरथ मिश्रा (कांग्रेस), हेनीशिला हेंब्रम (कांग्रेस), हरगौरी प्र सिंह (जेएचपी), केआर टुडू (निर्दलीय) और केपी सिंह (कांग्रेस) शामिल हैं.

2005 में तीसरे नंबर पर रहे थे हेमंत

हेमंत सोरेन 2005 में पहली बार विधानसभा चुनाव दुमका रिजर्व सीट से लड़े. यह चुनाव भी काफी रोचक रहा था. इस सीट से सीटिंग विधायक झामुमो के कद्दावर नेता स्टीफन मरांडी का टिकट काटकर जेएमएम ने हेमंत सोरेन को चुनाव लड़ाया. तब स्टीफन भी कहां मानने वाले थे. उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में दुमका से चुनाव लड़ा और जीते. इस चुनाव में जेएमएम के हेमंत तीसरे नंबर पर रहे. दूसरे नंबर भाजपा के मोहरिल मुर्मू रहे थे. 2005 में स्टीफन को 41340 वोट, मोहरिल को 35993 और हेमंत को महज 19610 वोट मिले थे.

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सबसे कम वोटों से हारनेवाले टॉप-10 प्रत्याशी

वर्षविधानसभा क्षेत्र नाम पार्टीहार का अंतर
1980 जामताड़ाफुरकान अंसारी कांग्रेस 24
1969 महेशपुर (एसटी) कालीदास मुर्मू कांग्रेस 37
1977 लिट्टीपाड़ा (एसटी) मरांग मुर्मू निर्दलीय 149
1972 सारठ अभय चरण लाल पीएचजे 236
1972 जामा (एसटी) बटेश्वर हेंब्रमबीजेएस 375
1985 राजमहल दशरथ मिश्रा कांग्रेस 397
1972 शिकारीपाड़ा (एसटी) हेनीशिला हेंब्रम कांग्रेस 467
1957 सारठ हरगौरी प्र सिंहजेएचपी 479
1967 दुमका(एसटी) केआर टुडू निर्दलीय 507
1967 जामताड़ा केपी सिंह कांग्रेस 579

सर्वाधिक वोटों से जीतनेवाले टॉप-10 प्रत्याशी

वर्ष विधानसभा क्षेत्र नामनामपार्टीहार का अंतर
2019 पाकुड़ आलमगीर आलम कांग्रेस 65108
2014 देवघर (एससी) नारायण दास बीजेपी 45152
2000 बरहेट (एसटी) हेमलाल मुर्मू जेएमएम 38126
2009पोड़ैयाहाट प्रदीप यादव जेवीएम 36704
1985 महागामा अवध बिहारी सिंंह कांग्रेस 35485
1995 जामा (एसटी) दुर्गा सोरेन जेएमएम 28366
1980 मधुपुर केएन झा कांग्रेस 21303
1972 राजमहल नथमल डोकानिया कांग्रेस 19452
1990 जामा (एसटी) मोहरिल मुर्मू जेएमएम 19240
1977 बोरियो (एसटी) बेंजामिन मुर्मू जेएनपी 17031

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