Sawan 2020 : देवघर : द्वादश ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ की महिमा अपरंपार है. बाबा की मर्जी के बिना कुछ भी नहीं हो सकता है. बाबा से आशीर्वाद पाने के लिए सालों भर भक्तों का आवागमन लगा रहता है. बाबा मंदिर परिसर में कई देवी-देवताओं की मंदिर है. सभी देवी- देवताओं की खास महत्ता है. इनमें कई देवी शक्ति मंदिर है. इनमें मां मनसा मुख्य रूप से शामिल हैं. मां मनसा अपने भक्तों को अकाल मृत्यु से बचाती है. यह विष की देवी मानी जाती है.
बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर परिसर में है मां मनसा का मंदिर. मां मनसा की पूजा करने से मां अपने भक्तों को सांप, बिच्छू आदि हर तरह के जहरीले जीवों से रक्षा करती हैं. मां के दरबार में सालों भर भक्तों का रेला लगा रहता है. मां को प्रसन्न करने के लिए भक्त घंटों कतार में लग कर पूजा- अर्चना करते हैं.
इस मंदिर का निर्माण पूर्व सरदार पंडा स्वर्गीय श्रीश्री शैलजा नंद ओझा ने की थी. यह मुख्य मंदिर के पश्चिम और दक्षिण की ओर है. उनकी एक ओर मां सरस्वती और दूसरी ओर हनुमान मंदिर है. मां की मंदिर की लंबाई लगभग 20 फीट और चौड़ाई लगभग 10 फीट है. मां मनसा के शिखर पर तांबे का कलश नहीं है. इसके ऊपर पंचशूल भी नहीं है. इस मंदिर की बनावट अन्य मंदिरों की अपेक्षा थोड़ी छोटी है.
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इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए मुख्य प्रवेश द्वार को प्रणाम कर भक्त गर्भ गृह में पहुंचते हैं. मां मनसा की 4 हाथों वाली 2 फीट की सुंदर मूर्ति विराजमान है. मां के एक हाथ में चक्र, एक हाथ पाश, एक हाथ में त्रिशूल और एक हाथ में जहरीला सर्प धारण किये है. ऐसी मान्यता है कि मां मनसा नागराज बासुकी की बहन है. इन्हें विष की देवी भी कहा जाता है. इस कारण मां मनसा की विशेष पूजा अर्चना की जाती है.
मंदिर इस्टेट की ओर से ओझा परिवार द्वारा मां की पूजा की जाती है. साल में एक बार श्रावण संक्रांति तिथि को मां मनसा की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन मां की तांत्रिक विधि से पूजा की जाती है. इस दिन मां का चरण स्पर्श करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है. सुबह से लेकर देर रात्रि तक भक्तों का रेला लगा रहता है. लेकिन, इस साल कोरोना वायरस संक्रमण के कारण मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं का आना मना है. इसी कारण इस बार पूरा मंदिर परिसर सूना-सूना से लगता है. हालांकि, श्रद्धालुओं को बाबा का ऑनलाइन दर्शन करने की व्यवस्था सरकार की ओर की गयी है.
Posted By : Samir ranjan.