Sawan 2023: पुरुषोत्तम मास और बांग्ला श्रावण में बाबा पर जलार्पण के लिए भक्तों के आने का सिलसिला जारी है. कंधे पर कांवर लेकर बोल बम के जयघोष के साथ बाबा बैद्यनाथ के गीत गाते हुए कांवरिये बाबाधाम पहुंच रहे हैं. बाबा के प्रति आस्था ने उम्र का बंधन तोड़ दिया है और बच्चे लेकर वृद्ध तक भोलेनाथ पर जलार्पण के लिए समर्पण भाव से बाबाधाम पहुंच रहे हैं. बांग्ला पंचांग को मानने वाले नेपाल, बंगाल, ओड़िशा, आसाम के कांवरियों की संख्या अधिक है. रात में मंदिर परिसर का नजारा बदल जाता है. मन्नतें पूरी होने की खुशी में महिला श्रद्धालु ढोल की थाप पर लोक गीतों पर नृत्य करती दिख रहीं हैं.
मंदिर की परिक्रमा के बाद कर रहे कांवर पूजा
मंदिर परिसर में कांवरिये बाबा सहित अन्य मंदिरों की परिक्रमा करने के बाद अपने-अपने पुरोहितों के माध्यम से कांवर की पूजा करते दिख रहे हैं. मंदिर में ही संकल्प कराने के बाद जल लेकर कतार में जाने के लिए निकल रहे हैं. बड़ी संख्या में भक्तों का जत्था कांसा के लोटे में प्रयागराज से लाये जल की पूजा और संकल्प कराते दिख रहे हैं.
मानसरोवर हनुमान मंदिर कराया जा रहा था प्रवेश
काली मंदिर में माता की पूजा करने के बाद बाबा मंदिर का पट खोला गया. शृंगार पूजा सामग्री को हटाकर पुजारी ने कांचा जल पूजा शुरू की. षोडशोपचार विधि से दैनिक सरदारी पूजा करने के बाद अरघा लगाकर कांवरियों व श्रद्धालुओं के लिए जलार्पण प्रारंभ कराया गया. मंदिर खुलने के साथ ही भक्त मानसरोवर हनुमान मंदिर के पास बने प्रवेश द्वार से क्यू कॉम्प्लेक्स होते हुए ओवरब्रिज से गुजर कर संस्कार मंडप होकर गर्भ गृह में पहुंचे. करीब सवा सात बजे से लेकर पट बंद होने तक भक्तों को मंदिर भेजने की व्यवस्था को जारी रखी गयी.
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मध्यप्रदेश के बैतुल जिला अंतर्गत चूनालोहमा निवासी मनोज कुमार आर्य व उनके भांजे मोहित मालवीय ने बाबा बैद्यनाथ पर जलार्पण के बाद रक्त केंद्र पहुंचकर रक्तदान किया. बोलबम कवंरिया संघ, भौंरा, के 29 सदस्यों के जत्थे में शामिल दोनों मामा-भांजे सुल्तानगंज से गंगा जल लेकर 23 जुलाई को चले थे, पैदल यात्रा कर सभी ने बुधवार को जल चढ़ाया. इसके बाद मनोज व उनके भांजे मोहित ने रक्तदान किया. उन्होंने बताया कि, रक्त केंद्र में बिहार के बांका जिला अंतर्गत सुईया, डूमरडीह गांव के रहने वाले एक माता-पिता अपने ढाई माह के बच्चे खून के लिए भटक रहे थे, जिसे तुंरत उपलब्ध कराया गया. उन्होंने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि नवजात की जिंदगी बचाने के लिए खून काम आया. उन्होंने कहा कि लगातार 20 सालों से पैदल कांवर लेकर बाबा पर जलार्पण के लिए आते हैं और जलार्पण के बाद रक्तदान करते हैं.
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